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हितेश ने रचा इतिहास, लगाया स्वर्णिम पंच
खेलपथ संवाद
नयी दिल्ली। भारतीय मुक्केबाजों ने ब्राजील के फोज डू इगुआकू में आयोजित विश्व मुक्केबाजी कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल छह पदक अपने नाम किए। इस अभियान में सबसे बड़ी उपलब्धि हितेश की रही, जिन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
भारत ने विश्व मुक्केबाजी द्वारा आयोजित किसी शीर्ष स्तरीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पहली बार हिस्सा लिया था। हितेश विश्व मुक्केबाजी कप में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बन गए हैं। उनके प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड के ओडेल कामारा चोट के चलते 70 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में रिंग में नहीं उतर सके।
इसके अलावा अभिनाश जामवाल ने 65 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में स्थानीय दावेदार यूरी रेइस को कड़ी टक्कर दी, लेकिन उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। भारत के जादुमणि सिंह मंदेंगबाम (50 किलोग्राम), मनीष राठौड़ (55 किलोग्राम), सचिन (60 किलोग्राम) और विशाल (90 किलोग्राम) ने कांस्य पदक हासिल किए।
हितेश ने अपनी सफलता का श्रेय ब्राजील में टूर्नामेंट से पहले आयोजित 10 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर को दिया। उन्होंने कहा, “शिविर ने मुझे रणनीतिक बारीकियां सीखने में मदद की, जिससे मुकाबलों में बेहतर प्रदर्शन कर सका। इस टूर्नामेंट ने हमें उच्चतम स्तर का अनुभव दिया और मुझे खुशी है कि मैं स्वर्ण पदक जीत सका।”
भारत ने इस प्रतियोगिता में 10 सदस्यीय दल उतारा था। यह पेरिस ओलम्पिक के बाद टीम का पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट था। इस प्रदर्शन से न केवल खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा बल्कि यह 2028 लॉस एंजिलिस ओलम्पिक की तैयारी के लिहाज से भी अहम कदम साबित होगा।
मुख्य बिंदुः भारत ने विश्व मुक्केबाजी कप में पहली बार हिस्सा लिया, हितेश बने स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय, कुल 6 पदक: 1 स्वर्ण, 1 रजत, 4 कांस्य, 10 सदस्यीय टीम ने भाग लिया, 2028 ओलम्पिक की तैयारी को मिलेगी मजबूती।