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एलएनआईपीई में हुई दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस
खेलपथ संवाद
ग्वालियर। आज की भागमभाग भरी जिन्दगी में इंसान मानसिक तनाव में जी रहा है। स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। तनावमुक्त जीवन कैसे जिया जाए इस पर मंथन हो रहा है। इंसान को मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए कई उपक्रम अपनी-अपनी जगह बना रहे हैं जबकि हम प्रतिदिन अपना कुछ समय योग और प्राणायाम को देकर स्वस्थ और मस्त रह सकते हैं। यह बातें लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान में आयोजित दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में डॉ. जीतेन्द्र शर्मा असिस्टेंट डायरेक्टर ऑफ स्पोर्ट्स गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर ने देश-विदेश से आए उपस्थित महानुभाओं के साथ साझा कीं।
डॉ. जीतेन्द्र शर्मा ने योगा एण्ड स्ट्रेस विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि दुनिया में अमेरिका में एक मिलियन व्यक्ति स्ट्रेस से पीड़ित हैं वहीं एशियाई देशों में स्ट्रैस की दृष्टि से सिंगापुर उच्च पायदान तथा फिलीपींस दूसरे नम्बर पर है। डॉ. शर्मा ने बताया कि हर व्यक्ति को डीप ब्रीदिंग की आवश्यकता होती है जिसे हम योग और प्राणायाम द्वारा प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा देश योग गुरु है। हर भारतीय योग और प्राणायाम को अपनाकर तनावमुक्त जीवन जी सकता है।
डॉ. शर्मा ने बताया कि योग एक अनोखा दृष्टिकोण अपनाता है। यह चिकित्सा की तरह रोगों के भौतिक पहलुओं को नियंत्रित करने का प्रयास नहीं करता। इसके बजाय, यह उन स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने का एक तरीका प्रदान करता है जिनमें शरीर और दिमाग दोनों शामिल होते हैं। योगियों का मानना कुछ वैसा ही था जैसा आज भौतिक विज्ञानी मानते हैं। उन्होंने कहा कि ब्रह्मांड में सब कुछ ऊर्जा पर आधारित है। यही ऊर्जा सौरमंडल और ब्रह्मांड को सुचारु रूप से चलाती रहती है। हमारे भीतर भी वही ऊर्जा है। हम सांस लेने के माध्यम से अपनी आंतरिक ऊर्जा का आदान-प्रदान अपने आस-पास की ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ करते हैं। इसी आंतरिक ऊर्जा को "प्राण" कहते हैं, जो आत्म-सुधार की क्षमता के स्रोत की तरह है।
डॉ. जीतेन्द्र शर्मा की जहां तक बात है इनका ग्वालियर से गहरा ताल्लुक है। यह खेलो भारत के छत्तीसगढ़ राज्य प्रमुख भी हैं। डॉ. जीतेन्द्र शर्मा को शानदार एवं महत्वपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत करने के लिए डॉ. पुलकर, डॉ. वाई.एस. राजपूत, रजिस्ट्रार अमित यादव, डॉ. अनिरुद्ध सिंह सिसोदिया, अविनाश भटनागर आदि ने बधाई देते हुए माना कि योग को अपनाकर हम निरोगी रह सकते हैं।