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कांस्य जीत कायम रखी कुश्ती में पदक जीतने की परम्परा खेलपथ संवाद नई दिल्ली। शुक्रवार को पेरिस ओलम्पिक में युवा भारतीय पहलवान अमन सहरावत ने कुश्ती की परम्परा को कायम रखते हुए कांस्य पदक मुकाबला जीत लिया। इस कांस्य ने विनेश फोगाट के दर्द पर ही नहीं हर कुश्तीप्रेमी की चोट पर मरहम लगाया है। बिना माता-पिता के इस जांबाज ने पिछड़ने के बाद जो वापसी की उसको लम्बी बढ़त में बदल कर ही दम लिया। ओलम्पिक में शुक्रवार को भारतीय पहलवान अमन सेहरावत ने 57 किलो फ्रीस्टाइल वर्ग में पुअर्तो रिको के डारियान टोई क्रूज को हराकर कांस्य पदक जीता। ओलम्पिक में यह भारत का छठा मेडल है। सेहरावत ने कांस्य मुकाबले में शुरू से ही टोई क्रूज पर बढ़त बनाए रखी। उन्होंने आक्रामक खेल दिखाते हुए अपने प्रतिद्वंद्वी को संभलने का कोई मौका नहीं दिया। वे एक के बाद एक अंक बटोरते गए और 13-5 से जीत दर्ज की। इससे पहले, अमन सहरावत शुरुआती दो मुकाबले तकनीकी श्रेष्ठता से जीतने के बाद बृहस्पतिवार को यहां जापान के शीर्ष वरीय रेई हिगुची से एकतरफा सेमीफाइनल में हार गए थे। हरियाणा के प्रतिभाशाली पहलवान अमन ने प्री क्वार्टर फाइनल और क्वार्टर फाइनल में दमदार प्रदर्शन किया था। अमन ने क्वार्टर फाइनल में अल्बेनिया के जेलिमखान अबाकारोव पर तकनीकी श्रेष्ठता (12-0) की जीत से सेमीफाइनल में पहुंचकर कुश्ती में देश की पदक की उम्मीद जगायी थी। एशियाई चैम्पियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता और ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने वाले देश के एकमात्र पुरुष पहलवान अमन ने क्वार्टर फाइनल में अबाकारोव पर आसानी से जीत हासिल की थी।