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देशभर के जाने-माने चिकित्सा विशेषज्ञ बताएंगे मोलेकुलर पैथोलॉजी की खूबियां
मथुरा। चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में चिकित्सा पेशेवरों को लगातार चिकित्सा शिक्षा से जुड़े नए-नए बदलावों की जानकारी देने को प्रतिबद्ध के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर, मथुरा के पैथोलॉजी विभाग द्वारा आठ मार्च को आणविक रोग विज्ञान में हुई हालिया प्रगति पर कंटीन्यूइंग मेडिकल एज्यूकेशन (सीएमई) का आयोजन किया जा रहा है। इस सीएमई में देश के जाने-माने चिकित्सा विशेषज्ञ मोलेकुलर पैथोलॉजी (आणविक विकृति विज्ञान) की हालिया प्रगति पर अपने अनुभव साझा करेंगे।
के.डी. मेडिकल कॉलेज की विभागाध्यक्ष पैथोलॉजी डॉ. प्रणीता सिंह ने बताया कि जलवायु संकट तथा एंटीबायोटिक प्रतिरोध के बढ़ते प्रभावों ने आणविक चिकित्सा को नया आयाम दिया है। अब गम्भीर से गम्भीर बीमारियों का पता खून की कुछ बूंदों से सहजता से लगाया जा सकता है। डॉ. प्रणीता सिंह का कहना है कि चिकित्सा क्षेत्र में तेजी से आणविक विकृति विज्ञान, निदान और चिकित्सा विज्ञान की लगातार विकसित हो रही तकनीकें सटीक चिकित्सा निदान और उपचार में काफी कारगर हैं। ऐसी स्थिति में चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग इन तकनीकी परिवर्तनों की जानकारी हासिल कर स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं।
कार्यशाला की समन्वयक और विभागाध्यक्ष डॉ. प्रणीता सिंह ने बताया कि ब्रज क्षेत्र में पहली बार हो रहे इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य चिकित्सकों को हालिया आणविक रोग विज्ञान में हुए परिवर्तनों की जानकारी प्रदान कर आमजन के सटीक उपचार में मदद करना है। डॉ. सिंह ने बताया कि इस कार्यशाला में डॉ. विवेक गुप्ता (एम.डी., पी.एच.डी.) (फैलोशिप इन मोलेकुलर पैथोलॉजी, यू.एस.ए.) विभागाध्यक्ष रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट विंग (जी.आई.एम.एस. ग्रेटर नोएडा), प्रो. (डॉ.) रीना दास (एम.डी.) प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष पी.जी.आई.एम.ई.आर., चण्डीगढ़, प्रो. (डॉ.) नीरज कुमारी (एम.डी., डी.एन.बी., एम.एन.ए.एम.एस.) विभागाध्यक्ष (पैथोलॉजी एण्ड लैब मेडिसिन) एम्स, रायबरेली, प्रो. (डॉ.) गीता यादव (एम.डी., पी.डी.सी.सी.) के.जी.एम.यू. लखनऊ, डॉ. अनिल टेरीगोपुला (एम.डी., डी.एन.बी.) सीनियर कंसल्टेंट, कोयम्बटूर मोलेकुलर डायग्नोस्टिक लैब्रोटरी, कोयम्बटूर, डॉ. अनुराधा चौगले (पी.एच.डी.) प्रोफेसर एण्ड फैकल्टी साइंटिस्ट, कंसल्टेंट मोलेकुलर लैब्रोटरी, टाटा मेमोरियल सेण्टर, मुम्बई, डॉ. वामशी कृष्णा थाम्पटम (प्रमुख जीनोमिक एण्ड क्लीनिकल साइटोजेनेटिक्स, नेशनल रेफरेंस लैब्रोटरी, डॉ. लाल पैथलैब्स, नई दिल्ली), प्रो. (डॉ.) अतिन सिंघई (एम.डी., पी.डी.सी.सी., एम.आई.सी.पी., एफ.आई.एस.यू.पी.) के.जी.एम.यू. लखनऊ आदि अपने अनुभवों का लाभ चिकित्सकों को प्रदान करेंगे।
डॉ. प्रणीता सिंह ने बताया कि आणविक रोग विज्ञान रोगों के निदान और उपचार में सहायता के लिए ऊतकों और कोशिकाओं में आणविक तथा आनुवांशिक परिवर्तनों के अध्ययन और व्याख्या पर ध्यान केंद्रित करता है। उन्होंने बताया कि आणविक रोग विज्ञान अपने व्यापक दायरे और अनुप्रयोग के द्वारा रोगों के निदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आणविक रोगविज्ञानी विशिष्ट आणविक परिवर्तनों को हिस्टोपैथोलॉजिकल निष्कर्षों, बायोमार्करों, नैदानिक डेटा और रोगी परिणामों के साथ सहसंबंधित करने के बाद चिकित्सकों का मार्गदर्शन करते हैं।
इस व्यापक बातचीत का उद्देश्य रोगों के सटीक निदान और उपचार को ठोस आधार प्रदान करना है ताकि रोगी को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ दिलाया जा सके। उन्होंने कहा कि आणविक पैथोलॉजी बुनियादी शोध और नैदानिक अनुप्रयोगों के बीच की खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इतना ही नहीं आणविक पैथोलॉजी अनुसंधान के द्वारा नवीनतम चिकित्सीय उपचार व निदान किए जा सकते हैं। डॉ. प्रणीता सिंह ने ब्रज मण्डल के सभी चिकित्सकों से https://conferences.kdmch.in पर अधिकाधिक संख्या में पंजीकरण कराकर सीएमई का लाभ लेने का आग्रह किया है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, प्रबंध निदेशक श्री मनोज अग्रवाल, डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने इस आयोजन के लिए पैथोलॉजी विभाग की सराहना की। डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों की जानकारी होना प्रत्येक चिकित्सक के लिए जरूरी है। किसी रोग की सटीक पहचान पैथोलॉजी बिना असम्भव है, ऐसे में यह सीएमई सभी चिकित्सकों के लिए लाभदायी साबित होगी।