News title should be unique not use -,+,&, '',symbols
21 जून को मुसलमान फजर की नमाज़ के बाद करें योग: फरहत अली खान
खेलपथ संवाद
लखनऊ। योग धर्म नहीं बल्कि जीने का मंत्र है, इस ध्येय वाक्य को आत्मसात कर चुके मुस्लिम महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरहत अली खान ऐसे शख्स हैं जिन्होंने पहले विश्व योग दिवस से आज तक 21 जून को रमजान, कोरोना या बारिश की परवाह किए बिना सभी योग आयोजनों को अहमियत देते हुए परिवार सहित भाग लिया है।
फरहत अली खान ने योग में ॐ का उच्चारण करने पर कट्टर पंथियों की धमकियां और फतवे भी झेले हैं। इसे वह लिए गर्व की बात मानते हैं। इनका कहना है कि योग आत्मा से परमात्मा का मिलन तो है ही साथ ही स्वस्थ जीवन जीने का आनन्द भी है। योग जिस्म ही नहीं रूह की बीमारियों को भी दूर करता है।
योग मानवता, विश्व शांति और एकता का प्रतीक भी है। योग को धर्मों के चश्मे से देखने वाले लोग समझें, यह नज़रिया योग की अहमियत को खत्म कर देता है। आइए इस योग दिवस पर विश्व शांति के लिए ईश्वर से विशेष प्राथना करें। ॐ शांति शांति, ए मेरे रब दुनियां में चैन अमन और खुशहाली अता फरमा। देश की दूसरी सबसे बड़ी आबादी मुस्लिम समाज से अपील है कि 21 जून को ख़ास बनाते हुए, फ़ज़र की नमाज़ के बाद किसी भी सामूहिक योग आयोजन में ज़रूर हिस्सा लें। यही योग और राष्ट्र प्रेम का प्रतीक और प्रमाण है।