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निराशा के साथ ‘काश ऐसा होता’ के साथ ली पेरिस से विदाई खेलपथ संवाद नई दिल्ली। हम जिस जोश से पेरिस गए थे, वह जोश पीछे छूट चुका है। हम 470 करोड़ रुपये खर्च कर अमेरिका, चीन और जापान की बराबरी तो दूर 10 मेडलों का आंकड़ा भी पार नहीं कर सके। हम जश्न मनाएं भी तो क्यों क्या मेडल सूची में 71वां स्थान हासिल करना गौरव की बात है। हमारे खिलाड़ियों के लिए अरशद नदीम नजीर होना चाहिए जिसने चंदे के पैसे से न केवल तैयारी की बल्कि उस जांबाज ने ओलम्पिक की भाला फेंक में प्रतियोगिता में ऐसा कीर्तिमान रच दिया जिसे भविष्य में सिर्फ वही तोड़ पाएगा। कुल मिलाकर भारत का पेरिस ओलम्पिक में प्रदर्शन ठीक-ठाक नहीं रहा। कुछ खिलाड़ियों ने जरूर उम्मीद बंधाई है। युवा निशानेबाज मनु भाकर ने दो पदक जीतकर जहां देश का गौरव बढ़ाया वहीं भाला फेंक सुपरस्टार नीरज चोपड़ा का रजत पदक उम्मीदों से कमतर रहा। विनेश फोगाट का फाइनल से पहले अयोग्य ठहराया जाना सबसे निराशाजनक पलों में है। इस ओलम्पिक में ‘काश ऐसा होता’ का भाव ही रहा। काश ऐसा होता कि बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन कांस्य पदक के प्ले-ऑफ में अचानक नहीं हारते। काश तीरंदाज दीपिका कुमारी क्वार्टर फाइनल में कोरिया के खिलाफ एक शॉट में नहीं चूकतीं। काश मीराबाई चानू ने सिर्फ एक किलोग्राम वजन और उठा लिया होता? किसी को उम्मीद नहीं थी कि सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी पदक के बिना विदा होंगे। देश के 117 सदस्यीय दल में महज छह पदक आना आदर्श नहीं हैं, लेकिन भारत के लिए इस दौरान खुशी, उम्मीद, निराशा और दुख के पल भी आए। भारत टोक्यो ओलम्पिक में जीते गए सात पदकों की बराबरी नहीं कर सका। अगर चौथे स्थान पर रहने वाले छह खिलाड़ी पदक जीतने में सफल रहते तो तालिका में दोहरे पदकों की संख्या सम्भव थी। हॉकी में खुशी : पुरुष हॉकी टीम टोक्यो में जीते गए पदक के रंग को बेहतर नहीं कर सकी, लेकिन जिस तरह से उसने ऑस्ट्रेलिया को हराया, बेल्जियम के खिलाफ मुकाबला खेला और जर्मनी और ब्रिटेन के खिलाफ दबाव झेला, उससे पता चलता है कि हरमनप्रीत सिंह की अगुआई वाली यह टीम मानसिक रूप से कितनी मजबूत हो गई है। गोलकीपर पीआर श्रीजेश के लिए संन्यास लेने के लिए यह बिल्कुल सही समय था, जिन्होंने टोक्यो कांस्य से पहले अपनी पहचान हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे खेल के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। विनेश के साथ देश को झकझोर दिया : 100 ग्राम वजन वाले मामले ने पहलवान विनेश फोगाट समेत पूरे देश को झकझोर दिया। यह विनेश की काबिलियत या कौशल का सवाल नहीं था बल्कि तकनीकी पक्ष था जिसने उनसे पदक छीन लिया। छा गए निशानेबाज : युवा मनु भाकर की अगुआई में निशानेबाजों का प्रदर्शन भारत के लिए राहत भरा रहा क्योंकि छह में से तीन पदक निशानेबाजी से आए। मनु ने मिश्रित टीम 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में सरबजोत सिंह के साथ मिलकर एक और कांस्य पदक जीता। अमन ने कुश्ती अभियान को बचाया: मुक्केबाज निशांत देव की हार सबसे ज्यादा खलेगी। एक अन्य दावेदार निकहत जरीन भी रो पड़ीं। हालांकि पहलवान अमन सेहरावत ने सुनिश्चित किया कि कुश्ती से पदक मिले। टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा और श्रीजा अकुला ने पहली बार व्यक्तिगत स्पर्धा के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाकर उम्मीदों से बढ़कर प्रदर्शन किया तो हमारे तीरंदाजों ने भी पदक दौर तक पहुंच कर आशा की किरण जरूर जगाई है।