Visit Website
Logout
Welcome
Logout
Dashboard
Social Links
Advertisment
Add / Edit Category
Add News
All News
Newspaper
Book
Videos
Bottom Marquee
About
Sampadika
Contact
Change Password
Dashboard
News Edit
Edit News Here
News Title :
News title should be unique not use -,+,&, '',symbols
News Image:
Category:
अपनी बात
शख्सियत
साक्षात्कार
आयोजन
मैदानों से
ग्वालियर
राज्यों से
क्रिकेट
स्लाइडर
प्रतिभा
अंतरराष्ट्रीय
शिक्षा
Description:
खेल मंत्रालय ने हटाया प्रतिबंध, विवाद खत्म होने के आसार
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को बड़ी राहत मिली है और खेल मंत्रालय ने महासंघ पर लगाया निलम्बन तत्काल प्रभाव से हटा लिया है। डब्ल्यूएफआई में पिछले कुछ वर्षों से विवाद चल रहा था और खेल मंत्रालय के इस फैसले के बाद विवाद खत्म होने के आसार नजर आ रहे हैं।
खेल मंत्रालय ने संजय सिंह की अगुआई वाली डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी समिति पर खेल संहिता के उल्लंघन के आरोप के चलते निलंबन लगाया हुआ था। कुश्ती की वैश्विक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) ने भी पिछले साल संजय सिंह की अगुआई वाली डब्ल्यूएफआई से निलंबन हटा दिया था। इसके बाद भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने भारत में कुश्ती का दैनिक कार्य देख रही भूपेंद्र सिंह बाजवा के नेतृत्व वाले तदर्थ समिति को भंग करने का निर्णय लिया था।
डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी समिति के अध्यक्ष संजय सिंह को भले ही यूडब्ल्यूडब्ल्यू और आईओए से राहत मिल गई थी, लेकिन केंद्र सरकार से उन्हें राहत मिलने का इंतजार था जो अब जाकर पूरा हुआ। सरकार ने डब्ल्यूएफआई पर नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए कार्रवाई की थी और चुनाव संपन्न होने के तीन बाद ही डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया गया था।
डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के नेतृत्व वाली समिति ने 21 दिसंबर 2023 को चुनाव जीता था। इसके बाद उन्होंने अंडर-15 और अंडर-20 वर्ग के राष्ट्रीय चैंपियनशिप कराने की घोषणा की थी। हालांकि, इस चैंपियनशिप का आयोजन स्थल गोंडा के नंदिनी नगर में रखा था जो बृजभूषण का गढ़ है। यह बात सरकार को चुभी थी। खेल मंत्रालय ने 24 दिसंबर 2023 को कार्रवाई करते हुए डब्ल्यूएफआई को निलंबित करने का फैसला किया था।
15 महीने बाद हटा निलंबन
डब्ल्यूएफआई के निलंबन के कारण पहलवानों को कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा था। इस वजह से महासंघ और खेल मंत्रालय के बीच टकराव की स्थिति भी पैदा हो रही थी जिसका सबसे ज्यादा नुकसान पहलवानों को हुआ। हालांकि, निलंबन हटने से घरेलू टूर्नामेंट आयोजित करने के रास्ते खुल गए हैं और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के चयन के लिए भी अब दुविधा नहीं होगी। मंत्रालय ने अपने आदेश में बताया कि डब्ल्यूएफआई ने सुधारात्मक कदम उठाए हैं जिस कारण उस पर लगे निलंबन को हटाया जाता है। खेल मंत्रालय ने इस तरह करीब 15 महीने बाद डब्ल्यूएफआई पर लगा निलंबन हटाया।
संजय सिंह ने जताया आभार
डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष संजय सिंह ने कहा, 'मैं इस फैसले के लिए मंत्रालय का आभार व्यक्त करता हूं। अब हम सुचारू रूप से काम कर सकेंगे। खेल के लिए यह बेहद जरूरी था। खिलाड़ी प्रतियोगिताओं में भाग नहीं ले पाने के कारण परेशान थे।' मंत्रालय ने हालांकि डब्ल्यूएफआई से कुछ निर्देशों का पालन करने को कहा है जैसे कि डब्ल्यूएफआई को यह सुनिश्चित करना होगा कि निर्वाचित पदाधिकारियों के बीच शक्ति का संतुलन बना रहे तथा वह स्वयं को निलंबित या बर्खास्त किए गए अधिकारियों से अलग रखे। नए महासचिव प्रेम चंद लोचब विरोधी खेमे से चुने गए थे और मंत्रालय के निर्देश को उसी संदर्भ में समझा जा सकता है।
मंत्रालय ने निर्देशों का पालन करने कहा
इसमें यह भी कहा गया है कि डब्ल्यूएफआई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए चयन खेल संहिता के मौजूदा प्रावधानों और यूडब्ल्यूडब्ल्यू द्वारा समय-समय पर जारी नियमों के साथ इस संबंध में जारी अन्य नवीनतम निर्देशों के अनुसार स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से किया जाना चाहिए। डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है जिसका पालन नहीं किया जा सकता।
मंत्रालय के निलंबन और प्रमुख पहलवान विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और सत्यव्रत कादियान द्वारा दायर अदालती मामलों के कारण भारतीय पहलवान जाग्रेब और अल्बानिया में रैंकिंग सीरीज टूर्नामेंट में भाग नहीं ले पाए थे। बृजभूषण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले पहलवानों ने तर्क दिया था कि निलंबित होने के कारण डब्ल्यूएफआई के पास राष्ट्रीय टीमों को चुनने का अधिकार नहीं है।