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दुबई के रेगिस्तान में रोहित के अजेय रणबांकुरों ने फतेह किया किला
खेलपथ संवाद
दुबई।
भारत ने रविवार को फाइनल में न्यूजीलैंड को 4 विकेट से हराकर रिकॉर्ड तीसरी बार चैम्पियंस ट्रॉफी अपने नाम की। राेहित शर्मा की कप्तानी में टी20 विश्व कप 2024 के बाद भारत ने यह दूसरा आईसीसी खिताब जीता। टीम इंडिया ने टूर्नामेंट में एक भी मैच गंवाये बिना 2002 और 2013 के बाद तीसरी बार खिताब जीता।
कोई दूसरी टीम तीन बार यह ट्रॉफी नहीं जीत पाई है। भारत ने 252 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 49वें ओवर में छह विकेट पर 254 रन बना जीत दर्ज की। प्लेयर ऑफ द मैच बने राेहित ने सबसे ज्यादा 76 रन बनाए। श्रेयस अय्यर ने 48, गिल ने 31 और अक्षर ने 29 रन का योगदान दिया। केएल राहुल ने नाबाद 34 व जडेजा ने नाबाद 9 रन बनाकर टीम को जीत तक पहुंचाया।
इससे पहले न्यूजीलैंड के बल्लेबाज भारतीय स्पिन गेंदबाजों की फिरकी में फंस गए। वरुण चक्रवर्ती व कुलदीप ने दो-दो विकेट चटकाए। भारत की जीत पर पूरे देश में जश्न मना। देशवासी होली से पहले ही जीत के रंग में रंगे नजर आये। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम नरेंद्र मोदी सहित तमाम हस्तियों ने टीम इंडिया को बधाई दी।
रोहित शर्मा ने दुबई के अरब रेगिस्तान में अपनी एक अलग ही कहानी रची। अपनी खराब फॉर्म और टीम की सफलता की कमी के लिए लंबे समय से आलोचना झेल रहे रोहित ने रविवार रात आईसीसी चैंपियनशिप जीतने के लिए भारत की अगुआई करते हुए अपने कई पहलुओं का प्रदर्शन किया। रोमांचक मुकाबले में जीत की राह पर बेशक उतार-चढ़ाव आये, लेकिन अंत में भारत के अनुभव और मैच की परिस्थितियों के लिए बेहतर संसाधनों ने टीम इंडिया को शिखर पर पहुंचा दिया।
252 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए रोहित की आक्रामक बल्लेबाजी से कहीं अधिक, खेल की रणनीतिक बारीकियों पर उनकी महारत ने इस जीत को आकार दिया। उन्हें एक मुश्किल विकेट पर पहले क्षेत्ररक्षण करने के लिए कहा गया, जहां 300 रनों के आसपास का कोई भी लक्ष्य रेगिस्तान की रेत पर नंगे पांव चलने जैसा होता। रोहित ने स्पिन विकल्पों का लगभग परफेक्शन के साथ इस्तेमाल करके भारत को खिताब की दहलीज तक पहुंचाने में मदद की।
रोहित की एकमात्र गलती, जो उनकी अपनी गलती नहीं थी, वह थी टॉस हारना और उस विकेट पर बाद में बल्लेबाजी के लिए भेजा जाना, जो देखने में तो समतल लग रही थी, लेकिन वास्तव में यह सूखी और खुरदरी थी। न्यूजीलैंड के खिलाड़ियों को इस बात का अहसास था कि ट्रैक धीमा है और बाद में स्पिन की पकड़ को तोड़ना उनके लिए कितना मुश्किल होगा, इसलिए उन्होंने शुरुआत में ही आक्रामक रुख अपनाया और ओपनिंग गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा दीं। बाएं हाथ के रचिन रवींद्र के दो कैच छूटे, लेकिन रन रुकना मुश्किल लग रहा था। कप्तान रोहित शर्मा के चेहरे पर मुस्कान की जगह एक उदासी छा गयी थी। कोच गौतम गंभीर के चेहरे पर हमेशा दिखने वाली उदासी ज्यादा बढ़ रही थी। दुबई की धूप भारतीयों पर कठोर लग रही थी। लेकिन, ज्यादा देर तक नहीं।
