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नौ पदकों के साथ किया एशिया कप के दूसरे चरण का समापन
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। भारतीय जूनियर तीरंदाजों ने फाइनल में निराशाजनक प्रदर्शन किया और उसके सात में से पांच तीरंदाजों को हार का सामना करना पड़ा। इस तरह भारत ने एशिया कप के दूसरे चरण में दो स्वर्ण, छह रजत और एक कांस्य सहित कुल नौ पदक जीतकर अपने अभियान का अंत किया। भारत के पास इस टूर्नामेंट में सात स्वर्ण पदक जीतने का मौका था, लेकिन अधिकतर स्पर्धा में उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
रिकर्व और कम्पाउंड स्पर्धाओं के 10 में से सात फाइनल में पहुंचने के बावजूद भारतीय तीरंदाज केवल दो बार पोडियम पर शीर्ष पर रहे। भारतीय खिलाड़ी जिस तरह से अपने से कम रैंकिंग वाले खिलाड़ियों से हारे वह वास्तव में चिंताजनक है। हमेशा की तरह ओलंपिक स्पर्धा के रिकर्व वर्ग में नतीजे विशेष रूप से चिंताजनक रहे जिसमें भारत एक भी स्वर्ण जीतने में असफल रहा। असल में टीम स्पर्धाओं में दो रजत पदकों के अलावा रिकर्व तीरंदाज खाली हाथ लौटे।
क्वालिफिकेशन राउंड के बाद शीर्ष वरीयता प्राप्त पुरुष टीम फाइनल में जापान के खिलाफ आसानी से हार गई। विष्णु चौधरी, पारस हुड्डा और जुयेल सरकार तीन में से दो सेटों में 50 का आंकड़ा छूने में असफल रहे और सीधे सेटों में 6-0 से हार गए। रिकर्व मिश्रित टीम फाइनल में भी यही कहानी रही। चौधरी और वैष्णवी पवार की चौथी वरीयता प्राप्त टीम इंडोनेशिया के खिलाफ पूरे मुकाबले में गलतियां करती रही। यदि रिकर्व वर्ग के परिणाम निराशाजनक थे, तो कम्पाउंड वर्ग ने कुछ राहत प्रदान की। भारत ने अपने दोनों स्वर्ण पदक इस वर्ग में जीते।