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के.डी. मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राओं को बताए योग के लाभ
खेलपथ संवाद
मथुरा। योग निरोगी रहने का अचूक उपाय ही नहीं बल्कि मानव जीवन और सभ्यता के लिए भी वरदान है। हम नियमित सही तरीके से योग करके न केवल तरोताजा रह सकते हैं बल्कि स्वस्थ समाज का संदेश भी दे सकते हैं। यह सारगर्भित बातें 16 हजार किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर पहुंचे युवा योगाचार्य कृष्णा नायक ने छात्र-छात्राओं को बताईं।
कर्नाटक प्रदेश के मैसूर जिला निवासी योग प्रशिक्षक कृष्णा नायक कृष्णा ने छात्र-छात्राओं को बताया कि वह पिछले दो वर्षों से भारत, नेपाल और भूटान में ऐतिहासिक पदयात्रा कर रहे हैं। उनकी योग पदयात्रा 16 अक्टूबर, 2022 को शुरू हुई थी। पूर्व क्रिकेटर जवागल श्रीनाथ ने हरी झंडी दिखाकर उनकी पदयात्रा का शुभारम्भ किया था। कृष्णा नायक ने बताया कि उनकी इस पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य देश-दुनिया में योग और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना है। अब तक 16 हजार किलोमीटर से अधिक पदयात्रा कर चुके कृष्णा का यह स्वस्थ राष्ट्र अभियान अगले दो वर्षों तक जारी रहेगा।
वह बताते हैं कि उनकी यात्रा “Divided by Nations, United by Yoga” के संदेश को लेकर 20+ राज्यों से होकर गुजरी है, जिसमें कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। उन्होंने आईआईटी, एनआईटी, मेडिकल कॉलेज, ग्रामीण स्कूलों, दूरस्थ गांवों और सेना कैम्पों में योग जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर चुके हैं, विशेष रूप से इंडो-तिब्बत सीमा के पास भारतीय सैनिकों के बीच।
कृष्णा नायक अब तक हजारों छात्र-छात्राओं, संतों, अधिकारियों और आम नागरिकों को योग के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभों से अवगत करा चुके हैं। इस यात्रा के दौरान उन्हें पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों, कुलपतियों, प्रोफेसरों, उच्च सैन्य अधिकारियों, माननीय राज्यपालों, खेल मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों तथा संत-महात्माओं से मिलने और मार्गदर्शन प्राप्त करने का सौभाग्य मिला। उनकी यात्रा केवल व्यक्तिगत प्रयास नहीं बल्कि योग, शांति और पर्यावरण संतुलन को बढ़ावा देने वाला एक आंदोलन बन चुकी है।
इस अभियान में उन्होंने कई ज्योतिर्लिंगों, शक्तिपीठों और ऐतिहासिक स्थलों के दर्शन किए, जिससे उनका संकल्प और अधिक मजबूत हुआ। उन्होंने नेपाल और भूटान में बौद्ध भिक्षुओं और शिक्षकों के साथ योग कार्यशालाएँ भी आयोजित कीं। यात्रा के दौरान उन्होंने अत्यधिक ठंड, गर्मी, बारिश, खाद्य-संकट, भाषा की बाधाएँ और कई कठिन चुनौतियों का सामना किया। हिंदी भाषी राज्यों में संवाद करना एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि वे मूल रूप से कन्नड़ भाषी हैं। लेकिन उनकी संकल्पशक्ति और योग साधना ने उन्हें इन बाधाओं को पार करने में मदद की। कुछ महीनों में उन्होंने हिंदी में निपुणता हासिल कर ली, जिससे वे हजारों लोगों को योग सिखाने में सफल रहे।
उनका मिशन पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देता है। वे पेड़ लगाने, प्लास्टिक-मुक्त जीवनशैली अपनाने और प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने ग्रामीण और आदिवासी समुदायों, विद्यालयों, पुलिस विभागों और सामाजिक संगठनों में निःशुल्क योग प्रशिक्षण दिया है। कृष्णा नायक ब्रज क्षेत्र के आगरा और मथुरा जिले के प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में भी अलख जगा चुके हैं। अब वे मथुरा से नई दिल्ली और फिर कश्मीर की ओर बढ़ रहे हैं। इसके बाद वे कर्नाटक लौटेंगे तथा अपनी यात्रा के अगले चरण की योजना बनाएंगे। उनकी भविष्य की योजना योग को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल कराने, अपने निष्कर्ष अंतरराष्ट्रीय योग संस्थानों में प्रस्तुत करने तथा इस अभियान का विस्तार अन्य देशों तक करने की है। कृष्णा नायक की यह ऐतिहासिक यात्रा निश्चित रूप से भविष्य की युवा पीढ़ी को प्रेरित करेगी और योग, शांति एवं पर्यावरण संतुलन का एक अमूल्य उदाहरण स्थापित करेगी।