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प्रबन्धन एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विद्वतजनों का मंथन
राजीव एकेडमी के निदेशक व विभागाध्यक्ष ने भी साझा किए विचार
मथुरा। नई दिल्ली स्थित इग्नू यूनिवर्सिटी कैम्पस में प्रबन्धन एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर आयोजित दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में देशभर के विद्वतजनों ने अपने-अपने विचार साझा किए। विद्वानों ने युवा पीढ़ी का आह्वान किया कि वे विदेशों की तरफ भागने की बजाय भारतीय शिक्षा पद्धति को अपनाएं। नई शिक्षा नीति पर आयोजित कॉन्फ्रेंस में राजीव एकेडमी के निदेशक प्रो. अभिषेक कुमार सिंह तथा विभागाध्यक्ष प्रबंधन डॉ. विकास जैन ने भी अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किए।
प्रबन्धन एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 विषय पर हुई राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में विद्वतजनों ने कहा कि अब शिक्षा में ऐसी नई चीजें लाई जाएं जिससे सम्पूर्ण शिक्षा तंत्र में पूर्ण सुधार हो सके। इस अवसर पर एआईसीटीई के चेयरमैन प्रो. टी.जी. सीतारमण ने बताया कि नई शिक्षा नीति से हमने अब तक क्या क्या उपलब्धियां हासिल कीं तथा आगे क्या-क्या सुधार करने हैं। डॉ. अतुल कोठारी (राष्ट्रीय सचिव शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली) ने कहा कि आज का युवा नित नई ऊंचाईयों पर पहुंच रहा है। हमें अब युवाओं की शिक्षा के साथ भारत को विश्वस्तर पर स्थापित करना है।
प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल कुलपति, गुरुघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षा में हमें नए आयाम जोड़ने होंगे। हमें युवाओं को बुलंदियों पर ले जाना है। प्रो. अभिषेक कुमार सिंह भदौरिया ने कहा कि नई शिक्षा नीति को लागू करके रोजगार के अधिक से अधिक अवसर पैदा करने होंगे। डॉ. जयेन्द्र सिंह जाधव (राष्ट्रीय संयोजक प्रबन्धन शिक्षा, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास) ने कहा कि हम कक्षाओं में छात्र-छात्राओं के सामने पश्चिमी सभ्यता के उदाहरण देने से बचें। हम अपनी कक्षाओं में छात्र-छात्राओं को भारतीय मूल से जुड़े उद्योगपतियों के उदाहरण दें।
डॉ. जाधव ने भगवान श्रीकृष्ण को विश्व का सर्वोच्च मैनेजमेंट गुरु बताते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता के वे सर्वोच्च प्रबंधन के ज्ञाता थे। हमें श्रीकृष्ण के उदाहरण कक्षाओं में देने चाहिए। डॉ. आलोक चौबे (कुल सचिव इग्नू) ने कहा कि हमारा युवा विदेश खासकर पश्चिमी देशों की ओर भाग रहा है जबकि हमारी पद्धति और गुरुकुलों का प्रबंधन आज भी सबसे उत्तम है।
उन्होंने कहा कि तक्षशिला और नालन्दा विश्वविद्यालय विश्व के प्रथम विश्वविद्यालय थे जहाँ विदेशों से कई हजार विद्यार्थी अध्ययन करने आया करते थे तथा उन्हें कई प्रकार के विषयों की शिक्षा दी जाती थी। युवा पीढ़ी को आज पश्चिम की ओर भागने की बजाय उसे अपने अतीत को देखकर कार्य करना चाहिए। राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में न्यू एज्यूकेशन पॉलिसी-2020 पर कई अन्य विद्वानों ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। अंत में प्रो. उमा कांजीलाल (कुलपति इग्नू) ने देशभर से आए सभी विद्वतजनों का आभार माना।