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अशोक ध्यानचंद ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से की मुलाकात खेलपथ संवाद नई दिल्ली। यह भारत में खेलों की विडम्बना नहीं तो क्या है, जिस शख्सियत को दुनिया ने हॉकी का जादूगर और विलक्षण खेल रत्न माना हो उसी के देश में उसे भारत रत्न इसलिए नहीं दिया जा रहा क्योंकि उसके परिवार के पास वोटों की लहलहाती फसल नहीं है। दद्दा ध्यानचंद को भारत रत्न मिले यह हर कोई चाहता है लेकिन समझ में नहीं आता कि राष्ट्रवाद का पहरुआ भारतीय जनता पार्टी ने अब तक इस महत्वपूर्ण मामले में असहिष्णुता क्यों दिखाई। बुधवार को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के विश्व विजेता पुत्र अर्जुन अवॉर्डी अशोक कुमार ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और उन्हें दद्दा ध्यानचंद को भारत रत्न देने के लिए एक ज्ञापन सौंपा। भारत ने 1975 का हॉकी विश्व कप अशोक ध्यानचंद के गोल से ही जीता था। उसके बाद से भारत को विश्व कप हॉकी में कभी भी स्वर्णिम सफलता नहीं मिली। इस सौजन्य मुलाकात में 1972 म्यूनिख ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य अशोक कुमार ने राष्ट्रपति को हॉकी के जादूगर अपने पिता दद्दा ध्यानचंद को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने के लिए ज्ञापन भी दिया। अशोक कुमार के अनुसार राष्ट्रपति ने उनसे देश में खेल गतिविधियों के बारे में बातचीत की। उन्होंने राष्ट्रपति को हॉकी स्टिक और ध्यानचंद के नाम पर जारी डाक टिकट भेंट किया। अशोक कुमार की राष्ट्रपति से मुलाकात में उनके साथ एटा के समाजसेवी डॉ. प्रदीप रघुवंशी भी उपस्थित रहे।