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विश्व चैम्पियनशिप के इतिहास में पहली बार खेलेगी भारतीय जोड़ी
अण्डर-60 आयु वर्ग में भारतीय जोड़ी ताइक्वांडो पूमसे में करेगी कमाल
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। उम्र एक संख्या है। जिस इंसान में जोश-जुनून और कुछ हासिल करने की इच्छाशक्ति हो उसका बढ़ती उम्र भी बाल बांका नहीं कर सकती। दो जोशीली भारतीय शख्सियतों ने खेल के क्षेत्र में कुछ ऐसा किया है जिसकी हर कोई तारीफ करते नहीं थक रहा। यह जोशीली शख्सियतें हैं जांबाज डॉ. अशोक कुमार लेंका तथा सिक्किम की जांबाज पुलिस अधीक्षक साबित्री प्रधान। यह भारतीय जोड़ी 30 नवम्बर से चार दिसम्बर तक हांगकांग में होने वाली वर्ल्ड सीनियर पूमसे चैम्पियनशिप में पेयर पूमसे इवेंट में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इंडिया ताइक्वांडो द्वारा 20 से 22 सितम्बर तक डिवीजनल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, नासिक में हुई चयन ट्रायल में हावरांग अकादमी के संस्थापक और वेटरन्स इंडिया स्पोर्ट्स के राष्ट्रीय महासचिव मास्टर डॉ. अशोक कुमार लेंका और सिक्किम की पुलिस अधीक्षक मास्टर साबित्री प्रधान को 60 वर्ष से कम आयु वर्ग में विश्व ताइक्वांडो सीनियर पूमसे चैम्पियनशिप-2024 में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया है। यह जोड़ी 30 नवम्बर से चार दिसम्बर 2024 तक हांगकांग में आयोजित होने वाली वर्ल्ड सीनियर पूमसे चैम्पियनशिप में पेयर पूमसे इवेंट में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी।
इन दोनों खेल शख्सियतों के पास लगभग चार दशक का ताइक्वांडो अभ्यास का अनुभव है। ये कुक्कीवॉन मास्टर्स और पूमसे में अंतरराष्ट्रीय ताइक्वांडो पदक विजेता हैं। विश्व चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने की यह दुर्लभ उपलब्धि विश्व ताइक्वांडो द्वारा हांगकांग में आगामी विश्व चैम्पियनशिप में कुछ वरिष्ठ आयु वर्ग अंडर-50 और अंडर-60 जोड़ी और समूह प्रतियोगिताओं को 'शुरू करने' के निर्णय के मद्देनजर आई है। यह वास्तव में दुनिया में पहली बार होने वाला आयोजन है, इसलिए ऐसे आयोजन में राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करना ऐतिहासिक क्षण है जो दुनिया में पहली बार हो रहा है।
ताइक्वांडो स्पोर्ट्स में पूमसे, ताइक्वांडो आक्रमण और रक्षा आंदोलनों का एक सेट पैटर्न है जिसे दक्षिण कोरिया में ताइक्वांडो के मुख्यालय कुक्कीवॉन में बहुत पहले डिज़ाइन किया गया था। इस आयोजन में महारत हासिल करने और प्रदर्शन करने के लिए कुल 16 नामित पूमसेज़ मौजूद हैं। कुल 10 अंकों में से अंक दिए गए हैं। सटीकता के लिए 4 अंक और प्रजेंटेशन के लिए कुल 6 अंक हैं। आगे की प्रस्तुति 6 अंकों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा रहा है। (अ) गति और शक्ति -2 अंक (ब) लय और गति -2 अंक (स) ऊर्जा की अभिव्यक्ति -2 अंक। जोड़ी पूमसे एक ऐसी प्रतियोगिता है जिसमें समान आयु वर्ग के एक पुरुष और एक महिला को शामिल किया जाता है, जिन्हें प्रतियोगिता में कम्प्यूटर द्वारा यादृच्छिक रूप से चुने गए निर्दिष्ट पूमसे को एक साथ प्रदर्शन करना होता है।
मास्टर डॉ. अशोक कुमार लेंका भारतीय वायु सेना के अनुभवी और एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी और साहसी व्यक्ति हैं। वह बचपन से ही चैम्पियन एथलीट रहे हैं और एयर फोर्स कमांड टीम में थे। ताइक्वांडो की उनकी यात्रा वर्ष 1989 में ईएण्डआईटीआई, बैंगलोर में शुरू हुई, जब उनकी मुलाकात एयर योद्धा ग्रैंड मास्टर बाबू टी रघु से हुई। उनके मास्टर क्योरुगी में भारत चैम्पियन थे और उन्होंने 1988 सियोल विश्व चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। अब तक डॉ. लेंका ने अपनी सेवा के दौरान भारत के विभिन्न वायुसेना अड्डों पर लगभग 37 वर्षों तक ताइक्वांडो का अभ्यास और प्रशिक्षण दिया है।
