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देश को दिए कई ग्रैंडमास्टर: बच्चों को सिखाई जाती शतरंज की चाल खेलपथ संवाद नई दिल्ली। भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश गुरुवार को सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैम्पियन बने। उन्होंने चीन के डिंग लिरेन को 7.5-6.5 से हराकर यह गौरव हासिल किया। मैच के बाद गुकेश रो पड़े थे क्योंकि उनके बचपन का सपना पूरा हो गया था। गुकेश की जीत के बाद उनके स्कूल वेलाम्मल विद्यालय में जश्न का माहौल था, जो अपने इस स्टार का स्कूल परिसर में स्वागत करने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहा है। वेलाम्मल संस्थान के लम्बे इतिहास में यह शानदार क्षण है। यह सिर्फ इस शहर में नहीं बल्कि पूरे देश में शतरंज की क्रांति के पीछे उत्प्रेरक ताकत रहा है। विश्व चैम्पियन गुकेश और आर प्रज्ञानंद भी इसी स्कूल का हिस्सा रहे हैं। वेल्लाम्मल स्कूल सैकड़ों उभरते शतरंज खिलाड़ियों को विशेषज्ञ प्रशिक्षण प्रदान करता है। उनके कोर्स में ही पढ़ाई के साथ-साथ शतरंज की सीख भी शामिल है। पूर्व चैम्पियन विश्वनाथन आनंद इस संस्थान में बच्चों को शतरंज की बिसात सिखाते हैं। वेलाम्मल में शतरंज के सह-समन्वयक एस वेलावन का कहना है, 'शतरंज हमेशा से शहर की संस्कृति का हिस्सा रहा है और शतरंज को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने के फैसले ने वास्तव में इसे फलने-फूलने में मदद की है। निश्चित रूप से प्रेरणा लेने के लिए उनके पास विश्वनाथन आनंद जैसे चैम्पियन भी हैं।' फिलहाल वेलाम्मल में हर कोई विश्व चैम्पियन गुकेश का स्कूल परिसर में स्वागत करने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहा है। चेन्नई में घुसते ही शतरंज के साथ शहर के समृद्ध रोमांस देखने लायक है। शतरंज बोर्ड के रूप में सजाया गया नेपियर ब्रिज, कई इमारतों की दीवारों पर शतरंज के बोर्ड की झलकियां या कोचिंग सेंटरों के विज्ञापन, शहर में कई जगह आपको यह देखने को मिल जाएंगे। इन सभी के पीछे एक संस्थान है और वह है वेल्लाम्मल संस्थान। यह एक ऐसा चेस नर्सरी यानी पढ़ाई का संस्थान है, जहां से गुकेश और प्रज्ञानंद ने खेल की पेंचीदगियों को सीखा है। वेलाम्मल में शतरंज के सह-समन्वयक वेलावन बताते हैं, 'चूंकि यहां आने वाले अधिकांश बच्चों की शतरंज में वास्तविक रुचि है, इसलिए हमें उन्हें आगे बढ़ाने की जरूरत नहीं है। वे पढ़ाई और शतरंज को अच्छी तरह से जोड़ते हैं और दोनों के बीच तालमेल बैठाने में सक्षम हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, शतरंज खेलने वाले छात्रों ने अपनी पढ़ाई में भी बेहतर प्रदर्शन किया है।' वेलावन ने चेन्नई में तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता द्वारा 2013 में स्कूलों में शुरू किए गए '7 से 17 कार्यक्रम' का भी उल्लेख किया। उसी साल चेन्नई में विश्वनाथन आनंद और मैग्नस कार्लसन के बीच विश्व शतरंज चैंपियनशिप का मुकाबला भी खेला गया था, तब कार्लसन आनंद को हराकर विश्व चैंपियन बने थे। वेल्लाम्मल स्कूल्स