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कहा- खेलों में जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत खेलपथ संवाद नई दिल्ली। पेरिस ओलम्पिक का आयोजन कुछ ही दिनों में होना है और इसके लिए भारत सहित इसमे हिस्सा लेने वाले सभी देश के एथलीट पूरी तरह तैयार हैं। इस बीच, 2008 बीजिंग ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने अपने समय के खिलाड़ियों की तुलना मौजूदा दौर के खिलाड़ियों से करते हुए बड़ी बात कही है। भारत के पहले व्यक्तिगत स्पर्धा के ओलम्पिक चैम्पियन बिंद्रा का मानना है कि खिलाड़ियों की मौजूदा पीढ़ी उनके समय के कमजोर दिल वाले खिलाड़ियों की तुलना में अधिक मजबूत है। बिंद्रा ने कहा कि भारत को 30-40 ओलम्पिक पदक जीतने का सपना देखना शुरू करने के लिए जमीनी स्तर पर बहुत काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'हमें खेल को अलग तरह से देखना शुरू करना होगा। वर्तमान में हम यह देख रहे हैं कि विश्व स्तर पर एथलीट कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं। यह हमें मजबूती देता है। हमें राष्ट्र निर्माण में खेल की बड़ी भूमिका को देखने की जरूरत है।' बीजिंग ओलम्पिक में निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीतने वाले बिंद्रा ने 26 जुलाई से शुरू होने वाले ओलम्पिक खेलों के लिए देश की तैयारियों पर आयोजित एक पैनल चर्चा के दौरान भारतीय दल को सलाह दी कि वे अतीत या भविष्य के बारे में सोचने की गलती न करें। भारत के लगभग 125 खिलाड़ियों ने इन खेलों के लिए क्वालीफाई कर लिया है, जो देश के इतिहास में सबसे ज्यादा है। उन्होंने कहा, एथलीटों की सबसे बड़ी गलती यह है कि वे या तो अतीत में जीते हैं या भविष्य के बारे में सोच रहे हैं। वे इस वास्तविकता के बारे में भूल जाते हैं मौजूदा समय की अहमियत सबसे ज्यादा है। बिंद्रा ने कहा, मैं एक ऐसी पीढ़ी से आया हूं जो स्वभाव से कमजोर दिल वाली थी। आज के दौर के खिलाड़ियों का आत्मविश्वास कहीं अधिक है। वे इन खेलों में सिर्फ हिस्सा लेना नहीं बल्कि पदक जीतना चाहते हैं। ये खिलाड़ी कोई और पदक नहीं बल्कि स्वर्ण पदक जीतना चाहते हैं। यह हमारे समाज का प्रतिबिम्ब है कि पिछले कुछ वर्षों में यह कैसे विकसित हुआ है। इस 41 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा कि खेलों को देखने और उसके बारे में बात करने का तरीका बदल गया है लेकिन जिस चीज में बदलाव नहीं आया है वह है एथलीटों को मिलने वाली कड़ी प्रतिस्पर्धा। बिंद्रा ने कहा, अब अलग तरह से बातचीत होती है। उसमें हालांकि कई समानताएं हैं, उन्हें पेरिस में अपना दमखम दिखाना होगा और उस विशेष दिन पर प्रदर्शन करना होगा। यह किसी भी तरह से आसान नहीं होने वाला है। उन्हें दबाव झेलना सीखना होगा। वर्षों से सीखी गई प्रक्रिया, अपने कौशल को खेल में उतारने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।