31 जनवरी 2010 को भारतीय वायुसेना से जूनियर कमीशंड अधिकारी के रूप में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद, वह वायु सेना स्टेशन अवदी, चेन्नई, तमिलनाडु में बस गए चूंकि वह वायुसेना परिवार कल्याण संगठन, वायुसेना स्टेशन अवदी के तहत रक्षा कर्मियों, उनके वार्डों और नागरिकों को ताइक्वांडो की कला की शिक्षा प्रदान कर रहे हैं और साथ ही आयुध शस्त्र फैक्ट्री अवदी, चेन्नई के कल्याण संगठन को भी सिखा रहे हैं। तमिलनाडु आईएएफ अवदी में पिछले 15 वर्षों में उन्होंने अपनी हावरांग अकादमी के लिए 10 हजार से अधिक पदक जीते हैं।
डॉ. अशोक लेंका के शिष्य छात्र भारत की कैडेट और जूनियर टीम का भी हिस्सा बन रहे हैं। कई छात्रों ने ब्लैक बेल्ट, साई प्रमाणित कोच, अंतर्राष्ट्रीय/ राष्ट्रीय/ राज्य/ जिला/ एसजीएफआई/ केवी/ सीबीएसई/ विश्वविद्यालय पदक विजेता अर्जित किए। उन्होंने पिछले कुछ समय में दो लाख से अधिक लड़कों और लड़कियों को ताइक्वांडो और आत्मरक्षा सिखाई है। डॉ. लेंका अपनी उपलब्धि का सारा श्रेय अपने गुरु के प्रशिक्षण और उनकी शिक्षा को देते हैं। ग्रैंड मास्टर बाबू टी रघु, 1980 के दशक के ताइक्वांडो इंडिया चैम्पियन, एक अद्वितीय कोच रहे हैं। एक वायु योद्धा के रूप में डॉ. लेंका ने 1991 से वायुसेना आदमपुर, वायुसेना अवंतीपुर, वायुसेना एएफटीसी बैंगलोर, वायुसेना नाल, राजस्थान, वायुसेना भुज, गुजरात और अंत में वायुसेना अवदी और उसके बाद वायुसेना कर्मियों और उनके वार्डों और नागरिकों को ताइक्वांडो का प्रशिक्षण देना शुरू किया। 2010 को वीआरएस यहीं पर तय हो गया।
डॉ. लेंका राष्ट्र का गौरव, लाइफटाइम अचीवमेंट और हॉल ऑफ फेम पुरस्कार विजेता और भारत में शीर्ष रैंक वाले कुक्क्वियन मास्टर हैं। वह विश्व ताइक्वांडो (डब्ल्यूटी) लेवल-1 क्योरुगी और पूमसे कोच, नेशनल रेफरी और एशियन ताइक्वांडो यूनियन (एटीयू) योग्य कोच भी हैं। वह एक योग्य पर्वतारोही हैं, जिन्होंने हिमालय की विभिन्न श्रेणियों में 11 पर्वत चोटियों पर चढ़ाई की और पहाड़ पर मार्शल आर्ट के गूढ़ तत्वों का अभ्यास किया; जिसके लिए उन्हें आईएएफ की ओर से तेनज़िंग नोर्गे नेशनल लैंड एडवेंचर अवॉर्ड के लिए नामांकित किया गया था। वह भद्रक, ओडिशा के रहने वाले हैं, जबकि मास्टर साबित्री प्रधान वर्तमान में एक आईपीएस अधिकारी हैं, जो सिक्किम राज्य से हैं। हालाँकि, मास्टर अशोक चेन्नई, तमिलनाडु में बसे हैं और तमिलनाडु राज्य से खेलते हैं। तमिलनाडु के ताइक्वांडो एसोसिएशन का समर्थन और सहयोग वास्तव में इन वर्षों में बहुत उत्साहजनक रहा है।
डॉ. अशोक कुमार लेंका विश्व चैम्पियनशिप में भारत के लिए पदक जीतने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं। डॉ. लेंका अपने शानदार करियर के लिए अपने माता-पिता, गुरु, पत्नी संजीबनी तथा पुत्र कलिंगा और आर्यन, भद्रक में भाइयों और बहनों के सहयोग और समर्थन के आभारी हैं। वह अपने प्रशिक्षण में सहयोग के लिए भारतीय वायुसेना, अध्यक्ष वायुसेना परिवार कल्याण एसोसिएशन, स्थानीय वायुसेना अड्डों के विभिन्न कमांडरों का भी आभार मानते हैं। डॉ. लेंका का कहना है कि सेवानिवृत्ति के बाद वायुसेना संघ अवदी और पूर्व सैनिक संघ द्वारा दिया गया समर्थन वास्तव में प्रशंसनीय था। पूर्व सैनिकों की पारी की शुरुआत में विंग कमांडर पार्थसारथी, संपादक मित्रान- पूर्व सैनिकों की आवाज के समर्थन का विशेष उल्लेख अविश्वसनीय था। डॉ. लेंका आईएएफ के ईएस28 बैच के साथी, दोस्त, रिश्तेदार और हावरांग अकादमी के सभी छात्र और उनके माता-पिता, खेलपथ के संपादक श्रीप्रकाश शुक्ला, राजस्थान पत्रिका के संपादक डीएल शर्मा, वेटरन्स इंडिया स्पोर्ट्स विंग के बीके मिश्रा आदि का भी समय समय पर प्रोत्साहन के लिए आभार मानते हुए कहते हैं यह यात्रा प्रशंसनीय है तथा यह तो बस शुरुआत है।