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लगातार बढ़ता बजट, आबाद होती अधोसंरचनाएं लेकिन सब परेशान
माधवी शर्मा
ग्वालियर। हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, 2036 ओलम्पिक की मेजबानी की सपना देख रहे हैं लेकिन जमीनी हालात बद से बदतर हैं। शारीरिक शिक्षक, स्वास्थ्य अनुदेशक, खेल प्रशिक्षक और योग गुरु वेतन विसंगति को दूर करने अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं, क्योंकि हमारे जनप्रतिनिधि इनकी तंगहाली दूर करने की बजाय इन्हें सिर्फ आश्वासन का झुनझुना थमा रहे हैं। विडम्बना तो यह कि ओलम्पिक की मेजबानी का सपना देखने वालों को यही पता नहीं कि भारत का कोई राष्ट्रीय खेल ही नहीं है।
भारत ने भले ही हॉकी में आठ ओलम्पिक गोल्ड मेडल, कबड्डी में कई विश्व कप और क्रिकेट में कई खिताब जीते हों लेकिन भारत के पास ऐसा कोई खेल नहीं है जिसे वह अपना कह सके। भारत सरकार ने कई तत्वों (एलिमेंट्स) को प्रतीकों के रूप में चुना है जो राष्ट्र की पहचान, विरासत को परिभाषित करते हैं लेकिन दुख की बात है कि खेलों का कोई प्रतीक ही नहीं है। कुछ साल पहले तक कालजयी मेजर ध्यानचंद की जयंती 29 अगस्त को खेल दिवस पर जो राष्ट्रीय खेल अवॉर्ड वितरित किए जाते उस पर भी ग्रहण लग चुका है।
भारतीय हॉकी टीम ओलम्पिक के इतिहास की सबसे सफल टीम है। इस टीम ने आठ गोल्ड, एक सिल्वर और चार ब्रॉंज मेडल जीते हैं। इस टीम ने साल 1928 से 1956 तक अपना स्वर्णिम दौर देखा, जब उसने लगातार 6 गोल्ड मेडल जीते। भारत ने दुनिया को कुछ बेहतरीन फील्ड हॉकी खिलाड़ी भी दिए, जिनमें हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद, बलबीर सिंह सीनियर और धनराज पिल्लै आदि शामिल हैं।
उदाहरण के लिए बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है, मोर राष्ट्रीय पक्षी है और कमल राष्ट्रीय फूल है। यह भारतीयों के लिए बहुत सामान्य ज्ञान है और हम इनसे आसानी से जुड़ सकते हैं। आम लोगों को ऐसा लगता है कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है जोकि गलत है। हॉकी की तरह भारतीय कबड्डी टीम ने भी दुनिया में अपने देश का नाम रोशन किया है। भारतीय कबड्डी टीम ने अब तक लगभग सभी वर्ल्ड कप इवेंट में जीत हासिल की और एशियन गेम्स में सात स्वर्ण पदक जीते लेकिन कबड्डी भी हमारा राष्ट्रीय खेल नहीं है। जो लोग वर्तमान में लोकप्रिय क्रिकेट का पक्ष ले रहे हैं, वे भी गलत हैं। अगर फैक्ट के साथ बात करें तो भारत का कोई राष्ट्रीय खेल है ही नहीं।
वर्ष 2020 में महाराष्ट्र राज्य के धुले जिले के एक स्कूल शिक्षक ने सरकार के साथ आरटीआई (सूचना का अधिकार) दायर की। इसमें वह यह जानना चाहते थे कि हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल कब घोषित किया गया था। युवा मामलों और खेल मंत्रालय ने इसका जवाब देते हुए कहा कि "सरकार ने किसी भी खेल को देश का राष्ट्रीय खेल घोषित नहीं किया है क्योंकि सरकार का उद्देश्य सभी लोकप्रिय स्पोर्ट्स डिसिप्लिन को बढ़ावा देना है।"
टोक्यो और पेरिस ओलम्पिक में भारतीय हॉकी टीम के शानदार प्रदर्शन के बाद इस खेल के चाहने वाले अब चाहते हैं कि हॉकी को राष्ट्रीय खेल घोषित किया जाए। टोक्यो और पेरिस ओलम्पिक में पुरुष टीम ने कांस्य पदक जीते और लगभग चार दशक के ओलम्पिक पदक के इंतजार को खत्म किया। टोक्यो ओलम्पिक में भारतीय महिला हॉकी टीम जहां पदक के करीब पहुंची वहीं वह पेरिस ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई भी नहीं कर सकी। यह महिला हॉकी टीम के लिए किसी सदमे से कम नहीं कहा जा सकता।
भारतीय राष्ट्रीय खेल को लेकर एक वकील ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) भी दायर की, जिसमें सुप्रीम कोर्ट से भारत सरकार को हॉकी को राष्ट्रीय खेल बनाने और उसके पूर्व गौरव को वापस लाने में मदद करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था। हालांकि, इस याचिका को देश की सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया था। हम आपको बता दें यदि सरकार आधिकारिक तौर पर हॉकी या किसी अन्य खेल को राष्ट्रीय खेल घोषित नहीं कर देती, तब तक भारत का कोई राष्ट्रीय खेल नहीं है। जब भी खेलप्रेमियों से भारत के राष्ट्रीय खेल के बारे में पूछा गया, तो सभी को लगा कि इसका जवाब हॉकी होगा। इस खेल को भारत में मिली अभूतपूर्व सफलता और सम्मान को देखते हुए ऐसा लगना लाजमी भी है। जब देश का कोई राष्ट्रीय खेल नहीं, जमीनी स्तर पर खिलाड़ी-खेलगुरु परेशान हैं तो फिर यह अरबों का खेल बजट आखिर कहां खुर्द-बुर्द हो रहा है।