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राजीव एकेडमी में द राइट एटीट्यूड फॉर ग्रेट करिअर विषय पर अतिथि व्याख्यान
मथुरा। मनुष्य अपने विचारों से ओतप्रोत होता है। वह जैसा सोचता है, वैसा ही बनता है लिहाजा जीवन में कोई भी क्षेत्र हो हमें अपनी सोच सकारात्मक तथा सोच का दायरा बड़ा रखना चाहिए। आप जिस चीज के बारे में सोचेंगे, वही आपको मिलेगी। यदि आप किसी लक्ष्य के बारे में सोचेंगे ही नहीं तो आप उसे पा ही नहीं सकते। यह बातें राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट के एमबीए विभाग द्वारा द राइट एटीट्यूड फॉर ग्रेट करिअर विषय पर आयोजित कार्यशाला में डॉ. भावना छाबड़ा प्रोफेसर आफ फाइनेंस एण्ड अकाउंटिंग (आईसीएफएआई) बिजनेस स्कूल ने छात्र-छात्राओं को बताईं।
डॉ. छाबड़ा ने कहा कि सफलता तभी मिल सकती है जब हम अपनी नकारात्मक सोच को त्याग कर स्वयं को इसके योग्य समझेंगे। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच ही हमें खुशियां दे सकती है। नकारात्मक सोच तो हमारी भविष्य की सोच और परिस्थितियों के बीज ही बोती है। जीवन में सफलता के लिए जरूरी है कि हमारे जीवन की स्वाभाविकता बनी रहे। अगर आपको अपने जीवन में सफल बनना है तो आज से ही अपनी सोच सकारात्मक बनानी होगी।
रिसोर्स परसन ने कहा कि जीवन में पॉजिटिव सोच तथा कार्य के प्रति ईमानदारी हमें करिअर में ऊंची उड़ान प्रदान कर सकते हैं। विचारशील पेशेवर अपनी टीम के सभी लोगों का सम्मान करते हैं तथा अपने ग्राहकों को सर्वोपरि मानते हैं। खुला और स्पष्ट संचार बनाए रखना एक पेशेवर दृष्टिकोण का महत्वपूर्ण घटक है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि अपनी मनोवृत्ति सकारात्मक रखें क्योंकि इसमें सकारात्मक दृष्टिकोण छिपा है।
हमें अपने एटीट्यूड में मुख्यतः तीन बातों को देखना है। हम भावात्मक, व्यावहारिक और संज्ञानात्मक दृष्टिकोण से अपने जीवन को स्वर्ग बना सकते हैं। डॉ. छाबड़ा ने कहा कि हमें अपने मूल दृष्टिकोण को नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने छात्र-छात्राओं को सलाह दी कि किसी कार्य को मिशन के रूप में लें तथा मेहनत एवं सकारात्मक सोच का कभी भी साथ नहीं छोड़ें क्योंकि यही सफलता की कुंजी है। अंत में संस्थान के निदेशक डॉ. अमर कुमार सक्सेना ने अतिथि वक्ता का आभार माना।