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देश में अल्पाइन स्कीइंग और क्रॉस कंट्री स्कीइंग बहुत लोकप्रिय
चैम्पियन विकास राणा की राह का कांटा बनी एडहॉक कमेटी
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। भारतीय शीतकालीन खेलों पर एडहॉक कमेटी की बर्फ जमी है। एडहॉक कमेटी के लोग ही इस खेल को रसातल पर ले जाने का काम कर रहे हैं। देश में अल्पाइन स्कीइंग और क्रॉस कंट्री स्कीइंग बहुत लोकप्रिय हैं लेकिन शीतकालीन खेलों की बात करें तो भारत की ओर से ओलम्पिक पदक किसी भी खिलाड़ी ने अभी तक नहीं जीता है। शीतकालीन खेलों में रुचि रखने वालों का मानना है कि यदि निष्पक्ष चयन प्रक्रिया काम करे तो भारतीय खिलाड़ी भविष्य में अल्पाइन स्कीइंग में जौहर दिखा सकते हैं। देखा जाए तो पिछले कुछ ओलम्पिक खेलों में इस खेल में कई खिलाड़ियों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
हमारे देश के वातावरण को देखते हुए यहां शीतकालीन खेलों की लोकप्रियता और खिलाड़ियों के लिए सफल होना बहुत कठिन हो जाता है। भारत में कुछ ही क्षेत्र ऐसे हैं जहां खिलाड़ी साल में कुछ ही महीने अभ्यास कर पाते हैं। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर दो ऐसे प्रदेश हैं जहां अल्पाइन स्कीइंग और क्रॉस कंट्री स्कीइंग बहुत लोकप्रिय हैं। समय समय पर यहां से कुछ खिलाड़ी तो निकले लेकिन अंतरराष्ट्रीय फलक में चमक बिखेरने से पहले ही विलुप्त हो गए।
मौजूदा समय में हरियाणा के जींद के उचाना क्षेत्र के सुखैन खुर्द गांव की रहने वाली विकास राणा शीतकालीन खेलों की संचालन संस्था यानी एडहॉक कमेटी की कारगुजारियों के चलते अपने सपनों को साकार करने से वंचित है। विकास राणा की उपलब्धियां अन्य खिलाड़ियों से कहीं बेहतर हैं लेकिन उसकी उपलब्धियां नियम विरुद्ध एडहॉक कमेटी में जमे आरिफ खान और थेक्कडा नंजुगुंडा भवानी को कतई दिखाई नहीं दे रहीं। विकास राणा ने स्कीइंग में कई कीर्तिमान बनाए हैं।
विकास राणा ने पिछले साल जर्मनी में आयोजित क्रॉस कंट्री स्कीइंग चैम्पियनशिप में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा था। इस बेटी ने 10 किलोमीटर में भी दूसरा स्वर्ण पदक जीता। विकास राणा यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर 5,642 मीटर की ऊंचाई से स्कीइंग करते हुए नीचे आई, यह साहसिक कारनामा करने वाली वह देश की पहली खिलाड़ी बनीं। स्कीइंग खिलाड़ी के तौर पर इंडियन बुक रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाने वाली विकास राणा पहली महिला खिलाड़ी बनी।
हरियाणा की यह बेटी एशियाई खेलों में भी भारत का नेतृत्व कर चुकी है। विकास हरियाणा की पहली महिला बाइथलान खिलाड़ी हैं। विकास फिलवक्त अपने साथ हो रही नाइंसाफी से काफी परेशान हैं। उसने भारतीय ओलम्पिक संघ की अध्यक्ष पी.टी. ऊषा को पत्र लिखकर इंसाफ मांगा है। लगभग एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी पीटी ऊषा ने इस बेटी को कोई जवाब नहीं दिया है। भारत में शीतकालीन खेलों के भविष्य पर बातें तो बहुत की जाती हैं लेकिन दूसरी तरफ विकास राणा जैसी बेटियों के पैरों पर जंजीर बांधने का काम किया जाता है।
भारत के मनाली और गुलमर्ग शहरों के कई प्रतिभाशाली युवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं लेकिन ओलम्पिक पदक उनकी पहुंच से दूर रहा। जब भी भारत में शीतकालीन खेलों का इतिहास लिखा जाएगा अल्पाइन स्कीइंग में हिमाचल के ठाकुर परिवार के खिलाड़ियों का जिक्र जरूर होगा। मनाली में बसे इस परिवार के सबसे बड़े सदस्य रोशन ठाकुर राष्ट्रीय स्कीइंग चैम्पियन रह चुके हैं जबकि उनके बेटे हिमांशु ठाकुर एक बार शीतकालीन ओलम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इतना ही नहीं हिमांशु की छोटी बहन आंचल ठाकुर अपने भाई की ही तरह भारत का प्रतिनिधित्व शीतकालीन ओलम्पिक खेलों में करना चाहती है।
भारत की अल्पाइन स्कीयर शैलजा कुमार शीतकालीन ओलम्पिक खेलों में भाग लेने वाली पहली महिला खिलाड़ी थीं और उसके बाद नेहा आहूजा ने भी शीतकालीन ओलम्पिक खेलों में भाग लिया। जम्मू और कश्मीर के रहने वाले आरिफ खान राष्ट्रीय चैम्पियन रह चुके हैं लेकिन 2019 से उन्होंने किसी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में दमखम नहीं दिखाया है। एडहॉक कमेटी के सदस्य आरिफ खान अब राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शिरकत करना अपनी तौहीन समझते हैं। थेक्कडा नंजुगुंडा भवानी भी भाग्य और एडहॉक कमेटी के रहमोकरम पर खेल जारी रखे हुए हैं।
भारत ने शीतकालीन ओलम्पिक खेलों ने अभी तक पदक नहीं जीता है लेकिन अल्पाइन स्कीइंग की प्रगति को अगर संज्ञान में लें तो पहला पदक इसी खेल से आने की आशा है। भारत में स्कीइंग के क्षेत्र में बेहतरी की उम्मीदें हैं। भारतीय स्कीयरों के पास एफआईएस विश्व कप में भाग लेने का मौका है लेकिन यह तभी सम्भव है जब विकास राणा जैसी लड़कियों को पर्याप्त अवसर मिलें। इस खेल को लेकर एडहॉक कमेटी के लोगों का जो नजरिया है, उसे देखते हुए नहीं लगता कि कुछ बेहतर होगा।एडहॉक कमेटी के चेयरमैन का यह दायित्व है कि चयन निष्पक्ष हो तथा किसी भी खिलाड़ी के पिछले प्रदर्शन पर ध्यान दिया जाना भी जरूरी है।
भारत में स्कीइंग का मौसम जनवरी से मार्च तक होता है। भारत में स्कीइंग का प्रबंधन भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन करता है। भारत में स्कीइंग के लोकप्रिय स्थान गुलमर्ग (जम्मू और कश्मीर), सोलंग (हिमाचल प्रदेश) और औली (उत्तराखंड) हैं। मनाली और गुलमर्ग जैसी जगहों पर हेलीस्कीइंग भी काफी लोकप्रिय हैं। भारत में स्कीइंग खेल में बुनियादी ढांचे की बहुत कमी है, इसमें सुधार करते हुए निष्पक्षता से प्रतिभाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। कोई भी हो खेल से बड़ा नहीं हो सकता।