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पांच साल पहले घर से भागकर दिल्ली आए दृष्टिहीन मुन्ना शाह ने दिल्ली पैराओलंपिक तैराकी स्पर्धा में दो स्वर्ण और एक रजत पदक झटका। बिहार के छपरा से दिल्ली पहुंचे मुन्ना की स्वर्णिम सफलता के पीछे कड़ी मेहनत और लगन शामिल है। तैराकी प्रतियोगिता दिल्ली के रोहिणी में 4 अगस्त को समाप्त हुई। वह कबड्डी के भी बेहतर खिलाड़ी हैं। राष्ट्रीय प्रतियोगिता में इस खेल का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
वर्तमान में बरौला में रह रहे मुन्ना शाह ने दिल्ली पैरालंपिक तैराकी के 50 और 100 मीटर फ्री स्टाइल में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। वहीं 50 मीटर बैक स्ट्रोक में रजत जीता। वह राष्ट्रीय पैरालंपिक कबड्डी में दिल्ली का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 2017 में दिल्ली को इस प्रतियोगिता में तीसरा स्थान मिला था। वहीं राष्ट्रीय तैराकी पैरालंपिक 2017 में उन्होंने रजत पदक अपने नाम किया है। मुन्ना छपरा के तिवारी टोला गांव के निवासी हैं।
मुन्ना बताते हैं कि 2014 में भाई-भाभी से लड़कर दिल्ली भाग आया। यहां मेरे एक भाई रहते थे। उनके घर रहा। इससे पहले मैं आठवीं पास कर चुका था, लेकिन आंखें खराब होने के बाद आगे नहीं पढ़ सका। जब मैं दिल्ली आया तो मेरी उम्र 21 साल थी। मैंने ओपन से दसवीं की पढ़ाई की। इसके बाद बैंक में नौकरी के लिए आवेदन किया। यहां दो साल से स्वच्छता सहायक के रूप में काम कर रहा हूं।
पहली बार दूसरा स्थान मिला : मुन्ना शाह बताते हैं कि जब मैं दिल्ली आया तो निजामुद्दीन के पास नेत्रहीनों के स्कूल में भाई ले गए, लेकिन अधिक उम्र को देखते हुए मुझे वहां विभिन्न कार्यों का प्रशिक्षण देना शुरू किया गया। इसके बाद मुझे बताया गया कि ओपन से मैं परीक्षा दे सकता है। ऐसे में दसवीं कक्षा की परीक्षा दी और पास हो गया। वर्ष 2016 में एक मित्र ने मुझे रोहिणी में प्रदेश पैरालंपिक तैराकी प्रतियोगिता के बारे में बताया। इसमें भाग लिया, लेकिन दूसरा स्थान मिला। इसके बाद 2017 में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में दो रजत पदक जीता।
14 की उम्र में गई आंखों की रोशनी
एक गंभीर बीमारी के कारण 14 साल की उम्र में ही मुन्ना की आंखों की रोशनी चली गई थी। इससे पहले वह नियमित रूप से तालाब में तैराकी किया करते थे। आंखों की रोशनी जाने के बाद भी वह तैराकी करते रहे, जिसका लाभ उन्हें प्रतियोगिताओं में मिला। इससे पहले भी मुन्ना तैराकी की कई प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं। मुन्ना बताते हैं कि उनकी आंखों की नसें सूख गई थीं और इसके कारण ही रोशनी चली गई।