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अपनी शिष्या की उपलब्धि से कोच जसपाल राणा सबसे अधिक खुश खेलपथ संवाद नई दिल्ली। किसी बच्चे की कामयाबी से सिर्फ तीन लोग सबसे अधिक खुश होते हैं। एक तो माता-पिता और उनके बाद शिक्षा गुरु या फिर खेल गुरु होता है। मनु ने पेरिस ओलम्पिक में दो कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा है। मनु की ऐतिहासिक सफलता से वैसे तो समूचा देश खुश है लेकिन मां सुमेधा और पिता रामकिशन के बाद यदि कोई सबसे अधिक खुश है तो वह कोई और नहीं बल्कि दिग्गज शूटर कोच जसपाल राणा हैं। पिस्टल शूटिंग कोच जसपाल राणा और शूटर मनु भाकर के बीच टोक्यो ओलम्पिक शुरू होने से ठीक पहले विवाद हो गया। भारत को उस ओलम्पिक में शूटिंग में एक भी मेडल नहीं मिला। मनु और बाकी भारतीय निशानेबाजों की खराब परफॉर्मेंस के बाद सबकुछ सामने आ गया। राणा को तो फेडरेशन ने टीम में दरार पैदा करने का भी दोषी ठहराया था। लेकिन मनु को समझ आ गया कि राणा को छोड़ना गलती थी और वो पेरिस ओलम्पिक की तैयारी के लिए उनके पास वापस गईं। मनु भाकर को पेरिस में इतिहास रचते देखना जसपाल राणा के जीवन की सबसे बड़ी खुशी है, आखिर जो काम वह नहीं कर सके वह उनकी शिष्या जो कर रही है। मनु के मेडल जीतने के बाद जसपाल ने विवादों के बारे में ज्यादा नहीं बोला, बस कहा, 'हां, कुछ छोटी-छोटी समस्याएं थीं। कुछ लोगों की वजह से ये बड़ी हो गईं। लेकिन मनु और मैंने मिलकर इन मुश्किलों को पार किया। मनु ने बहुत मेहनत की है। अगर कोई मुझे ट्रेनिंग में 100% देगा तो मैं 200% दूंगा। वरना मेरा मन नहीं लगता। मनु ने बहुत मेहनत की है और वो जो पा रही है वो उसके हकदार हैं।' जो लोग पहले से ही कोच और खिलाड़ी की जोड़ी पर सवाल उठा रहे थे, उन पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'हमारे देश में बहुत सारे गुरुजी हैं, एक्सपर्ट हैं जो भविष्यवाणी करेंगे, लोगों को नीचा दिखाएंगे और क्रेडिट भी लेने की कोशिश करेंगे। मनु के मेडल उनकी नकारात्मकता का जवाब हैं। इससे मनु मानसिक रूप से मजबूत हुई। मुझे उस पर बहुत गर्व है।' आने वाली प्रतियोगिताओं के बारे में क्या सोचते हैं? कोई फेवरेट? उन्होंने कहा, 'उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल में कोटा नहीं जीता लेकिन मेडल जीत लिया। हमारे लिए कोई फेवरेट नहीं होता। हर प्रतियोगिता मुश्किल होती है। आराम करने का समय नहीं है, हमें काम करना है।'