News title should be unique not use -,+,&, '',symbols
कभी ट्यूशन के नहीं थे रुपये, आर्थिक तंगी न डिगा पाई हौसला खेलपथ संवाद मेरठ। पैरा एशियन गेम्स में रजत पदक विजेता जैनब खातून के पास कभी ट्यूशन के पैसे नहीं थे। लेकिन अर्थिक तंगी भी उनके हौसलों की उड़ान को नहीं रोक सकी। मेहनत रंग लाई और जैनब ने पैरा एशियन गेम्स में सफलता का परचम लहराया। जैनब ने 61 किलो भार वर्ग में 85 किलोग्राम वजन उठाकर रजत पदक अपने नाम किया। वह कहती हैं कि मां रूबीना और पिता आदिल की दुआएं काम आईं। मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। यह पंक्तियां पैरा पावर लिफ्टर जैनब खातून के ऊपर सटीक बैठती हैं। उन्होंने चीन में चल रहे पैरा एशियन गेम्स में 61 किलोग्राम भार वर्ग में 85 किलोग्राम वजन उठाकर देश के लिए रजत पदक जीता। जैनब उत्तर प्रदेश से इकलौती पैरा महिला पावर लिफ्टर हैं। उनकी इस कामयाबी पर गांव नंगला साहू से लेकर देशभर में खुशी का माहौल है। यहां तक पहुंचने का उनका सफर काफी मुश्किल भरा रहा है। वह आर्थिक तंगी के चलते प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी नहीं कर सकी थीं। दो बार सरकारी नौकरी के लिए प्रयास किया, लेकिन नंबर नहीं आया। इसके बाद उन्होंने खेलों में किस्मत आजमाई। जैनब ने बताया कि उन्होंने शोभित विश्वविद्यालय से बीए करने के बाद बीटीसी की तैयारी की। एसबीआई में क्लर्क की नौकरी के लिए भी परीक्षा दी, लेकिन कुछ नम्बर कम रहने के कारण परीक्षा पास नहीं कर सकी। इसके बाद आगे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग का खर्च उठाना संभव नहीं हो पाया। उनके पिता नगला साहू गांव निवासी आदिल मोहम्मद पत्थर लगाने का काम करते हैं। उनकी दो बहनें और दो भाई हैं। बड़े भाई शाहबाज दुबई में गाड़ी चलाते हैं और छोटा अरकम बीपीटी कर रहा है। तीन साल पहले तक सभी की जिम्मेदारी पिता पर ही थी। जैनब ने अपने शिक्षक किला परीक्षितगढ़ निवासी जिम्मी सरदार के कहने पर पावर लिफ्टिंग करने का मन बनाया और कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम में प्रशिक्षण शुरू किया। इसके बाद उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल प्राप्त किए। जैनब के पिता मोहम्मद आदिल ने कहा कि उनकी बेटी ने देश का नाम रोशन किया है। दोनों पैरों से दिव्यांग होने के बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनके एक पैर का ऑपरेशन जयपुर के अस्पताल में हुआ। कुछ हद तक पैर ठीक हुआ। इसके बाद उन्होंने प्रशिक्षण शुरू किया। हाल ही में वह दिल्ली में प्रशिक्षण ले रही थीं। इसके लिए काफी खर्च भी उठाना पड़ा, लेकिन उनकी बेटी ने मेहनत वसूल कर दी। उन्होंने गांव में लड्डू बांटे। जैनब ने बुधवार को पहले प्रयास में 79 किग्रा, दूसरे में 82 और तीसरे प्रयास में 85 किग्रा भार उठाकर देश के लिए रजत पदक जीता। उन्हें फेडरेशन के चीफ कोच जेपी सिंह, कोच तनवीर ने बधाई दी। जैनब ने कामयाबी का श्रेय चीफ कोच जेपी सिंह, पिता मोहम्मद आदिल, वर्तमान कोच तनवीर लोगानी, शुरुआती दिनों में उन्हें प्रशिक्षण देने वाले गौरव, प्रफुल्ल त्यागी आदि को दिया। जैनब ने कहा कि उन्हें यहां तक पहुंचाने वालों में कमिश्नर सेल्वा कुमारी जे, जिलाधिकारी दीपक मीणा, क्रीड़ा भारती के जिलाध्यक्ष अश्वनी गुप्ता, किठौर विधायक शाहिद मंजूर का विशेष सहयोग रहा। बकौल जैनब मुख्यमंत्री योगी आदिनाथ ने खेलों को बढ़ावा दिया, जिसके चलते उनका यह सपना पूरा हो पाया। उन्होंने सरकार से भी उम्मीद जताई है कि उन्हें इसका लाभ भी मिलेगा। इस कामयाबी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर उन्हें बधाई दी। क्रीड़ा भारती के जिलाध्यक्ष अश्वनी गुप्ता और सचिव सतीश शर्मा ने भी उन्हें बधाई दी। कई पदक जीत चुकी हैं जैनब इससे पहले जैनब मार्च 2021, 22 और 23 में भी स्टेट चैंपियनशिप में तीन गोल्ड प्राप्त कर चुकी हैं। 2022 में कोलकाता में हुए नेशनल में भी जैनब ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया था। दिसंबर 2022 में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक प्राप्त किया। दो माह पूर्व दुबई में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने 82 किग्रा भार उठाकर एशियन गेम्स के लिए क्वालिफाई किया था।