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ओलंपिक पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक राष्ट्रमंडल खेल 2022 का बहिष्कार करने की भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अपील का समर्थन नहीं करती लेकिन इसके साथ ही उनका मानना है कि इस प्रतियोगिता से निशानेबाजी को हटाना गलत है। आईओए ने निशानेबाजी को हटाये जाने के कारण पिछले सप्ताह बर्मिंघम में 2022 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों का बहिष्कार करने का प्रस्ताव रखा और इस पर सरकार की मंजूरी मांगी।
साक्षी ने एक कार्यक्रम से इतर कहा, ‘हम यह नहीं कहें कि हम इन खेलों का बहिष्कार करेंगे लेकिन मुझे उम्मीद कि निशानेबाजी को इसमें शामिल किया जाएगा और हम सभी बर्मिंघम जाएंगे।’ इसके साथ ही साक्षी ने निशानेबाजी को खेलों में शामिल करवाने के लिये आईओए के आक्रामक रवैये का समर्थन भी किया। उन्होंने कहा, ‘आईओए जो भी फैसला करने की योजना बना रहा है वह सही है क्योंकि जो भी खेल बाहर किया गया यह उसके खिलाड़ियों के साथ गलत है। हमारे निशानेबाज ढेर सारे पदक लेकर आते हैं और मैं इसे संपूर्ण दल के रूप में देखती हूं और अगर एक खेल भी प्रभावित होता है तो यह अनुचित है।’साक्षी की निगाह अब ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने पर लगी हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतकर ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करना चाहती हूं। प्रत्येक वर्ग में चोटी के 6 पहलवान ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करेंगे लेकिन मेरी निगाहें पदक पर भी लगी हैं।’ इस 26 वर्षीय पहलवान ने कहा कि उनका लक्ष्य टोक्यो ओलंपिक में पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन करना है लेकिन अभी उनकी निगाह ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने पर लगी है। साक्षी ने कहा, ‘अगर आप विश्व चैंपियनशिप में क्वालीफाई कर लेते हो तो इससे आपको ओलंपिक की तैयारी के लिये लगभग एक साल का समय मिल जाता है और आप काफी पहले अपनी रणनीति बना सकते हो। पिछले ओलंपिक में हालांकि मैंने आखिरी क्वालीफाईंग प्रतियोगिता से क्वालीफाई किया और फिर भी पदक जीता।’
हरियाणा सरकार के फैसले की भी आलोचना साक्षी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों की इनामी राशि में कटौती करने के हरियाणा सरकार के फैसले की आलोचना भी की। उन्होंने कहा, ‘पुरस्कार राशि में कटौती करना गलत है। हम 15-20 साल से कड़ी मेहनत कर रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार पदक जीत रहे हैं और अगर पुरस्कार राशि में कटौती होती है तो इससे खिलाड़ी हतोत्साहित होंगे।’