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अयोग्य महिला मुक्केबाजों को अनुमति देकर आईओसी मुश्किल में फंसी खेलपथ संवाद पेरिस। पेरिस ओलंपिक 2024 कई वजहों से चर्चा में रहा है। ओपनिंग सेरेमनी में 'द लास्ट सपर' पर विवाद से लेकर दक्षिण कोरियाई शूटर किम येजी के महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में रजत जीतने पर एटीट्यूड से लेकर तुर्किये के एथलीट द्वारा शूटिंग गियर न पहनने तक, इन खेलों ने काफी हद तक सुर्खियां बटोरी हैं। अब एक ऐसा मुद्दा सामने आया है, जिसने काफी हद तक इन खेलों और इसको आयोजकों के प्रति सवाल खड़े किए हैं। यह घटना गुरुवार को महिलाओं की मुक्केबाजी स्पर्धा के दौरान घटी। दरअसल, अल्जीरिया की मुक्केबाज इमान खलीफ गुरुवार को इटली की प्रतिद्वंद्वी एंजेला कारिनी के मुकाबले के महज 46 सेकेंड बाद हटने से पेरिस ओलम्पिक का पहले दौर का मुकाबला जीत गईं। दिक्कत यह है कि खलीफ कोई आम एथलीट नहीं हैं, उनके नाम कई विवाद शामिल रहे हैं और इसके बावजूद अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग फेडरेशन और अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति ने उन्हें ओलम्पिक में खेलने के लिए योग्य करार दे दिया और वह उतरीं। खेलीफ को 2023 विश्व चैम्पियनशिप में लिंग जांच में विफल होने के बाद डिस्क्वालीफाई कर दिया गया था जिसके बाद से पेरिस में उनकी मौजूदगी चर्चा बनी हुई है। यह मुद्दा अब देश विदेश के कई दिग्गजों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है। हरभजन सिंह, कंगना रनौत से लेकर एलन मस्क और जेके रॉलिंग तक ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। एक अगस्त यानी गुरुवार को अल्जीरिया की इमान खेलीफ का मुकाबला महिलाओं की 66 किलोग्राम भारवर्ग मुक्केबाजी में इटली की एंजेला कारिनी से था। यह मुकाबला राउंड ऑफ 16 का था और एक नॉकआउट राउंड था। हारने वाली मुक्केबाज का सफर वहीं खत्म हो जाता। दोनों का यह इन खेलों में पहला मैच था। यह मैच भारतीय समयानुसार एक अगस्त को दोपहर तीन बजकर 50 मिनट पर खेला गया था। पहले राउंड की शुरुआत हुई और कारिनी और खलीफ के बीच थोड़े ही मुक्के चले थे कि कारिनी ने मुकाबला बीच में छोड़ने का फैसला किया जो ओलम्पिक मुक्केबाजी में बेहद असामान्य घटना है। हर एथलीट ओलम्पिक पदक के सपने देखता है और ऐसे में नाम खींच लेना हैरान करने वाला था। इसके बाद कारिनी जमीन पर घुटने के बल बैठकर रोने लगीं। खलीफ के पंच से कारिनी का हेडगीयर दो बार हट गया था जिसके बाद उन्होंने महज 46 सेकेंड में मैच से हटने का फैसला किया। फिर कारिनी ने खलीफ से हाथ मिलाने से भी इनकार कर दिया और जाने से पहले वह रिंग में ही रो पड़ीं। मैच रोके जाने के बाद रेफरी ने खेलीफ का हाथ हवा में उठा दिया, लेकिन भावुक हो चुकीं कारिनी ने अपना हाथ रेफरी से दूर कर दिया और चली गईं। अल्जीरियाई एथलीट को नजरअंदाज करते हुए कारिनी फिर अपने घुटनों पर गिर गईं और फूट-फूटकर रोने लगीं। मैच के बाद उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले कभी किसी प्रतियोगिता में इतना मजबूत पंच महसूस नहीं किया था। मैच के बाद