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नई दिल्ली: राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के चीन आपरेटिंग आफिसर तूफान घोष के बाद प्रशासकों की समिति ने भी पृथ्वी शॉ के निलंबन के बाद भी युवा बल्लेबाज के अकादमी में ट्रेनिंग करने के विवाद पर चुप्पी साध ली है. किसी को भी इस बारे में कुछ जानकारी नहीं है कि 16 जुलाई को शॉ को थमाए गए अस्थायी निलंबन के बाद वह 17 जुलाई को अकादमी में क्या कर रहे थे. यह मामला फुटबॉल के 'हैंड ऑफ गॉड' मामले की याद दिलाता है, जहां 1986 में मैक्सिको में खेले गए फीफा विश्व कप में अर्जेंटीना के महान खिलाड़ी डिएगो माराडोना ने इंग्लैंड के खिलाफ हाथ से गोल किया था.
शॉ को डोपिंग रोधी नियमों के उल्लंघन के चलते आठ महीनों के लिए क्रिकेट के सभी प्रारूपों से निलंबित कर दिया गया है. उनका निलंबन 15 नवंबर को समाप्त हो रहा है. सीओए के एक सदस्य ने कहा कि समिति को इस मामले में लूप में नहीं रखा गया इसलिए इस मुद्दे पर टिप्पणी करना उनके लिए उचित नहीं होगा.सदस्य ने कहा, "हमें इस मुद्दे पर तकनीकी चीजों के बारे में जानकारी नहीं है. हम नियम नहीं जानते और इसलिए हम इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहिए. यह कहना मुश्किल है कि हम सीओए की अगली बैठक में इस पर चर्चा करेंगे या नहीं."
भारत के सलामी बल्लेबाज शिखर धवन ने 17 जुलाई को एक फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट की था जिसमें शॉ, धवन और उमेश यादव के साथ दिखाई दे रहे हैं जबकि बीसीसीआई ने शॉ को 16 जुलाई को ही डोपिंग नियमों का उल्लंघन करने के कारण निलंबित कर दिया था. जब शॉ को 16 जुलाई को ही निलंबित कर दिया गया था तब वह 17 जुलाई को एनसीए में क्या कर रहे थे, इस सवाल पर घोष कोई भी जवाब नहीं दे रहे हैं.
आईएएनएस ने जब घोष से इस मुद्दे पर बात करनी चाही तो उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा, "मैं इस पर कुछ नहीं कह सकता. मैं इस मुद्दे पर बात करने के लिए सही व्यक्ति नहीं हूं, आप बीसीसीआई से बात कीजिए." उनसे जब पूछा गया कि क्या आपको प्रतिबंध के बारे में बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी ने बताया तो घोष ने फोन काट दिया.बीसीसीआई के पदाधिकारी ने बताया कि बोर्ड के एंटी डोपिंग मैनेजर, कानूनी टीम और सीईओ को इस पूरी प्रक्रिया के बारे में पता था और शॉ के निलंबित होने के बाद एनसीए में ट्रेनिंग करने का सवाल ही नहीं उठता. इस मुद्दे पर हैरानी जताते हुए बीसीसीआई के एक कार्यकारी ने कहा कि एंटी डोपिंग क्लास का नियमित आयोजन किया जा रहा और शॉ का दवाई लेना और फिर यह कहना है कि यह गलती से हुआ, इस बात में दम नहीं दिखता है.कार्यकारी ने कहा, "वह अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं और लगातार एंटी डोपिंग क्लास चलती रहती है. वो सिर्फ घरेलू खिलाड़ियों के नहीं होती हैं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी के लिए भी होती हैं."इस प्रक्रिया में एक और बात पर पर्दा डाला गया है. जब तक इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) खत्म हुआ तब तक बीसीसीआई के पास इसकी पूरी रिपोर्ट (17 मई को आ गई थी). इसके बाद 14 मई से मुंबई टी-20 लीग शुरू हुई. शॉ को इस लीग में हिस्सा लेने से रोका जाना चाहिए था क्योंकि बीसीसीआई के पास पहले से ही रिपोर्ट थी. बावजूद इसके शॉ नार्थ मुंबई पैंथर्स के लिए खेलते रहे. इस बात को भी नहीं भूलना चाहिए शॉ कैसे एनसीए में ट्रेनिंग करते रहे. इस मामले में हैंड ऑफ गॉड का पता लगाना जरूरी हो गया है, क्योंकि अब हर कोई एक दूसरे बार बात टालने में लगा हुआ है.