News title should be unique not use -,+,&, '',symbols
हॉकी दिग्गज का जीवन बचाने चिकित्सकों के प्रयास जारी खेलपथ संवाद नई दिल्ली। पूर्व भारतीय फॉरवर्ड हॉकी खिलाड़ी और कोच जगबीर सिंह इस समय जीवन से संघर्ष कर रहे हैं। शुक्रवार को सीने में जकड़न की शिकायत के बाद उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां ऑपरेशन के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा। दो बार के ओलम्पियन हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) के लिए टीम गोनासिका के साथ राउरकेला पहुंचे थे। दोपहर को प्रशिक्षण सत्र के दौरान जगबीर को सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी धमनियों में अवरोध होने का पता चला। इलाज के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा। एक सूत्र के मुताबिक, जगबीर को टीम गोनासिका के प्रशिक्षण सत्र के बाद होटल जाने के बाद सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई। वह टीम से जुड़े हैं। उन्हें तुरंत अपोलो अस्पताल ले जाया गया, जहां वह अभी आईसीयू में हैं। 59 वर्षीय जगबीर ने 1988 में सियोल में हुए ओलंपिक और 1992 में बार्सिलोना में हुए खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने 1985 से 1996 के बीच भारत के लिए खेला, जिसमें सियोल में 1986 के एशियाई खेलों में कांस्य पदक और बीजिंग में 1990 के संस्करण में रजत पदक जीता। कुल मिलाकर उन्होंने 175 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले। जगबीर ने एथेंस में 2004 के ओलंपिक खेलों में भारतीय पुरुष टीम को कोचिंग दी थी। बता दें कि उत्तर प्रदेश के आगरा में एक सिख परिवार में जन्मे 59 वर्षीय जगबीर सिंह पूर्व ओलम्पियन हैं। उनके पिता दर्शन सिंह भी देश के लिए हॉकी खेलते थे। उन्होंने अपने शहर में अखिल भारतीय ध्यानचंद टूर्नामेंट कराया था। वहीं जगबीर सिंह ने दो बार 1988 के सियोल ओलंपिक और 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया। देश के लिए वे साल 1985 से 1996 तक खेले। अपने 16 साल के करियर में उन्होंने 175 इंटरनेशनल मैच खेले। वे अपने समय के धुरंधर फॉरवर्ड थे। हॉकी खेलना छोड़ने के बाद उन्होंने हॉकी सिखाने का फैसला लिया। वे कोच बन गए और साल 2004 के एथेंस ओलम्पिक के लिए भारतीय पुरुष हॉकी टीम को तैयार किया। जगबीर सिंह ने 1990 के दशक में हॉकी के लिए कमेंट्री भी की। उन्हें 1990 में भारत सरकार द्वारा अर्जुन अवॉर्ड देकर सम्मानित किया गया था। साल 2004 में उन्हें लक्ष्मण अवॉर्ड मिला। साल 2015-16 के लिए सर्वोच्च नागरिक सम्मान यश भारती अवॉर्ड भी उन्हें दिया गया। मार्च 2017 में भारत सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय ने उन्हें हॉकी के लिए नेशनल सुपरवाइजर बनाया।