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कोलकाता एयरपोर्ट से नहीं भरने दी बैंकाक की उड़ान
श्रीप्रकाश शुक्ला
मथुरा। गूरूजी मैं बर्बाद हो गया। अब मैं कर्ज में डूबे अपने पिता को क्या मुंह दिखाऊं। अपनी छह बहनों के हाथ पीले करने के लिए ही मैं दंगल दर दंगल कुश्तियां लड़ता हूं और ईनाम में जीती राशि से घर-परिवार की मदद कर पाता हूं। मेरे पास थाईलैण्ड (बैंकाक) जाने के सभी दस्तावेज हैं लेकिन कोलकाता एयरपोर्ट के अधिकारियों ने मुझ पर अपराधी होने की तोहमत लगाकर कहीं का नहीं छोड़ा। मेरी समझ में नहीं आ रहा कि आखिर मैं अपनी बेगुनाही की दास्तां किससे कहूं। यह दर्द एक ऐसे उदीयमान पहलवान का है जिसकी रग-रग में पहलवानी का जुनून सवार है। फिरोजाबाद निवासी विक्रम यादव अब तक देश भर में सैकड़ों कुश्तियां जीतकर समूचे उत्तर प्रदेश का नाम रोशन कर चुका है।
पहलवानी खेल ही नहीं एक साधना है। हर माता-पिता अपने बच्चों को शिखर पर देखना चाहते हैं, इसके लिए वह न केवल तरह-तरह की तकलीफें उठाते हैं बल्कि कर्ज लेने से भी नहीं घबराते। उदीयमान विक्रम के पिता को ही लें उन्हें पूरा भरोसा है कि उनका बेटा पहलवानी में देश का नाम जरूर रोशन करेगा। कुछ दिन पहले थाईलैण्ड (बैंकाक) कुश्ती संघ की तरफ से फिरोजाबाद निवासी विक्रम सिंह यादव को बैंकाक में कुश्ती के दांव-पेच दिखाने का आमंत्रण मिला। इस आमंत्रण पत्र से विक्रम ही नहीं उसके परिवार की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। विक्रम के सपनों को साकार करने और बैंकाक भेजने के लिए उसके पिता ने साहूकार से कर्ज लिया। कर्ज इस उम्मीद से लिया कि उनका बेटा थाईलैण्ड से जीतकर ही आएगा। विक्रम बेहद प्रतिभाशाली पहलवान है। वह अब तक अपने पराक्रमी कौशल से एक-दो नहीं सैकड़ों कुश्तियां फतह कर चुका है।
पहलवानी विक्रम की जिन्दगी का अहम हिस्सा बन चुकी है, यही वजह है कि देश के किसी भी कोने में दंगल हो वह वहां पहुंच कर अपनी ताकत और कौशल का सभी को मुरीद बना लेता है। बैंकाक जाकर भारत का नाम रोशन करने के लिए उसने कड़ी मशक्कत की है। होनहार विक्रम को क्या पता था कि पांच अगस्त को होने वाले मुकाबले से पहले उसे अपने ही देश के निकम्मे हुक्मरानों के बज्राघात का सामना करना पड़ेगा। सारे दस्तावेज होने के बावजूद कोलकाता एयरपोर्ट के अधिकारियों ने विक्रम को अपराधी ठहराते हुए देश से भागने का आरोप लगाकर उसे वापस लौटा दिया।
सच यह है कि विक्रम बेहद शालीन कुश्ती को समर्पित ऐसी प्रतिभा है जिस पर समूचे फिरोजाबाद को नाज है। विक्रम को अपराधी करार देने से पहले निकम्मे अफसरों ने यह भी नहीं सोचा कि वे स्वयं एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी के अरमानों की हत्या करने जा रहे हैं। अभी समय है केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार को इस मामले की तहकीकात करते हुए विक्रम को बैंकाक भेजने का अतिशीघ्र प्रबंध करना चाहिए क्योंकि ऐसी प्रतिभाएं रोज-रोज पैदा नहीं होतीं।