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पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को दो बार दी है शिकस्त खेलपथ संवाद विशाखापट्टनम। भारतीय टीम इंग्लैंड के हाथों पहला टेस्ट हारकर पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में 0-1 से पिछड़ गई है। टेस्ट सीरीज में पिछड़कर वापसी करना आसान नहीं रहा है, लेकिन यह असंभव भी नहीं है। भारत की ओर से 1932 में खेले गए पहले टेस्ट के बाद से टीम इंडिया पहला टेस्ट हारने के बाद छह बार वापसी कर सीरीज जीत चुकी है। दो बार भारतीय टीम ने यह उपलब्धि अपने घर में इंग्लैंड के खिलाफ हासिल की है। ऐसे में रोहित शर्मा की टीम से इस बार भी वापसी की उम्मीद लगाई जा सकती है। भारत ने पहले टेस्ट में हार के बाद तीन सीरीज अपनी धरती पर और तीन सीरीज उसने विदेशी धरती पर जीती हैं। छह सीरीज ऐसी भी हैं, जहां भारतीय टीम को सीरीज में पिछड़ने के बाद हार का सामना करना पड़ा। भारत ने पिछड़ने के बाद पहली टेस्ट सीरीज 1972-73 में इंग्लैंड के खिलाफ भारत में ही जीती थी। टोनी लुइस की कप्तानी में इंग्लैंड ने पहला टेस्ट जीत लिया था, लेकिन अजीत वाडेकर की कप्तानी में भारतीय टीम ने वापसी करते हुए अगले दो टेस्ट जीतकर सीरीज 2-1 से जीती। 28 साल बाद यह उपलब्धि सौरव गांगुली की टीम ने ऑस्ट्रेलिया की स्टीव वॉ की टीम के खिलाफ 2000-01 की तीन टेस्ट की सीरीज 2-1 से जीतकर हासिल की। 2020-21 में विराट कोहली की टीम ने इंग्लैंड से पहला टेस्ट हारने के बाद अगले तीन टेस्ट जीतकर सीरीज 3-1 से जीती। विदेशी धरती पर भी भारत ने पहला टेस्ट हारने के बाद तीन सीरीज जीती हैं। 2015 में उसने श्रीलंका को 2-1 से, 2016-17 और 2020-21 में उसने ऑस्ट्रेलिया को 2-1 के अंतर से पराजित कर टेस्ट सीरीज जीतीं। टेस्ट सीरीज में पिछड़कर वापसी करना कभी आसान नहीं रहा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सिर्फ 46 सीरीज ऐसी हुई हैं, जिसमें पिछड़ने के बाद टीम को जीत नसीब हुई है। इतिहास बताता है कि रोहित की टीम के लिए पहला टेस्ट हारने के बाद सीरीज जीतना पूरी तरह संभव है, लेकिन वर्तमान हालातों ने टीम के लिए मुश्किल खड़ी कर रखी है। खासतौर पर रविंद्र जडेजा और केएल राहुल के चोटिल होने के चलते दूसरे टेस्ट के लिए टीम से बाहर होने के बाद परिस्थितियां पेचीदा हो गई हैं। विराट कोहली पहले से ही टीम में मौजूद नहीं हैं। ऐसे में टीम में टॉम हार्टले और जैक लीच की स्पिन को पूर्ण दबदबे से खेलने वाला भरोसेमंद क्रिकेटर नहीं दिखाई दे रहा है। विशाखापट्टनम में दो फरवरी से शुरू होने जा रहे दूसरे टेस्ट के लिए चयन को लेकर टीम प्रबंधन को माथापच्ची करनी होगी। राहुल की जगह रजत पाटीदार आ सकते हैं। संभव यह भी है कि भारतीय टीम इंग्लैंड की तरह एक पेसर और चार स्पिनरों के साथ उतरे। सिराज की जगह टीम में कुलदीप को खिलाया जा सकता है। साथ ही वॉशिंगटन सुंदर को मौका मिल सकता है। जडेजा की तरह बाएं हाथ के स्पिनर सौरभ कुमार भी रेस में हैं। चयन का एक विकल्प यह भी हो सकता है कि राहुल की जगह पाटीदार और जडेजा की जगह कुलदीप को शामिल किया जाए। अनिल कुंबले टीम में कुलदीप यादव को शामिल किए जाने की वकालत करते हैं। कुंबले कहते हैं कि अगर प्रबंधन यह सोचता है कि एक पेसर के साथ खेलना है तो कुलदीप की मौजूदगी बेहद जरूरी है। उनके पास विविधिता है।