बोलते हुए ओलम्पिक पदक न जीत पाने से दुखी कारिनी ने कहा, 'मुझे लड़ने की आदत है, लेकिन मैंने कभी इस तरह का पंच नहीं लिया। उस मैच को जारी रखना असंभव था। मैं यह कहने वाली कोई नहीं होती हूं कि खलीफ अवैध हैं। मैं लड़ने के लिए रिंग में उतरी थी, लेकिन पहले मिनट के बाद मुझे ऐसा महसूस नहीं हुआ। मुझे अपनी नाक में तेज दर्द महसूस होने लगा। मैंने हार नहीं मानी, लेकिन खलीफ के एक मुक्के पर तेज चोट लगी और इसलिए मैंने कहा- अब बस। मैं अपना सिर ऊंचा करके ओलम्पिक से जा रही हूं। कारिनी ने कहा कि वह खलीफ को शामिल किए जाने के विरोध में मैच नहीं छोड़ रहीं, लेकिन ओलम्पिक समिति को इस पर विचार करना चाहिए था। कारिनी को उनके चेहरे की चोटों की गंभीरता की जांच करने के लिए उपचार के लिए ले जाया गया। उनकी नाक पर गंभीर चोट लगी थी। कारिनी ने कहा, 'मैंने रिंग में प्रवेश किया और मैंने खुद से कहा कि मुझे अपने सामने मौजूद खिलाड़ी के खिलाफ खुल कर खेलना होगा और अपनी प्रतिभा को बाहर निकाल उसे हराना होगा। ईमानदारी से कहूं तो मुझे परवाह नहीं है। मैंने खुद से कहा था- यह मेरा ओलंपिक है। सभी विवाद एक तरफ, मैं सिर्फ आगे बढ़ना और जीतना चाहती थी। मैं उनमें से नहीं हूं जो आसानी से आत्मसमर्पण कर दे। अगर वे मुझसे कहते कि चलो लड़ाई नहीं करते हैं, तो भी मैं इसे स्वीकार नहीं करती। मैं एक योद्धा हूं। मेरे पिता ने मुझे योद्धा बनना सिखाया। जब मैं रिंग में होती हूं, तो मैं उस मानसिकता, एक योद्धा की मानसिकता, एक जीतने वाली मानसिकता का उपयोग करती हूं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो सका। कारिनी ने कहा, 'आप सभी ने मेरी नाक देखी जिससे खून बहने लगा। मैं आज रात नहीं हारी, मैंने बस परिपक्वता के साथ आत्मसमर्पण किया। मैं चाहती हूं कि खेलीफ अंत तक खेले और वह खुश रहे। मैं किसी को जज नहीं करती। मैं यहां निर्णय देने के लिए नहीं हूं। मैं बस लड़ने और अपने सपनों के लिए रिंग में उतरी था। ऐसा नहीं हुआ। जाहिर है, ऊपर वाला यही चाहता था और मैं इसे स्वीकार करती हूं। मैं यह कहने की स्थिति में नहीं हूं कि यह सही है या गलत। मैंने एक मुक्केबाज के रूप में अपना काम किया, रिंग में प्रवेश किया और लड़ाई की। मैंने खिलाड़ियों का प्रबंधन नहीं किया, लेकिन मैं अपने सिर को ऊंचा करके और टूटे हुए दिल के साथ बाहर निकल रही हूं। मैं एक परिपक्व महिला हूं, ये बॉक्सिंग रिंग मेरी जिंदगी है। मैं हमेशा बहुत सहज रही हूं, लेकिन जब मुझे लगता है कि कुछ ठीक नहीं चल रहा है, तो यह आत्मसमर्पण नहीं है, बल्कि परिपक्वता दिखाते हुए उसे रोकने को लेकर है। लड़ाई के बाद मिक्स जोन में कारिनी के कोच ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि उसकी नाक टूट गई है या नहीं। मुझे उनसे बात करनी है। लेकिन इटली में कई लोगों ने उन्हें फोन किया था और बताने की कोशिश की 'कृपया मत लड़ो, खेलीफ एक पुरुष है, यह तुम्हारे लिए खतरनाक है।' वहीं, मुकाबले के बाद अल्जीरियाई मुक्केबाजी महासंघ ने खेलीफ की जीत पर खुशी जाहिर करते हुए फेसबुक पर लिखा, 'अल्जीरियाई मुक्केबाज इमान खेलीफ को बधाई, जिन्होंने इटली की एंजेलिना कारिनी को 46 सेकेंड