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क्वालीफिकेशन मानक पार करने वाला देश का सातवां पुरुष एथलीट खेलपथ संवाद नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के लाल होनहार रामबाबू ने स्लोवाकिया में डुडिंस्का 50 मीट में 1:20:00 एक घण्टा 20 मिनट के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ पेरिस ओलम्पिक के लिए पुरुष 20 किलोमीटर पैदल चाल का क्वालीफिकेशन मानक हासिल कर लिया। 20 किलोमीटर पैदल चाल का क्वालीफिकेशन मानक हासिल करने वाला रामबाबू देश का सातवां पुरुष एथलीट है। उसने इस प्रतियोगिता में कांस्य पदक भी जीता। हांगझोउ एशियाई खेलों में 35 किलोमीटर पैदल चाल रेस के कांस्य पदक विजेता रामबाबू ने इस ‘रेस वॉकिंग टूर’ के गोल्ड स्तर के टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करते हुए तीसरा स्थान प्राप्त किया। यह पहली बार है जब कोई भारतीय एथलीट इस प्रतियोगिता में पोडियम पर पहुंचा हो। ओलम्पिक क्वालीफिकेशन के लिए कट ऑफ मानक एक घंटा, 20 मिनट 10 सेकेंड है। पेरू के सीजर रोड्रिग्ज एक घंटा, 19 मिनट 41 सेकेंड के समय से पहले जबकि इक्वाडोर के ब्रायन पिंटाडो एक घंटा, 19 मिनट 44 सेकेंड के समय के साथ दूसरे स्थान पर रहे। 24 वर्षीय रामबाबू 20 किलोमीटर पैदल चाल का क्वालीफिकेशन मानक पार करने वाले देश के सातवें पुरुष एथलीट बने। ऐसा करने वाले अन्य पैदल चाल एथलीट अक्षदीप सिंह, सूरज पंवार, सर्विन सेबेस्टियन, अर्शप्रीत सिंह, प्रमजीत बिष्ट और विकास सिंह हैं। महिलाओं में प्रियंका गोस्वामी ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने वाली एकमात्र महिला पैदल चाल एथलीट हैं। प्रियंका ने पिछले साल झारखंड में ओलम्पिक क्वालीफिकेशन मानक हासिल किया था। एक देश ओलम्पिक की व्यक्तिगत ट्रैक और फील्ड स्पर्धा में केवल तीन एथलीट भेज सकता है जिससे अब यह भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) तय करेगा कि वह इन सात पैदल चाल खिलाड़ियों में से किसे पेरिस ओलम्पिक के लिए भेजता है। मुख्य एथलेटिक्स कोच राधाकृष्णन नायर का कहना है कि जून में इस पर फैसला किया जा सकता है। आर्थिक तंगहाली भी नहीं रोक पाई इस जांबाज के पांव भारत के लिए मेडल लाने वाले रामबाबू के सफर की कहानी संघर्षों से भरी है। आर्थिक तंगी के बीच एशियन गेम्स का सफर तय करने वाले रामबाबू को तैयारी पूरी करने के लिए कभी होटल में वेटर का काम करना पड़ा था तो कभी कोरियर कम्पनी में जूट का बोरा सिलकर अपनी जरूरत पूरी की। कुछ समय के लिए मनरेगा में मजदूरी का भी काम किया लेकिन उसकी मेहनत रंग लाई।गुजरात के गांधीनगर में हुए राष्ट्रीय खेलों में पैदल चाल में इसने गोल्ड मेडल जीता और अपनी प्रतिभा का झंडा गाड़ा। इसके बाद चीन में हुए एशियन गेम्स में 4 अक्टूबर को 35 किलोमीटर पैदल चाल में मेडल झटककर देश के साथ ही, अपने घर-परिवार और कस्बे के लोगों को गौरवान्वित किया था। रामबाबू सोनभद्र के बहुआर ग्राम पंचायत के भैरवागांधी गांव के रहने वाला है। एक छोटे से खपरैल और एक सामान्य खेतिहर परिवार से आने वाले रामबाबू ने पांचवीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद कक्षा छह में नवोदय विद्यालय में उनका एडमिशन हो गया। जिससे आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार को रामबाबू की आगे की पढ़ाई के लिए सोचना नहीं पड़ा। रामबाबू की मां मीना देवी कहती हैं कि इस कामयाबी भरे सफर के लिए रामबाबू ने न केवल हाड़तोड़ मेहनत की बल्कि गांव के मेड़ और सड़कों पर दौड़ लगाई। वाराणसी जाकर होटल में वेटर का काम किया। कोरियर कम्पनी में जूट के बोरे सिले। कोराना काल में जब कमाई के सारे रास्ते बंद हो गए तो घर आकर पिता के साथ मनरेगा में मजदूरी की। हालात कुछ सामान्य हुए तो रामबाबू भोपाल पहुंच गए। वहां उनकी मुलाकात पूर्व ओलम्पियन बसंत बहादुर राणा से हुई। बसंत बहादुर ने उनकी प्रतिभा को देखा तो उनके कोच बन गए। चंद महीनों की ट्रेनिंग के बाद ही रामबाबू ने राष्ट्रीय ओपन चैम्पियनशिप की 35 किलोमीटर पैदल चाल में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद रामबाबू को उनका लक्ष्य मिल गया। उन्होंने देश के लिए मेडल जीतने की ठानी। इस कामयाबी के बाद उसका चयन राष्ट्रीय कैंप के लिए चयन हो गया। इसके बाद, अक्टूबर 2022 में गुजरात में हुए राष्ट्रीय खेलों में शामिल होने का मौका मिला और उसने स्वर्ण पदक जीतकर, पूरे देश में अपनी प्रतिभा का झंडा गाड़ दिया। रामबाबू के नाम दर्ज उपलब्धियांः 5 अक्टूबर 2022 राष्ट्रीय खेलों की 35 किलोमीटर पैदल चाल में नए राष्ट्रीय रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक, 15 फरवरी 2023: झारंखड की राजधानी रांची में हुई राष्ट्रीय पैदल चाल चैम्पियनशिप में नया राष्ट्रीय रिकार्ड, 25 मार्च 2023: स्लोवाकिया में खेले जा रहे गेम्स में नया राष्ट्रीय रिकार्ड बनाकर एशियन गेम्स के लिए जगह बना ली। 4 अक्टूबर 2023: चीन में एशियन गेम्स में मंजू रानी के साथ मिलकर 11वें दिन का पहला मेडल (ब्रांज मेडल) जीता। 16 मार्च 2024 को स्लोवाकिया में डुडिंस्का 50 मीट में कांस्य पदक जीतने वाला पहला भारतीय बना।