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सपना पूरा होने पर साझा किया अपना अनुभव खेलपथ संवाद सिंगापुर। विश्व चैम्पियन बनने के बाद भारतीय गैंडमास्टर डी गुकेश ने अपनी मां से फोन पर बातचीत की। गुकेश ने कहा कि वह और उनकी मां फोन पर बातचीत के दौरान रो रहे थे। अपने माता-पिता के योगदान के बारे में गुकेश ने कहा, विश्व शतरंज चैम्पियनशिप जीतने का सपना उनके लिए मुझसे बड़ा है। गुकेश ने कहा, मुझे भगवान पर भरोसा है और कई मौकों पर मेरी मदद भी की है। इसका उदाहरण पिछले साल कैंडिडेट्स के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाया था और फिर बाद में भगवान ने मुझे कई मौके दिए। उन्होंने कहा, शतरंज का आनंद लेते रहो। तुम एक दिन अपना सपना पूरा करोगे। गुकेश ने कहा, मैं छह या सात साल की उम्र से विश्व चैंपियन बनने का सपना देख रहा था और इस पल को जी रहा था। हर शतरंज खिलाड़ी इस पल को जीना चाहता है। गुकेश ने कहा, विशी सर (विश्वनाथन आनंद) कभी भी आधिकारिक तौर पर टीम का हिस्सा नहीं थे, लेकिन हम सभी जानते हैं कि वह मेरा समर्थन कर रहे थे। उन्होंने एक प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया, लेकिन कुछ सत्रों के लिए दूर से भी मदद की। गुकेश ने कहा, 2013 में मैंने विशी सर और मैग्नस को देखा और सोचा, एक दिन वहां होना वाकई बहुत अच्छा होगा और वास्तव में वहां होना और वहां बैठना और मेरे बगल में भारतीय ध्वज देखना शायद सबसे अच्छा क्षण था। जब कार्लसन जीते थे तो मैंने सोचा कि मैं एक दिन यह खिताब भारत वापस लेकर आऊंगा। मेरी नजर में लिरेन विश्व चैम्पियन गुकेश ने कहा, सभी जानते हैं कि डिंग लिरेन कौन हैं। वह कई वर्षों से इस खेल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक रहे हैं। मेरे लिए वह असली विश्व चैम्पियन हैं। लिरेन ने एक सच्चे चैम्पियन की तरह लड़ाई लड़ी और मुझे डिंग और टीम के लिए खेद है। मैं अपने प्रतिद्वंद्वी को धन्यवाद देना चाहता हूं।