से भी कम समय में आसानी से हराने के बाद रिंग में जोरदार जवाब दिया और क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालिफाई किया।' रिंग से बाहर निकलते हुए अल्जीरियाई मुक्केबाज ने कहा, 'ऊपरवाले ने चाहा, यह पहली जीत थी। ऊपरवाला मुझे एक गोल्ड मेडल के लिए तैयार कर रहा है।' कौन हैं कारिनी? कारिनी एक इटैलियन पुलिस अधिकारी हैं। उनका मंत्र है, 'मुक्केबाजी एक ऐसा खेल है जो आपको अपने प्रतिद्वंद्वी के प्रति सम्मान रखना सिखाता है। यह जीवन में एक हथियार हो सकता है, लेकिन केवल रक्षा के लिए। यह दुरुपयोग नहीं बन सकता है और न ही होना चाहिए। किसी भी खेल की तरह, यह इसके बजाय क्रोध और दर्द को बाहर निकालने का एक वाहन बन सकता है।' जाहिर तौर पर मुक्केबाजी में इस तरह के विचार रखने वाली कारिनी के लिए खेलीफ का पंच असहनीय रहा होगा। इस मामले पर इटली और अल्जीरिया की ओर से बयान भी सामने आया है। पूर्व विश्व फेदरवेट चैंपियन बैरी मैकगुइगन, जो अब पेशेवर मुक्केबाजी संघ के अध्यक्ष हैं, ने कहा कि यह एक 'पुरुष' को महिलाओं से लड़ने की अनुमति देने का एक चौंकाने वाला और दयनीय फैसला था। अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (आईबीए) के अध्यक्ष उमर क्रेमलेव ने कहा है कि डीएनए परीक्षणों की एक सीरीज के बाद एसोसिएशन ने उन एथलीटों का पर्दाफाश किया जो अपने सहयोगियों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे थे और महिला होने का नाटक कर रहे थे। क्रेमलेव ने दावा किया कि परीक्षणों ने साबित कर दिया कि उनके पास एक्सवाई क्रोमोसोम्स थे और इस प्रकार उन्हें खेल आयोजनों से बाहर रखा गया था। इटली के खेल मंत्री एंड्रिया अबोदी ने खेलीफ के प्रतिस्पर्धा के बारे में चिंता जताई, लेकिन एंजेला कारिनी द्वारा कही हुई बातों को कोट करते हुए कहा कि उनके विरोधियों का सम्मान उनका मंत्र था। अल्जीरिया की ओलंपिक समिति ने पेरिस ओलंपिक में खेलीफ की भागीदारी पर सवाल उठाए जाने के बाद अपने मुक्केबाज पर हुए हमलों को निराधार बताते हुए उनकी निंदा की। दरअसल, खेलीफ एक एमेच्योर मुक्केबाज हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ की 2022 विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता। पिछले साल की विश्व चैम्पियनाशिप में उन्हें स्वर्ण पदक मैच से ठीक पहले डिस्क्वालीफाई घोषित कर दिया था क्योंकि जांच में दावा किया गया कि उनके टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ा हुआ था। हालांकि, उनकी लिंग परीक्षण समस्याओं के बावजूद, उन्हें भारी हंगामे के बीच ओलंपिक में एंट्री दे दी गई। पेरिस 2024 में ओलंपिक अधिकारियों ने उन्हें अपनी आधिकारिक खेलों की जीवनी में एक महिला के रूप में स्वीकार किया है। 