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दादा ने कहा- मुझे उनसे खास सख्ती और जिद्दीपन की उम्मीद थी
अक्टूबर 2019 से सितम्बर 2022 तक बीसीसीआई में रहे साथ
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में अपने घटनाप्रधान कार्यकाल को याद करते हुए सौरव गांगुली ने खुलासा किया कि उन्हें बोर्ड के तत्कालीन सचिव और वर्तमान में आईसीसी अध्यक्ष जय शाह से ‘‘एक खास तरह की सख्ती और जिद्दीपन” की उम्मीद थी। हालांकि वह उनकी ‘‘ईमानदारी” और चीजों को व्यवस्थित करने के तरीके से प्रभावित थे।
गांगुली और शाह अक्टूबर 2019 से सितम्बर 2022 तक दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड में सहकर्मी रहे थे। यह कोविड-19 महामारी का दौर था, जिसके कारण कुछ महीनों के लिए खेल गतिविधियां ठप पड़ गई थीं। गांगुली ने कोलकाता में अपने आवास पर दिए विशेष साक्षात्कार में कहा कि उनका (जय शाह) काम करने का अपना तरीका था। उनके बारे में सबसे अच्छी बात यह थी कि वह भारतीय क्रिकेट को आगे बढ़ाने के लिए चीजों को सही तरह से व्यवस्थित करना चाहते थे।
इस पूर्व कप्तान ने शाह के गृह मंत्री अमित शाह के बेटे होने के संदर्भ में कहा कि देखिए, उनके पास ताकत थी, समर्थन था, इसलिए आप उनसे एक खास तरह की सख्ती और जिद्दीपन की उम्मीद करते थे। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को आगे बढ़ाने के लिए काफी कुछ किया। यह पहला अवसर था जबकि गांगुली और शाह दोनों बीसीसीआई में एक साथ किसी पद पर थे। इससे पहले गांगुली बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष जबकि शाह गुजरात क्रिकेट संघ में पदाधिकारी थे। गांगुली की जगह 2022 में एक अन्य पूर्व टेस्ट खिलाड़ी रोजर बिन्नी को बीसीसीआई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जबकि शाह नवंबर 2024 तक सचिव बने रहे।
इसके बाद वह 36 वर्ष की उम्र में आईसीसी के सबसे युवा अध्यक्ष बने। एक राजनीतिक परिवार के वारिस और एक प्रसिद्ध क्रिकेट स्टार के बीच आपसी रिश्तों के बारे में पूछे जाने पर गांगुली ने कहा कि उनके बीच सौहार्द्रपूर्ण संबंध थे जो आज भी कायम हैं। हमारे बीच बहुत अच्छे संबंध थे और आज भी कायम हैं। जब वह सितंबर 2019 में गुजरात क्रिकेट संघ से सीधे बीसीसीआई में आए तो वह काफी युवा थे। वह काफी सहयोगी और मिलनसार व्यक्ति हैं। जाहिर तौर पर उनकी अपनी अलग सोच थी और यह सही भी है। वह कुछ नया करना चाहते थे और आज भी ऐसा करते हैं।