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बुमराह और शमी ने घातक गेंदबाजी से जीता दिल सुशील दोशी की कलम से लखनऊ। नमस्कार! मैं सुशील दोशी एक बार फिर से आपका स्वागत करता हूं। क्रिकेट के अश्वमेध यज्ञ यानी विश्व कप में भारत का विजय अभियान अभी भी जारी है। भारत ने रविवार को इंग्लैंड को कड़ी शिकस्त दी। 100 रनों से इंग्लैंड को पराजित कर दिया। भारत एक विश्व विजेता की तरह लगने लगा है। उनकी शारीरिक भाषा भी वैसी लग रही है। उनका व्यवहार भी वैसा लग रहा है। यह देखने की बात थी कि कभी अगर भारत जल्दी आउट हो जाता है, तो क्या भारतीय गेंदबाज इस लायक हैं कि वे अपने छोटे से स्कोर को भी डिफेंड कर सकें, उसकी रक्षा कर सकें। रविवार को यह बात देखने को मिली, क्योंकि भारत ने अपनी पारी में 229 रन बनाए थे। तब ऐसा लग रहा था कि हार का संकट मंडरा रहा है। ऐसे में भारतीय गेंदबाज, खासतौर पर तेज गेंदबाजों ने कमाल का प्रदर्शन किया। मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज और जसप्रीत बुमराह, इस तिकड़ी ने जो काम कर दिखाया, इन्होंने इंग्लैंड को 129 रन पर ही धराशाई कर दिया और 100 रन की शिकस्त उनके माथे पर लगा दी। इंग्लैंड का अभियान इस पूरे ही टूर्नामेंट में बहुत ही खराब रहा। किसी डिफेंडिंग चैंपियन की ऐसी दुर्दशा पहले कभी भी नहीं देखी गई। इसका कारण यह भी है कि उनकी तैयारी वैसी नहीं थी। उनका आत्मविश्वास पूरी तरह से डगमगाया हुआ है और लग रहा था कि वह इस टूर्नामेंट को जल्दी से खत्म कर के जल्द से जल्द घर लौटना चाहते हों। दूसरी तरफ भारत के लिए भी सोचने की बात है। देखिए यह सोचना होगा कि जब भारत के बड़े बल्लेबाज जल्दी आउट हो जाते हैं तो क्या भारतीय टीम बड़ा स्कोर खड़ा कर सकती है? खासतौर पर जब विराट कोहली और शुभमन गिल जैसे सितारे जल्दी आउट हो जाते हैं तो क्या भारतीय टीम बड़ा स्कोर खड़ा कर सकती है? यहां हमने देखा कि भारतीय टीम लड़खड़ा गई थी। इस मायने में कप्तान रोहित शर्मा एक मुश्किल विकेट पर जिस तरह से टिके रहे, उसकी प्रशंसा करनी होगी। जब कोई भी बल्लेबाज दोनों टीमों में से 50 रन का आंकड़ा नहीं छू पाया, ऐसे में रोहित की 87 रनों की पारी को स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाना चाहिए। इस मैच में रोहित की कप्तानी भी गजब की रही। हमेशा की तरह उन्होंने सही गेंदबाज को सही छोर से लगाया और इंग्लैंड पर दबाव लगातार कायम रखा। मैं हमेशा कहता हूं कि तेज गेंदबाज जोड़ियों में अपना शिकार करते हैं। इस मायने में बुमराह और शमी बहुत ही जबरदस्त साबित हो रहे हैं, क्योंकि ये पावरप्ले में ही विकेट चटका देते हैं। देखिए 50-50 ओवर के क्रिकेट में होता क्या है कि आपको पावरप्ले में पहले आपको तेज रन बनाने पड़ते हैं और 10 से 40 ओवर के बीच में चार-पांच रन प्रति ओवर बनाइए और फिर आखिरी के 10 ओवर्स में आपके पास विकेट बचे हों तो गेंदबाजों की ठुकाई करिए, लेकिन जब आप पावरप्ले में ही विकेट खो देते हैं तो फिर आपके लिए वापसी करना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, जिस तरह से रोहित ने अपने रन बनाए और बाद में सूर्यकुमार यादव ने 49 रनों का योगदान दिया। तो कुल मिलाकर 229 रन का लक्ष्य कुछ ऐसा था, जहां से आप संघर्ष जरूर कर सकते हैं। भारतीय गेंदबाजों ने क्या खूब संघर्ष किया। न केवल उन्होंने विकेट चटकाए, बल्कि भारतीय फील्डर्स ने भी बखूबी साथ दिया और भारत ने विश्व कप जीतने की उम्मीदों को एक बार फिर आगे बढ़ा दिया है। आइए हम इसी बात की प्रतीक्षा करते हैं कि भारत ये विश्व कप फिर से जीतेगा।