2020 टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने वाली खेलिफ पिछले साल नई दिल्ली में परीक्षणों में विफल रहने के बाद ही विवादों में आ गई थीं। कुछ फैंस ने सोशल मीडिया पर लिखा कि खेलीफ ट्रांसजेंडर नहीं हैं, बल्कि उन्हें यौन विकास का विकार है। इससे वह एक्सवाई गुणसूत्रों को उत्पन्न करती हैं और रक्त में टेस्टोस्टेरोन का स्तर पुरुषों की तरह सामान्य होता है। करीब छह फिट लम्बी खलीफ ने तीन दौर की प्रतियोगिता की शुरुआत में ही कई शक्तिशाली घूंसे लगाकर अपना दम दिखाया, लेकिन यह मैच एक मिनट से भी कम समय में खत्म हो गया था। लिंग योग्यता खेलों में एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है। खलीफ से पहले भी कई ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं। खलीफ के अलावा ताइवान की एक अन्य महिला मुक्केबाज लिन यू-तिंग को भी लिंग पात्रता परीक्षा में विफल होने के कारण 2023 महिला मुक्केबाजी विश्व चैम्पियनशिप से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। उनसे पदक तक छीन लिया गया था। लिन भी पेरिस में 57 भारवर्ग में खेल रही हैं। दरअसल अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने दोनों को यह कहकर मान्यता दी है कि वह पासपोर्ट में महिला के रूप में दर्ज हैं, इसलिए वह महिला मुक्केबाजी में खेलने के योग्य हैं। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के प्रवक्ता मार्क एडम्स ने कहा, 'महिला वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने वाली हर एथलीट प्रतियोगिता पात्रता नियमों का पालन कर रही हैं। वे अपने पासपोर्ट में महिलाएं हैं।' खेलीफ और लिन को महिला के रूप में मंजूरी देने के अपने फैसले का बचाव करते हुए आईओसी के एडम्स ने कहा, 'इन एथलीटों ने कई वर्षों से पहले कई बार प्रतिस्पर्धा की है। वे अभी अचानक नहीं आईं हैं। लिंग योग्यता की लड़ाई खेलों में काफी समय से चल रही यह टकराव ओलंपिक में महिला डिवीजनों में प्रतिस्पर्धा करने वाले बायोलॉजिकल रूप से पुरुष मुक्केबाजों पर एक लिंग योग्यता की लड़ाई के बीच आया है। पेरिस में ओलंपिक की देखरेख करने वाले आईओसी अधिकारियों ने कहा कि खेलीफ ने इस प्रतिस्पर्धा के लिए पात्रता मानदंडों को पूरा किया। पिछले साल के प्रतिबंध के बाद अल्जीरियाई ओलंपिक समिति ने पलटवार करते हुए दावा किया था कि अयोग्यता उन्हें स्वर्ण जीतने से रोकने के लिए एक 'साजिश' का हिस्सा थी और कहा कि उच्च टेस्टोस्टेरोन के स्तर के पीछे 'मेडिकल' कारण थे। 2023 विश्व चैंपियनशिप से डिसक्वालिफिकेशन के बाद मेक्सिको की ब्रायंडा तमारा टूर्नामेंट में पहले खेलीफ से लड़ने के अपने अनुभव के साथ आगे आईं। ब्रायंडा ने कहा- जब मैंने उसके साथ लड़ाई की तो मुझे काफी दर्द महसूस हुआ। उसके वार ने मुझे बहुत चोट पहुंचाई, मुझे नहीं लगता कि मैंने एक मुक्केबाज के रूप में अपने 13 वर्षों में कभी ऐसा महसूस किया था, न ही पुरुषों के साथ मेरी लड़ाई में। ऊपरवाले का शुक्र है कि उस दिन मैं रिंग से सुरक्षित बाहर निकल गई और यह अच्छा है कि IBA (अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग संघ) को आखिरकार एहसास हुआ। विशेषज्ञों ने कहा- स्पष्ट नीति का अभाव खेल वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस क्षेत्र में ओलंपिक द्वारा स्पष्ट नीति के अभाव ने इस विचित्र स्थिति को उभरने में मदद की है। 