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पेरिस ओलम्पिक के लिए भारत के छह पहलवानों ने क्वालीफाई किया खेलपथ संवाद नई दिल्ली। रियो ओलम्पिक की कांस्य पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक का मानना है कि ओलम्पिक पदक जीतने से सिर्फ खिलाड़ी की जिंदगी नहीं बदलती बल्कि इसका असर समाज पर भी पड़ता है जिससे बच्चों के लिए कई मौके बनते हैं। साक्षी रियो 2016 ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतने वाली पहली महिला पहलवान बनी थीं। एक इंटरव्यू में साक्षी ने कहा, "ओलम्पिक का सपना सिर्फ खिलाड़ी का सपना नहीं होता बल्कि यह पूरे परिवार का सपना होता है। ओलम्पिक पदक जीतने से सिर्फ खिलाड़ी का जीवन नहीं बदलता है बल्कि उसके परिवार, समाज और गांव का जीवन भी बदल जाता है।" महिला पहलवान ने बताया कि आठ साल पहले उनके पदक जीतने के बाद से उनके गृह शहर रोहतक में खेल के बुनियादी ढांचों में कई बदलाव हुए हैं। उन्होंने कहा, "मेरे पदक जीतने के बाद कई अहम बदलाव हुए। रोहतक में छोटू राम स्टेडियम अब एसी हॉल में बदल गया है। मेरे गांव में एक स्टेडियम भी बनाया गया और उसका नाम मेरे नाम पर रखा गया है।" भारत के छह पहलवान पेरिस ओलम्पिक में खेलेंगे पेरिस ओलंपिक के लिए भारत के छह पहलवानों ने क्वालीफाई किया है, जिसमें से पांच महिला पहलवान हैं जो विनेश फोगट (50 किलोग्राम), अंतिम पंघाल (53 किलोग्राम), अंशु मलिक (57 किलोग्राम), निशा दहिया (68 किलोग्राम) और रीतिका हुड्डा (76 किलोग्राम) हैं।