News title should be unique not use -,+,&, '',symbols
पुरुष-महिला टीमें आज क्वालीफाइंग राउंड में उतरेंगी पदक के लिए शीर्ष 10 में रहना जरूरी खेलपथ संवाद पेरिस। भारतीय तीरंदाज पहले ओलम्पिक पदक पर निशाना साधने के लिए बृहस्पतिवार को खुले और हरे-भरे लेस इनवालिडेस गार्डेंस में उतरेंगे। पेरिस ओलम्पिक का आधिकारिक आगाज 26 जुलाई से होने जा रहा है, लेकिन तीरंदाजी के क्वालीफाइंग दौर एक दिन पहले शुरू होने जा रहे हैं। पुरुष और महिला तीरंदाजी टीम बृहस्पतिवार को क्वालीफाइंग दौर में उतरेगी। इस दौर से तीरंदाजी की पांच स्पर्धाओं (पुरुष, महिला टीम और व्यक्तिगत मुकाबले और मिश्रित टीम स्पर्धा) का रास्ता तैयार हो जाएगा। क्वालीफाइंग दौर में प्रदर्शन के आधार पर तीरंदाजों की रैंकिंग तैयार होगी, जिसके आधार पर वे पदक के लिए नॉकआउट मुकाबलों में उतरेंगे। 2012 के लंदन ओलम्पिक के बाद यह पहला मौका है भारतीय पुरुष और महिला तीरंदाजी टीम दोनों एक साथ खेल रही हैं। पुरुषों में भारतीय चुनौती सेना के तीन तीरंदाजों चौथा ओलम्पिक खेल रहे तरुणदीप रॉय, प्रवीण जाधव और बी धीरज के कंधों पर है, जबकि महिलाओं में मां बनने के बाद पहला और कुल चौथा ओलम्पिक खेलने जा रही दीपिका कुमारी, अंकिता भकत और भजन कौर दावेदारी पेश करेंगी। ओलम्पिक में तीरंदाजी पहली बार 1988 में शुरू हुई। 1992 में लिम्बाराम और 2012 में भारतीय टीम पदक की दावेदार मानी गई, लेकिन जीतने में सफल नहीं रही। पिछले टोक्यो ओलम्पिक में तीरंदाजों का प्रदर्शन अच्छा रहा। दीपिका व्यक्तिगत मुकाबलों के और पुरुष टीम क्वार्टर फाइनल में पहुंची, लेकिन यहां दोनों को मजबूत कोरियाई तीरंदाजों के हाथों हार मिली। क्वालीफाइंग दौर नॉकआउट के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारतीय तीरंदाज क्वालीफाइंग दौर में अगर शीर्ष 10 में रहते हैं तो उनके नॉकआउट में अच्छे अवसर होंगे। पुरुष टीम टोक्यो में शीर्ष 30 से बाहर रही थी, जबकि दीपिका क्वालीफाइंग में नौवें स्थान पर रही थीं। क्वालीफाइंग दौर में अच्छा स्थान हासिल करके भारतीय तीरंदाज नॉकआउट के शुरुआती दौर में तीरंदाजी के पॉवरहाउस कोरिया से भिडऩे से बच सकते हैं। पुरुष टीम जबरदस्त फॉर्म में है। उसने इस वर्ष शंघाई विश्वकप में न सिर्फ फाइनल में प्रवेश किया बल्कि मजबूत कोरिया को पहली बार हराकर खिताब भी जीता। बीते माह अंताल्या में खेले गए विश्वकप स्टेज-3 में बी धीरज ने टोक्यो ओलंपिक के रजत पदक विजेता माउरो नेस्पोली को हराकर कांस्य पदक जीता है। धीरज ने हांगझोऊ एशियाड में टीम का रजत पदक भी जीता। मां बनने के बाद दीपिका ने जबरदस्त वापसी की है। वह इस वर्ष शंघाई विश्वकप के फाइनल में पहुंची हैं। जहां उन्हें कोरियाई तीरंदाज लिम सी ह्यून से हार मिली। दीपिका अपने दिन में किसी भी तीरंदाज को हरा सकती हैं, लेकिन ओलंपिक जैसे बड़े टूर्नामेंट में उन्हें मामूली सी चूक भारी पड़ती रही है। उन्हें इस बार इसी चूक से बचना होगा। दूसरी ओर अंकिता भकत और भजन कौर का यह पहला ओलंपिक है। दोनों बीते वर्ष एशियाड में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। इस तरह से होगा क्वालीफाइंग दौर क्वालीफाइंग दौर में 53 देशों के 128 तीरंदाज उतरेंगे। सभी तीरंदाजों को 72 तीर निशाने पर लगाने होंगे। 360-360 अंकों के दो दौर के बाद तीरंदाजों की स्कोर के हिसाब से रैंकिंग बनेगी। रैंकिंग में शीर्ष पर रहने वाले तीरंदाज का व्यक्तिगत मुकाबलों के नॉकआउट में सबसे निचली रैंकिंग के तीरंदाज से मुकाबला होगा। यही कारण है कि क्वालिफाइंग में ऊंचा स्थान हासिल करने का नॉकआउट में फायदा मिलेगा। व्यक्तिगत रैंकिंग के अलावा टीम रैंकिंग भी बनेगी। क्वालीफाइंग में हर देश के तीनों तीरंदाजों के स्कोर को जोड़कर टीम रैंकिंग बनेगी। रैंकिंग के आधार पर नॉकआउट टीम मुकाबले निर्धारित होंगे। पुरुष और महिला क्वालिफाइंग दौर में जो भी तीरंदाज अपने देश के लिए शीर्ष पर रहेगा वह मिश्रित टीम स्पर्धा में दावेदारी पेश करेगा। मिसाल के तौर पर भारत के लिए पुरुषों में बी धीरज और महिलाओं में दीपिका कुमारी शीर्ष पर रहे तो इन दोनों की जोड़ी मिश्रित स्पर्धा में खेलेगी।