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भारतीय फुटबॉल के लिए अच्छे संकेत नहीं
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारत के महान फुटबॉलर सुनील छेत्री ने 40 साल की उम्र में संन्यास से वापसी करने का फैसला किया है। इस फैसले को अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) ने बुद्धिमता पूर्ण फैसला करार दिया। हालांकि, इससे कई गंभीर सवाल पैदा हो गए हैं। सबसे पहला सवाल यह है कि क्या इससे भारतीय फुटबॉल टीम की खराब स्थिति का पता चलता है।
यह भी सवाल उठता है कि क्या एक अरब 40 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में छेत्री का कोई रिप्लेसमेंट नहीं है? छेत्री ने पिछले साल अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास लिया था। वह भारत के लिए सबसे ज्यादा 94 गोल करने वाले खिलाड़ी हैं। लगभग दो दशक तक देश की सेवा करने के बाद उन्होंने आराम से जिंदगी जीने के बारे में सोचा था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
छेत्री अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय खिलाड़ियों की सूची में पुर्तगाल के स्टार स्ट्राइकर क्रिस्टियानो रोनाल्डो और अर्जेंटीना के लियोनेल मेसी के बाद तीसरे सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी हैं। हालांकि, उनका संन्यास लेने के एक साल से भी कम समय में वापसी करने का फैसला चौंकाने वाला है। यह भारतीय फुटबॉल के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। एआईएफएफ के मुताबिक, भारत के नए मुख्य कोच मनोलो मार्केज उन्हें संन्यास से वापसी करने के लिए मनाने में सफल रहे। मुख्य कोच ने उन्हें एएफसी एशिया कप 2027 के क्वालिफायर्स के अंतिम दौर के लिए टीम से जुड़ने का आग्रह किया था।
छेत्री अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास लेने के बाद भी इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में बेंगलुरु एफसी की तरफ से खेलते रहे। वह इस टूर्नामेंट के वर्तमान सत्र में अभी तक 23 मैच में 12 गोल कर चुके हैं। उनके इस प्रदर्शन के कारण ही राष्ट्रीय कोच ने उन्हें राष्ट्रीय टीम से जुड़ने के लिए कहा। आईएसएल में उनके प्रदर्शन से एआईएफएफ के अध्यक्ष कल्याण चौबे भी प्रभावित थे। चौबे ने कहा, ‘सुनील की नेतृत्व क्षमता बेजोड़ है। उनके जैसा खिलाड़ी पूरी टीम को प्रेरित कर सकता है। आईएसएल में उनकी फॉर्म भी शानदार रही है। उन्होंने 12 गोल किए हैं और उनके जैसे स्ट्राइकर से भारत को काफी फायदा हो सकता है।'
विजयन ने भी वापसी का किया समर्थन
अपने जमाने के दिग्गज स्ट्राइकर और एआईएफएफ की तकनीकी समिति के प्रमुख विजयन भी छेत्री की वापसी पर उत्साहित दिखे। उन्होंने कहा, 'राष्ट्रीय टीम के दृष्टिकोण से यह अच्छा फैसला है। आप मुझसे पूछ रहे हैं कि आप एक 40 वर्षीय खिलाड़ी को राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने के लिए वापस बुला रहे हैं, लेकिन पहले भी ऐसा होता रहा है। आप रोजर मिल्ला को देखें, जिन्होंने (38 साल की उम्र में) संन्यास से वापसी करके कैमरून को 1990 विश्व कप के क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालिफाई करने में मदद की थी। उम्र कोई कारक नहीं है, फिटनेस मायने रखती है और सुनील बेहद फिट हैं और वह बहुत अच्छा खेल भी रहे हैं।'
'
भारत में अच्छे स्ट्राइकर्स की खोज जारी'
हालांकि, विजयन ने स्वीकार किया कि अच्छे स्ट्राइकर का अभाव भारतीय फुटबॉल के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, 'हम अच्छे स्ट्राइकर की तलाश करने के लिए अपनी तरफ से भरसक प्रयास कर रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य से हमें अभी तक सफलता नहीं मिली है। आईएसएल में खेल रहे अधिकतर स्ट्राइकर विदेशी हैं। यही मौजूदा स्थिति है।'