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पीटी ऊषा ने तदर्थ समिति नियुक्त करने का बचाव किया
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) की प्रमुख पीटी ऊषा ने मुक्केबाजी के लिए तदर्थ समिति नियुक्त करने के फैसला का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) पिछले एक साल में अपनी मौलिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में विफल रहा है और व्यवस्था को बहाल करने तथा उचित प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए उनका यह कदम जरूरी था।
ऊषा का यह बयान आईओए के उपाध्यक्ष गगन नारंग के 28 फरवरी के पत्र के जवाब में आया है। पूर्व ओलम्पिक कांस्य पदक विजेता निशानेबाज ने उन पर मनमाने आदेश जारी करने और खिलाड़ियों के कल्याण को कम करने का आरोप लगाया था। नारंग आईओए कार्यकारी परिषद के सदस्य भी हैं। आईओए के आदेश पर दिल्ली उच्च न्यायालय के स्थगन के बावजूद ऊषा अपनी रुख पर दृढ़ता से कायम हैं। बीएफआई द्वारा दायर याचिका पर अदालत ने आईओए से जवाब मांगते हुए नोटिस जारी किया है।
ऊषा ने नारंग को भेजे जवाब में कहा, नारंग आपके इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है कि इस निर्णय या मेरी ओर से किसी कथित मनमानी कार्रवाई के कारण खिलाड़ियों को नुकसान हो रहा है। तदर्थ समिति नियुक्त करने का निर्णय मनमाना नहीं था, बल्कि व्यवस्था बहाल करने, उचित प्रशासन सुनिश्चित करने और खिलाड़ियों के विकास को प्राथमिकता देने के लिए एक आवश्यक कदम था। दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता यह है कि बीएफआई पिछले वर्ष राष्ट्रीय चैम्पियनशिप आयोजित करने सहित अपनी मूलभूत जिम्मेदारियों को पूरा करने में विफल रहा है।
उन्होंने कहा, एशियाई खेल (2026) नजदीक आ रहे हैं, ऐसे में नई प्रतिभाओं की पहचान करने, होनहार मुक्केबाजों का चयन करने और भारत की पदक सम्भावनाओं को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण या अभ्यास कार्यक्रमों को लागू करने के लिए बहुत कम या कोई प्रयास नहीं किया गया है।
आईओए ने 24 फरवरी को देश में मुक्केबाजी के मामलों की देखरेख के लिए पांच सदस्यीय तदर्थ समिति का गठन किया था। आईओए का आरोप है कि बीएफआई समय पर राष्ट्रीय महासंघ का चुनाव कराने में विफल रहा। बीएफआई ने आईओए के फैसले को अवैध करार दिया और आदेश को रद्द करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
नारंग ने यह भी दावा किया कि बीएफआई के संचालन के लिए तदर्थ समिति बनाने का ऊषा का फैसला आईओए की कार्यकारी समिति के परामर्श या अनुमोदन के बिना किया गया था। उन्होंने ऊषा से आदेश वापस लेने और विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए कार्यकारी समिति की आपातकालीन बैठक बुलाने का आग्रह किया था।