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भारतीय कुश्ती संघ 21 मई को कर सकता है फैसला ट्रायल्स को लेकर विनेश-अमन ने की थी स्थिति स्पष्ट करने की मांग खेलपथ संवाद नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती संघ आगामी पेरिस ओलम्पिक के लिए भारतीय टीम को चुनने को लेकर 21 मई को चयन मानदंड तय करेगा। सूत्रों के मुताबिक, संघ उसी दिन यह तय करेगा कि कोटा हासिल करने वाले खिलाड़ी ट्रायल में हिस्सा लेंगे या फिर सीधे ओलम्पिक की तैयारी में जुट जाएंगे। कुश्ती संघ के ऐसा करने से विनेश फोगाट और अमन सहरावत जैसे पहलवानों को राहत मिलेगी, जो अभी इस अधर में लटके हुए हैं कि वह ट्रायल की तैयारी करें या फिर ओलम्पिक की। भारत ने ओलम्पिक खेलों के लिए कुश्ती में छह कोटा स्थान हासिल किए हैं। इनमें से पांच महिला पहलवानों को मिले हैं। अमन सहरावत पुरुषों के फ्रीस्टाइल 57 किलोग्राम वर्ग में कोटा हासिल करने वाले एकमात्र पुरुष पहलवान हैं। कुश्ती संघ ने कहा था कि वह 26 जुलाई से शुरू होने वाले पेरिस खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले पहलवानों का चयन करने के लिए एक अंतिम ट्रायल आयोजित करेगा। पहले बताए गए मानदंडों के अनुसार यह कहा गया था कि अंतिम ट्रायल में शीर्ष चार में रहने वाले पहलवान एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करेंगे और उनमें से शीर्ष पर रहने वाला पहलवान कोटा विजेता के साथ मुकाबला करेगा। कुश्ती संघ के एक सूत्र ने कहा- डब्ल्यूएफआई ने चयन मानदंड तय करने के लिए 21 मई को दिल्ली में चयन समिति की बैठक बुलाई है। दोनों शैलियों (पुरुष फ्रीस्टाइल और महिला कुश्ती) के दो मुख्य कोच चर्चा का हिस्सा होंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या डब्ल्यूएफआई चयन समिति ट्रायल कराने का फैसला करती है या फिर कोटा विजेताओं को ही खेलों में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देती है। यदि कोटा विजेताओं को प्रतिस्पर्धा की मंजूरी दी जाती है तो इसका मतलब रवि दहिया (पुरुषों की 57 किलोग्राम) और सरिता मोर (महिलाओं की 57 किलोग्राम) जैसे पहलवानों के लिए पेरिस के सपने का अंत होगा क्योंकि वे चयन के लिए अंतिम चुनौती पेश नहीं कर पाएंगे। टोक्यो ओलम्पिक खेलों के चार कोटा विजेताओं- बजरंग पूनिया, दीपक पूनिया, रवि दहिया और विनेश फोगाट को अपने-अपने वर्ग में चुनौती पेश करने की स्वीकृति दी गई थी और खेलों के करीब उनका कोई ट्रायल नहीं हुआ था। अनुभवी विनेश फोगाट (50 किलोग्राम) की अगुआई में भारत की पांच महिला पहलवानों ने ओलम्पिक कोटा हासिल किया है। अंतिम पंघाल (53 किलोग्राम), अंशू मलिक (57 किलोग्राम), निशा दहिया (68 किलोग्राम) और रीतिका हुड्डा (76 किलोग्राम) कोटा हासिल करने वाली अन्य महिला पहलवान हैं। आम धारणा है कि खेलों के इतने करीब ट्रायल की आवश्यकता नहीं है। इससे पहले अमन ने ट्रायल के बारे में चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि यह समय खेलों की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करने का है न कि वजन घटाने की एक और दर्दनाक प्रक्रिया के लिए तैयार होने का। वहीं, विनेश ने एक्स पर एक पोस्ट में यह भी स्पष्टता की मांग की कि डब्ल्यूएफआई वास्तव में ट्रायल कराके क्या करना चाहता है। डब्ल्यूएफआई के भीतर भी एक वर्ग का यह मानना है कि इस स्तर पर ट्रायल की आवश्यकता नहीं है, जबकि खेल सिर्फ दो महीने दूर हैं।