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भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने आठ स्वर्ण सहित 12 पदक जीते खेलपथ संवाद पेरिस। पेरिस ओलम्पिक 2024 को शुरू होने में अब बस कुछ ही दिनों का वक्त बचा है। भारत से इस साल 117 खिलाड़ियों का दल पेरिस पहुंच रहा है। एथलीट्स टोक्यो ओलम्पिक के सात पदकों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ भारत के पदकों की संख्या को 10 के पार पहुंचाना चाहेंगे। भारतीय पुरुष हॉकी टीम से भी इस बार काफी उम्मीदें हैं। टीम ने पिछली बार कांस्य पर कब्जा जमाया था। टीम इस साल स्वर्ण पर निशाना साधना चाहेगी। 1980 के बाद से भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ओलम्पिक में स्वर्ण पदक नहीं जीता है लिहाजा इस बार सोने पर ही खिलाड़ियों की नजर है। इस साल जब पेरिस ओलम्पिक में हरमनप्रीत सिंह बतौर कप्तान मैदान पर उतरेंगे, तो वह ओलम्पिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम का नेतृत्व करने वाले 22वें कप्तान बन जाएंगे। मनप्रीत सिंह टोक्यो 2020 में भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान थे। तब भारत ने कांस्य पदक जीतकर ओलम्पिक हॉकी पदक के लिए 41 साल का इंतजार खत्म किया था। अब हरमनप्रीत भी ग्रीष्मकालीन खेलों में भारतीय टीम का नेतृत्व करने वाले कप्तानों की उस सूची में शामिल हो गए जिसमें मेजर ध्यानचंद, कुंवर दिग्विजय सिंह और बलबीर सिंह (सीनियर) जैसे दिग्गज शामिल हैं। जयपाल सिंह मुंडा ओलम्पिक में भारतीय हॉकी टीम के पहले कप्तान थे। उनकी कप्तानी में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने एम्स्टर्डम 1928 ओलम्पिक खेलों में पहली बार स्वर्ण पदक जीता था। सैयद लाल शाह बुखारी, जिन्होंने लॉस एंजिल्स 1932 में भारतीय हॉकी टीम को एक और स्वर्ण पदक दिलाया था, बाद में भारत की स्वतंत्रता और विभाजन के बाद पाकिस्तान के राजनयिक बन गए। ध्यानचंद (एम्स्टर्डम 1928, लॉस एंजिल्स 1932, बर्लिन 1936) और बलबीर सिंह सीनियर (लंदन 1948, हेलसिंकी 1952, मेलबर्न 1956) तीन स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीमों के हिस्सा रहे थे। ध्यानचंद 1936 के संस्करण के लिए कप्तान थे, जबकि बलबीर सिंह सीनियर ने 1956 के मेलबर्न खेलों में टीम की कप्तानी की थी। लेस्ली क्लॉडियस ने ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम के साथ चार पदक जीते, जिसमें तीन स्वर्ण और एक रजत पदक (रोम 1960) शामिल है। उन्होंने खुद 1960 रोम ओलंपिक में भारतीय टीम की कप्तानी की थी। 1968 में मैक्सिको सिटी ओलंपिक में भारत के संयुक्त कप्तान रहे थे। तब गुरबख्श सिंह और पृथ्वीपाल सिंह की अगुआई में टीम ने कांस्य पदक जीता था। परगट सिंह दो ओलंपिक में फील्ड हॉकी में भारत का नेतृत्व करने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं। वह बार्सिलोना 1992 और अटलांटा 1996 ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान थे। 1980 मॉस्को ओलंपिक में तमिलनाडु के वासुदेवन भास्करन भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रहे थे। वह ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम को स्वर्ण दिलाने वाले आखिरी कप्तान हैं। महिला हॉकी इस साल क्वालीफाई नहीं कर सकी महिलाओं में रूपा सैनी 1980 मॉस्को ओलम्पिक में भारत की कप्तान रही थीं। यह पहला ओलम्पिक था जब भारतीय महिला हॉकी टीम ने इन खेलों में हिस्सा लिया था। तब भारत चौथे स्थान पर रहने के बाद कांस्य पदक से चूक गया। 2016 रियो ओलम्पिक में जब भारतीय टीम ने दूसरी बार ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई किया तो सुशीला चानू पुखरंबम कप्तान रही थीं। भारतीय महिला हॉकी टीम ने 36 साल के लम्बे अंतराल के बाद रियो 2016 में ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई किया था। फॉरवर्ड रानी रामपाल ने टोक्यो 2020 ओलम्पिक में भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तानी की थी। भारत एक बार फिर चौथे स्थान पर रहा। कांस्य पदक के मैच में भारत ग्रेट ब्रिटेन से 4-3 से हार गया था। पेरिस ओलम्पिक के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम क्वालीफाई नहीं कर सकी।