2021 से पहले, IOC ने टेस्टोस्टेरोन की अधिकतम मात्रा के लिए थ्रेसहोल्ड निर्धारित किया था। महिलाओं के इवेंट में किसी भी एथलीट में 'पुरुष' सेक्स हार्मोन पाए जाने पर उसे डिस्क्वालिफाई किया जाता था। इन्हें डोपिंग के लिए रक्त परीक्षण में उठाया गया था। टेस्टोस्टेरोन सीमा पर नियमों को लेकर कॉस्टर सेमेन्या का मामला बहुत ही प्रसिद्ध है। सेमेन्या का शरीर स्वाभाविक रूप से महिलाओं के लिए सामान्य से टेस्टोस्टेरोन के उच्च स्तर का उत्पादन कर रहा था। वह 2020 में टोक्यो में प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ करार दी गई थीं, क्योंकि विश्व एथलेटिक्स ने उस समय IOC से स्वतंत्र रूप से नए नियम लाए थे। आईओसी ने अपनी नीतियों में किया था बदलाव आईओसी की अपनी टेस्टोस्टेरोन निगरानी नीतियों को तीन साल पहले रोक दिया गया था और इसकी जगह 'लिंग पहचान और लिंग भिन्नता के आधार पर निष्पक्षता, समावेश और गैर-भेदभाव' की नीति को लागू किया गया था। आईओसी अब हर देश में व्यक्तिगत खेल निकायों को 'दस मार्गदर्शक सिद्धांत' प्रदान करता है जिसका उपयोग वे अपनी नीतियां बनाने के लिए कर सकते हैं। इस विवादास्पद दस्तावेज में कहा गया है कि 'लिंग विविधताओं' वाले एथलीटों, डीएसडी के लिए एक और मौका और उन्हें किसी प्रकार का एडवांटेज न मिला हो, इस तरह के एथलीट्स को अपनी लिंग पहचान की श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। हालांकि, कुछ खेल वैज्ञानिकों का कहना है इन नियमों पर एक अच्छी खासी बहस हो सकती है। रग्बी, ट्रैक एंड फील्ड, तैराकी और साइकिलिंग को नियंत्रित करने वाले सभी संघों ने महिलाओं के खेल में जैविक पुरुषों को संबोधित करने के लिए किसी न किसी रूप में नियम पेश किए हैं। हालांकि नीतियों का सटीक विवरण अलग-अलग है। मुक्केबाजी में भी ऐसा किय गया और अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (IAB) ने एथलीटों को 'लिंग मूल्यांकन' से गुजरना आवश्यक कर दिया। हालांकि, यह इन आकलनों की सटीक प्रकृति का विवरण नहीं देता है। यह वह परीक्षण है जो पिछले साल नई दिल्ली में आईएबी की महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में खेलीफ और लिन को अयोग्य करार दिया था। हालांकि, ओलंपिक ने इन नीतियों की जगह अपनी नीति को तवज्जो दी। आईबीए ने अयोग्य करार दिया, लेकिन कैसे आईओसी ने मान्यता दी? उस समय आईबीए के अध्यक्ष,उमर क्रेमलेव ने दावा किया कि परीक्षणों ने साबित कर दिया था कि खेलीफ और लिन दोनों में पुरुषों के लक्षण थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने 'उन एथलीटों का पर्दाफाश किया जो अपने सहयोगियों को बेवकूफ बनाने और महिला होने का नाटक करने की कोशिश कर रहे थे'। इन्हीं नियमों और परीक्षण परिणामों के तहत खेलीफ और लिन इस ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे, लेकिन IAB को बाद के शासन के साथ समस्याओं के कारण IOC द्वारा पेरिस खेलों के लिए खेल को संचालित करने में अपनी भूमिका से हटा दिया गया था। IOC ने प्रतियोगियों के लिए पात्रता निर्धारित करने के लिए एक नए निकाय, पेरिस बॉक्सिंग यूनिट (PBU) के माध्यम से बनाया। पीबीयू के दस्तावेजों में पुरुष या महिला स्पर्धाओं के लिए लिंग या लिंग परीक्षण का कोई उल्लेख नहीं है। हालांकि वे प्रतियोगियों की उम्र के लिए सीमा निर्धारित करते हैं। प