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भारतीय ओलम्पिक संघ अध्यक्ष के चुनाव पर उठा दिए सवाल खेलपथ संवाद नई दिल्ली। भारतीय ओलम्पिक संघ में कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा। खेलों के संचालन की सबसे बड़ी संस्था में फिलवक्त आपसी नूरा-कुश्ती चल रही है। अध्यक्ष और कार्यकारिणी सदस्य पत्र-पत्र का खेल खेल रहे हैं। पहले आईओए अध्यक्ष पीटी ऊषा ने पांच कार्यकारिणी सदस्यों को पत्र लिखकर उन पर खेल संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए 24 सितम्बर तक जवाब देने को कहा था तो अब एक कार्यकारिणी सदस्य और आईओए की उपाध्यक्ष राजलक्ष्मी सिंह देव ने पीटी ऊषा पर उंगली उठाकर शांत समुद्र में उफान ला दिया है। अध्यक्ष पीटी ऊषा और कार्यकारिणी समिति के सदस्यों द्वारा एक-दूसरे पर आईओए संविधान और खेल संहिता का उल्लंघन कर पद धारण करने का आरोप लगाने के बाद भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) के भीतर अशांति पैदा हो गई है। 10 सितम्बर को पीटी ऊषा ने कार्यकारी समिति के पांच सदस्यों को एक शिकायत के जवाब में पत्र लिखा था कि वे खेल संहिता के तहत बिना अनुमति के आईओए में पदों पर आसीन हैं। उपाध्यक्ष और चुनाव आयोग की सदस्य राजलक्ष्मी सिंह देव ने अब आरोपों का जवाब देते हुए आईओए अध्यक्ष के रूप में ऊषा के चुनाव को चुनौती दी है। उन्होंने लिखा कि हम जानते हैं कि उन्हें यूरोपीय आयोग के अन्य सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। दरअसल ऊषा उन आठ एसओएम में से एक हैं जिन्हें एथलीट आयोग द्वारा मतदान सदस्यों के रूप में आईओए महासभा में भाग लेने के लिए चुना गया था। दिसम्बर 2022 में उन्हें आईओए का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। ऊषा और 15 सदस्यीय कार्यकारी परिषद के अधिकांश सदस्यों के बीच मतभेद के कारण आईओए की स्थिति बहुत खराब है। जनवरी में सीईओ रघु राम अय्यर की नियुक्ति विवादों का विषय बनी थी, अब नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। देखा जाए तो पेरिस ओलम्पिक के बाद, संघर्ष और तेज हो गया है जिसका खेलतंत्र के कार्यों पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। राजलक्ष्मी ने पत्र में लिखा कि सदस्यों पर आईओए कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में चुनाव के लिए अयोग्य होने का आरोप लगाने के बजाय, आपको लक्षित कार्यकारी समिति के सदस्यों को पत्र भेजने से पहले शिकायत की सत्यता की जांच करनी चाहिए थी। उन्होंने पीटी ऊषा पर सवाल उठाते हुए कहा, "आपका दुर्भावनापूर्ण लक्ष्य उन सदस्यों को चुप कराना है, जिन्होंने लगातार आईओए संविधान के आपके घोर और निरंतर उल्लंघनों की ओर ध्यान आकर्षित किया है और विरोध किया है। आईओए अध्यक्ष पीटी ऊषा द्वारा हस्ताक्षरित पत्र कथित खेल संहिता उल्लंघन के लिए पांच सदस्यों को भेजे गए थे। दिलचस्प बात यह है कि चूंकि ईमेल बंद हैं, इसलिए पत्र स्पीडपोस्ट के माध्यम से भेजे गए हैं। कुछ सदस्यों ने कहा कि उन्हें अभी तक पत्र नहीं मिले हैं। हालांकि, एक सदस्य ने दावा किया कि यह सब फर्जी है और चूंकि रिटर्निंग अधिकारी को उनकी योग्यता पर कोई आपत्ति नहीं थी, इसलिए अब कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। एक ने नोटिस को तुच्छ बताते हुए खारिज कर दिया। आईओए अध्यक्ष को मिली शिकायत में राष्ट्रीय खेल महासंघों में पदाधिकारियों के रूप में उनके 12 साल के कार्यकाल के बारे में मुद्दे उठाए गए थे। यह ध्यान देने योग्य है कि आईओए पर अगस्त 2022 के दिल्ली उच्च न्यायालय के 16.08.2022 के फैसले में कहा गया था, "आयु और कार्यकाल की सीमा आईओए की कार्यकारी समिति के सभी सदस्यों पर लागू होनी चाहिए, न कि केवल अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष के साथ-साथ आमसभा में सभी पर। यह देखना होगा कि पूरा मामला किस तरह आगे बढ़ता है। यह ध्यान रखना होगा कि आईओए का सदस्य बनने के लिए किसी को एनएसएफ का हिस्सा बनने के योग्य होना चाहिए। क्या एनएसएफ में खेल संहिता का उल्लंघन आईओए में उल्लंघन के रूप में देखा जाएगा, यह भी देखना दिलचस्प होगा। संक्षेप में, आईओए में सदस्यता पाने के लिए हर किसी को खेल संहिता का अनुपालन करना होगा। इससे तो कार्यकारी समिति और अध्यक्ष के बीच एक और तीखी बहस शुरू हो जाएगी। भारतीय ओलम्पिक संघ ने खेल संहिता के उल्लंघन पर जिन पांच पदाधिकारियों को नोटिस भेजा था, उनमें अजय पटेल (उपाध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय राइफल्स संघ), सहदेव यादव (भारतीय भारोत्तोलन संघ), भूपेंद्र सिंह बाजवा (उपाध्यक्ष, वुशू फेडरेशन ऑफ इंडिया), राजलक्ष्मी सिंह देव (रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया) और अलकनंदा अशोक (संयुक्त सचिव, भारतीय ओलम्पिक संघ) शामिल हैं। इन पांचों पर खेल संहिता के उल्लंघन का आरोप है। बता दें कि भारतीय ओलम्पिक संघ की अध्यक्ष पीटी ऊषा ने पत्र में उल्लेख किया है कि संघ की संयुक्त सचिव अलकनंदा अशोक एक सरकारी कर्मचारी हैं व वह राज्य सरकार की एनओसी के बिना ही आईओए में अपने पद पर बनी हुई हैं, जोकि हाइकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन भी है।