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सात साल बाद भी स्कूलों को जारी नहीं हो सका परवाना
श्रीप्रकाश शुक्ला
ग्वालियर। कहने को मलखम्ब मध्य प्रदेश का राज्य खेल है लेकिन सुविधाएं कागजों में कसरत करती दिख रही हैं। मार्च, 2013 में मलखम्ब को मध्यप्रदेश में राज्य खेल का दर्जा दिया गया था। तब उम्मीद जगी थी कि इस खेल के उत्थान के लिए सरकार कुछ करेगी लेकिन आज राज्य खेल मलखम्ब अपनी उपेक्षा पर आंसू बहा रहा है। सुविधाएं देना तो दूर सात साल बाद सरकार स्कूल शिक्षा विभाग को एक परवाना भी नहीं भेज सकी कि स्कूलों के क्रीड़ांगनों में मलखम्ब लगवाए ताकि छात्र-छात्राएं अपने प्राचीन खेल को आत्मसात कर सकें।
भारत की अति प्राचीन खेल विधा मलखम्ब को मध्यप्रदेश सरकार ने सात साल पहले राज्य खेल घोषित कर दिया था। इस सम्बन्ध में खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा आदेश भी जारी कर दिये गए तथा यह सूचना मध्यप्रदेश राजपत्र में भी प्रकाशित हो गई लेकिन अन्य खेलों पर अरबों रुपये निसार करने के बाद भी मलखम्ब के लिए कुछ नहीं किया गया। भला हो उज्जैन वालों का जिनके प्रयासों से मध्य प्रदेश में यह खेल जिन्दा है।
दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में मार्च, 2013 में आयोजित मंत्री परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया था, तब आनन-फानन में प्रदेश के 14 मलखम्ब केन्द्रों इंदौर, खरगोन, उज्जैन, बैतूल, दतिया, पन्ना, रतलाम, शाजापुर, शिवपुरी, ग्वालियर, टीकमगढ़, जबलपुर, छतरपुर एवं सागर में मलखम्ब लगवाए गए तथा कुछ संविदा प्रशिक्षक भी तैनात किए गए लेकिन उसके बाद किसी ने इस खेल की सुध नहीं ली। मलखम्ब भारत का एक पारम्परिक खेल है, जिसमें खिलाड़ी लकड़ी के एक खम्बे या रस्सी के ऊपर तरह-तरह के करतब दिखाते हैं। इस खेल की जहां तक बात है उन्नीसवीं शताब्दी में पेशवा बाजीराव के गुरु श्री बालम भट्ट दादा देवधर ने इस विधा को एक नई पहचान दी थी। सन् 1958 में पहली बार नेशनल जिमनास्टिक चैम्पियनशिप के तहत मलखम्ब को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में शामिल किया गया। राष्ट्रीय स्पर्धा में इसके तीन प्रकार प्रचलित हैं-
फिक्स्ड मलखम्ब (केवल पुरुषों के लिये)- फिक्स्ड (स्थायी) मलखम्ब में जमीन पर स्थापित सागोन या शीशम की 10 से 12 फीट ऊँची तथा नीचे से पांच से छह इंच और ऊपर से 1.5 से दो इंच व्यास की लकड़ी पर करतब दिखाया जाता है।
हेंगिंग मलखम्ब (केवल पुरुषों के लिये)- यह फिक्स्ड मलखम्ब का छोटा संस्करण कहा जाता है। इसमें आमतौर पर संतुलन अभ्यास का प्रयोग किया जाता है। लकड़ी के पोल पर एक हुक तथा चेन की मदद से जमीन से 3.5 से चार फीट की ऊँचाई पर एक दूसरी लकड़ी को लटकाया जाता है तथा उस पर खिलाड़ियों द्वारा मलखम्ब किया जाता है।
रोप मलखम्ब- प्रमुख रूप से महिला खिलाड़ियों के लिये प्रयुक्त यह मलखम्ब का एक आधुनिक प्रकार है। इसमें रस्सी के सहयोग से विभिन्न योगिक मुद्राओं को दर्शाया जाता है।