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भारतीय दिग्गजों को भी रास नहीं आया ईसीबी का निर्णय
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। भारत के दिग्गज ऑलराउंडर कपिल देव ने पटौदी ट्रॉफी का नाम बदलकर एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी करने पर बुधवार को हैरानी जताते हुए इस फैसले को ‘अजीब’ बताया। मेजबान इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने हाल में पटौदी ट्रॉफी का नाम बदलकर एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी कर दिया है।
कपिल ने 1983 के विश्व कप में जिम्बाब्वे के खिलाफ टुनब्रिज वेल्स में हुए मैच में अपनी नाबाद 175 रन की यादगार पारी के उपलक्ष्य में ‘थ्री सिक्सटी’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के इतर कहा कि यह थोड़ा अजीब लगता है। क्या ऐसा भी होता है? लेकिन यह ठीक है, क्रिकेट में सब कुछ चलता है। उन्होंने कहा कि आखिरकार, कोई अंतर नहीं है। क्रिकेट तो क्रिकेट है। मैदान पर क्रिकेट एक जैसा होना चाहिए। ट्रॉफी का नाम पहले भारत के पूर्व कप्तान मंसूर अली खान पटौदी के सम्मान में रखा गया था।
नाम बदलने को लेकर सुनील गावस्कर जैसे दिग्गजों ने आलोचना की है। पटौदी ट्रॉफी की शुरुआत 2007 में इंग्लैंड की धरती पर दोनों टीमों के बीच श्रृंखला के विजेता के लिए प्रतिष्ठित पुरस्कार के रूप में की गई थी। इफ्तिखार अली खान पटौदी और उनके बेटे मंसूर दोनों ने भारत की कप्तानी की और दोनों ने इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट खेला। श्रृंखला का नाम बदल गया है, लेकिन पटौदी विरासत अब भी किसी न किसी रूप में मौजूद रहेगी क्योंकि विजेता टीम के कप्तान को अब पटौदी नाम वाला एक विशेष पदक दिया जाएगा।
रोहित शर्मा, विराट कोहली और आर. अश्विन जैसे दिग्गजों के बिना टेस्ट क्रिकेट में नए युग की शुरुआत कर रहा भारत नवनियुक्त कप्तान शुभमन गिल की अगुआई में इंग्लैंड में पांच मैचों की श्रृंखला की शुरुआत करेगा। कपिल ने इस 25 वर्षीय कप्तान को खुद को अभिव्यक्त करने की सलाह दी। कोई उम्मीदें नहीं हैं। बस जाओ, खेलो, खुद को अभिव्यक्त करो। यही ज्यादा महत्वपूर्ण है।
कपिल ने 18 जून को 42 साल पहले शानदार शतक जड़ा था। यह 66 वर्षीय खिलाड़ी उस बल्ले को लेकर आया, जिसका इस्तेमाल उन्होंने उस दिन टुनब्रिज वेल्स में किया था जहां उन्होंने भारत को पांच विकेट पर 17 रन के स्कोर से 266 रन तक पहुंचाया था। मेरे पास क्रिकेट की बहुत सारी चीजें नहीं हैं। मैंने उन्हें दे दिया है, लेकिन मेरे पास यह बल्ला है जो मेरी बेटी का है।
उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए एक खास दिन है, लेकिन मुझे इसके बारे में ज्यादा याद नहीं है। जो लोग मैच देखते हैं, वे इसे खेलने वालों की तुलना में अधिक याद रखते हैं क्योंकि हम मैच खेलने पर बहुत ध्यान केंद्रित करते हैं। कपिल ने कहा कि लेकिन जब लोग इसके बारे में बात करते हैं तो यह पुरानी यादें ताजा कर देता है और बहुत अच्छा लगता है।