के शतरंज के प्रति समर्पित दृष्टिकोण ने शानदार परिणाम भी दिए हैं। वेलम्मल इंस्टीट्यूशंस ने लगातार पांच वर्षों तक विश्व स्कूल शतरंज चैम्पियनशिप जीती और गुकेश और प्रज्ञानंद, दोनों ही 2021 में विजेता टीम का हिस्सा थे। यह देखना आश्चर्यजनक नहीं है कि 2005 के बाद से कई ग्रैंडमास्टर्स इस स्कूल से निकले हैं। इनमें एसपी सेतुरमन, लियोन मेंडोंका, के प्रियदर्शन, बी अधिबन, विष्णु प्रसन्ना, विशाख एनआर, विग्नेश एनआर, एम कार्तिकेयन, सी अरविंद, कार्तिक वेंकटरमन, वी प्रणव, एस भरत, अर्जुन कल्याण, पी कार्तिकेयन, एन श्रीनाथ, जबकि महिला ग्रैंडमास्टर्स में वर्षिनी एस (वेलावन की बेटी), वैशाली आर (प्रज्ञानंद की बहन), आर रक्षित और बी सविता श्री शामिल हैं। वेलावन बताते हैं, 'हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि बच्चे किसी भी शतरंज टूर्नामेंट में नियमित रूप से खेलें ताकि वे लंबे समय तक खेल से दूर न रहें। सिर्फ एक खिलाड़ी के तौर पर आगे बढ़ना अच्छा नहीं होगा। उन्हें सफल होने के लिए अंडर-11, अंडर-15 या अंडर-17 जैसे सभी जूनियर स्तर पर खेलना होगा। यह उन्हें अपने तरीके से कठिन प्रतियोगिताओं के लिए मानसिक रूप से तैयार रखता है और वे अपने विरोधियों या प्रतिस्पर्धी माहौल से नहीं डरेंगे। यह उनके लिए चुनौतियों की शुरुआत है। अब कई बच्चे शतरंज में करियर बनाने के लिए स्कूल में दाखिला लेने की कोशिश कर रहे हैं।' बाहर से ज्यादा से ज्यादा कोच लाने की कोशिश वेलावन ने कहा कि वेल्लाम्मल संस्थान खिलाड़ियों के एक बड़े पूल की जरूरतों को पूरा करने के लिए बाहर से अधिक कोच लाने की कोशिश कर रहे हैं और उम्मीदवारों के लिए अधिक आधुनिक सुविधाओं और शतरंज साहित्य की व्यवस्था कर रहे हैं। देश की शतरंज राजधानी के रूप में चेन्नई के उभरने से किसी को ज्यादा आश्चर्य नहीं हुआ है। एआईसीएफ के उपाध्यक्ष डीपी अनंत इसे 1970 के दशक से जोड़ते हैं। डीपी अनंत बताते हैं, 'बेंगलुरु और चेन्नई (तब मद्रास) में तब निजी शतरंज संस्थान थे। मुझे अभी भी याद है कि चेन्नई में ताल शतरंज क्लब वार्षिक कार्यक्रम आयोजित करता था और मैनुअल एरॉन जैसे कुछ बड़े नाम उसमें खेलते थे। प्रतियोगिता जीतना प्रतिष्ठित होता था क्योंकि कुछ स्थानीय खिलाड़ी भी अपने पसंदीदा खिलाड़ियों को परेशान कर दिया करते थे। उन्होंने उस परंपरा को बहुत लगन से निभाया है।' गुकेश और प्रज्ञानंद ने एक नई लहर शुरू की ताल क्लब, जिसे पूर्व सोवियत संघ के समर्थन से शुरू किया गया था, अब संचालित नहीं है, लेकिन वेल्लाम्मल जैसे संस्थानों ने यह सुनिश्चित किया है कि चेन्नई शहर शतरंज के पतन से नहीं गुजरेगा। मौजूदा समय में चेन्नई में 60 से अधिक मान्यता प्राप्त शतरंज अकादमियां चलती हैं। इनमें ग्रैंडमास्टर आरबी रमेश द्वारा शतरंज गुरुकुल भी शामिल है। वह प्रज्ञानानंद के गुरु हैं। वेलावन कहते हैं, 'शतरंज में मजबूत परंपरा को जारी रखना बड़ी मेहनत का काम है। हम बहुत सारे नए खिलाड़ियों को शतरंज में उभरते हुए देखने के लिए उत्साहित हैं क्योंकि गुकेश और प्रज्ञानंद ने एक नई लहर शुरू की है।'