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स्वर्ण पदक जीतने के बाद बोलीं ज्योति याराजी
खेलपथ संवाद
गुमी (दक्षिण कोरिया) । भारत की फर्राटा धाविका ज्योति याराजी ने स्वीकार किया कि वह 100 मीटर बाधा दौड़ में अपना खिताब बचाने के लिए तनाव में थीं, लेकिन पदक के बजाय समय पर ध्यान देने से उन्हें शांत रहने में मदद मिली। उन्होंने गुरुवार को एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में लगातार दूसरा स्वर्ण पदक जीता।
आंध्र प्रदेश की इस 25 वर्षीय खिलाड़ी ने 12.96 सेकंड का समय निकाला जो प्रतियोगिता का नया रिकॉर्ड है। पिछला रिकॉर्ड 13.04 सेकंड का था, जिसे 1998 में कजाकिस्तान की ओल्गा शिशिगिना और 2011 में चीन की सन यावेई ने बनाया था। एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता ज्योति एशियाई चैम्पियनशिप की 100 मीटर बाधा दौड़ में स्वर्ण पदक का बचाव करने वाली पांच एथलीटों के चुनिंदा क्लब में शामिल हो गईं। उनसे पहले यह उपलब्धि जापान की एमी अकीमोटो (1979, 1981, 1983) तथा चीन की तीन खिलाड़ियों झांग यू (1991, 1993), सु यिनपिंग (2003, 2005) और सुन यावेई (2009, 2011) ने हासिल की थी।
ज्योति ने बाद में कहा, 'निश्चित तौर पर मेरा लक्ष्य स्वर्ण पदक जीतना था, लेकिन मैंने टाइमिंग पर ध्यान केंद्रित किया क्योंकि जब आप पदक पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, तो आप दबाव महसूस करते हैं। इसलिए मैंने समय के बारे में सोचते हुए इसे सकारात्मक पक्ष में बदल दिया और यह वास्तव में काम आया।'
ज्योति ने 2023 में एशियाई चैंपियनशिप में 13.09 सेकंड के प्रयास के साथ स्वर्ण पदक जीता। उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय 12.78 सेकंड है जो राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी है। उन्होंने कहा, 'सच कहूं तो यहां एक और खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रही है। मैं अच्छा प्रदर्शन करने को लेकर थोड़ा तनाव में थी।'