रोहित चतुर कप्तान हैं, गेम-प्लान बदला गया। पिछले मैचों में भारत के जादू वरुण चक्रवर्ती को पहले पावर प्ले में ही गेंद थमा दी गयी। बल्लेबाजों को इस ‘मिस्ट्री’ स्पिनर का टर्न समझ में नहीं आता, हालांकि ज्यादातर समय वे गेंद को अंदर (गुगली) लाते हैं। यहीं से मैच भी टर्न लेना लगा।
विलियम यंग ने लाइन और टर्न दोनों को गलत समझा और पगबाधा आउट हो गये। पहली सफलता मिलने के बाद, रोहित ने अपने दूसरे मिस्ट्री मैन को डबल स्ट्राइक करने के लिए चुना। अगर वरुण बल्लेबाजों पर मिसाइल फेंकते हुए दिखाई देते हैं, तो कुलदीप यादव गेंद को हवा में ऐसे अटकाते हैं, जैसे गुरुत्वाकर्षण का नियम उस पर लागू ही न हो।
रचिन रविंद्र को ‘चाइनामैन’ ने आउट किया, जबकि केन विलियमसन ने बहुत कोशिश की, लेकिन गेंद तक नहीं पहुंच पाए। गेंद कुलदीप के हाथों में वापस चली गयी। चार ओवर के अंतराल में खेल का रुख पलट गया। बिना किसी नुकसान के 57 रन से, न्यूजीलैंड अब 13 ओवर में 3 विकेट पर 75 रन पर था। स्टेडियम में भारतीय प्रशंसकों की आवाजें गूंजने लगीं और रोहित के चेहरे पर मुस्कान लौट आयी। पहले कुछ ओवरों में तेजी से रन बनाने के बाद न्यूजीलैंड के बल्लेबाज धीमी पिच पर भारतीय स्पिनरों के सामने संघर्ष करते नजर आए।
ऐसा नहीं है कि उन्होंने कोशिश नहीं की। मिचेल और फिलिप्स ने कुछ समय तक संघर्ष किया, लेकिन रन बनाना आसान नहीं था। मुश्किल पिच पर अलग-अलग विविधता वाले चार स्पिनरों के सामने शॉट लगाना आसान नहीं था। ऐसे में रोहित रिंग मास्टर की तरह खेल को नियंत्रित कर रहे थे।
अगर माइकल ब्रेसवेल ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए टीम को 250 के पार न पहुंचाया होता तो रोहित और अधिक संतुष्टि महसूस करते। हालांकि, भारत ने न्यूजीलैंड को एक चुनौतीपूर्ण, लेकिन हासिल करने योग्य स्कोर पर रोक दिया। रोहित ने सुनिश्चित किया कि भारत लक्ष्य का पीछा करते हुए शुरुआत में ही आक्रामक स्ट्रोक्स की झड़ी लगाकर लक्ष्य से आगे रहे। उन्होंने पहले ही ओवर की दूसरी गेंद पर छक्का लगाकर अपना दबदबा बनाने का इरादा दिखाया। उनके बल्ले से रन निकले, स्कोर तेजी से आगे बढ़ा और भारत सुरक्षित लग रहा था। न्यूजीलैंड के खिलाड़ियों ने हौसला बनाए रखा और एक बार जब स्पिनर आए तो मैच भारत के हाथों से फिसलने लगा। ग्लेन फिलिप्स ने मिड-ऑन पर एक शानदार कैच लेकर शुभमन गिल को आउट किया और इसके बाद विराट कोहली महज एक रन बनाकर पवेलियन लौट गए।
रोहित भी तेजी से रन बनाने के प्रयास में आउट हो गए, जिससे मैच रोमांचक मोड़ पर पहुंच गया। भारतीय बल्लेबाजों ने धर्य बनाए रखा, लेकिन इतनी देर तक नहीं कि वे आसान जीत सुनिश्चित कर सकें। श्रेयस अय्यर ने अपना संयम खो दिया, लेकिन केएल राहुल ने नहीं और भारत ने आखिरकार एक ओवर शेष रहते ट्रॉफी अपने नाम कर ली।