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लापरवाह सेवन पर विशेषज्ञों ने खिलाड़ियों को चेताया
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों ने पटियाला के नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान (एनआईएस) में हाल में संपन्न हुए एक सम्मेलन में खिलाड़ियों को 'हर्बल सप्लीमेंट' के सेवन में लापरवाही बरतने के प्रति चेतावनी दी। दो दिन के सेमिनार में 'हार्मोनाइजिंग मूवमेंट : शानदार प्रदर्शन के लिए योग को खेल विज्ञान के साथ एकीकृत करने' के बारे में खेल विज्ञान के कई विषयों पर चर्चा की गई।
भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के हाई परफोरमेंस निदेशक (एथलेटिक्स) वजीर सिंह फोगाट ने बताया कि एथलीट अक्सर ताकत, सहनशक्ति, प्रतिरक्षा और उबरने की प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए ‘हर्बल सप्लीमेंट’ का सहारा लेते हैं। साई की एक विज्ञप्ति में फोगाट के हवाले से कहा गया, 'आमतौर पर इन सप्लीमेंट को पारम्परिक तौर पर प्रदर्शन बढ़ाने वाली दवाओं के प्राकृतिक और सुरक्षित विकल्प के रूप में देखा जाता है।'
साई की वैज्ञानिक अधिकारी (पोषण) वाणी भूषणम गोला ने भी अनुचित उपयोग से जुड़े जोखिमों के बारे में चेतावनी दी। उन्होंने कहा, 'कई खिलाड़ी सही मार्गदर्शन के बिना ‘हर्बल सप्लीमेंट’ का सेवन करते हैं जिसके अधिक सेवन के कारण विषाक्तता या हार्मोनल असंतुलन हो सकता है। वहीं अपर्याप्त सेवन से कोई लाभ नहीं मिलता है।'
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में स्वस्थवृत्त के प्रमुख शिवकुमार हरती ने इस बात पर जोर दिया कि ‘हर्बल सप्लीमेंट’ में विशिष्ट औषधीय गुण होते हैं और इन्हें एथलीट के व्यक्तिगत लक्ष्यों, ट्रेनिंग के स्तर और उनके शरीर के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए और इन पर निगरानी रखी जानी चाहिए। विशेषज्ञों ने नींद और योग के महत्व पर भी प्रकाश डाला। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सतबीर सिंह खालसा ने कहा, 'शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की रिकवरी के लिए नींद बहुत महत्वपूर्ण है और इसलिए नींद के बारे में जागरूकता खेल शिक्षा का एक अभिन्न अंग होना चाहिए।'
भारतीय महिला टीम की पूर्व हॉकी कप्तान रानी रामपाल भी सिंह की बात से सहमत थीं। उन्होंने कहा, 'योग आपके दिमाग को नियंत्रित करने में मदद करता है और दबाव की स्थिति में यह आपको नियंत्रण में रखता है। अब खेलों में दिमाग पर नियंत्रण कौशल या शारीरिक क्षमता से कम महत्वपूर्ण नहीं है।'