News title should be unique not use -,+,&, '',symbols
आर्थिक तंगी बन रही प्रिया और गौरी की राह में बाधा
श्रीप्रकाश शुक्ला
ग्वालियर। आजादी के बाद देश को नरेन्द्र मोदी के रूप में ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जोकि अपने लिए नहीं बल्कि राष्ट्रहित के लिए काम कर रहा है। वैश्विक खेल मंचों पर खिलाड़ी जैसे ही मादरेवतन का मान बढ़ाते हैं, मोदीजी बिना देर किए उनका हौसला बढ़ाते हैं। हमारी सरकारें खेलों और खिलाड़ियों के प्रोत्साहन पर अकूत पैसा खर्च कर रही हैं। बेटियों को पढ़ाने और आगे बढ़ाने के नाम पर भी बैनर-पोस्टरों पर खूब पैसा जाया हो रहा है लेकिन प्रिया और गौरी जैसी गरीब घरों की बेटियां पैसे के अभाव में अपने सपनों को साकार करने से वंचित हैं।
आज हम अपने पाठकों को देश की ऐसी दो जांबाज बेटियों से रूबरू कराने का प्रयास कर रहे हैं जोकि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउण्ट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराना और फहराना चाहती हैं लेकिन गरीबी व आर्थिक तंगहाली इनकी राह की सबसे बड़ी बाधा है। प्रिया और गौरी दोनों की स्थिति अमूमन एक जैसी है। एक बेटी प्रिया कुमारी उत्तर प्रदेश के सोनभद्र से तो दूसरी बेटी मध्य प्रदेश के पन्ना से ताल्लुक रखती है। इन बेटियों के हिम्मत की दाद देनी होगी। खेलपथ से हुई बातचीत में इन बेटियों का यह कहना कि सरकार या उद्योगपतियों से उन्हें मदद मिले या नहीं वे जीते जी अपना लक्ष्य जरूर हासिल करेंगी।
कहते हैं जब सपना ऊंची उड़ान का हो तो मंजिल कितनी भी दूर हो, एक न एक दिन जरूर मिल जाती है। काश प्रिया और गौरी का सपना जरूर साकार हो। बेहद हिम्मती इन बेटियों की बातें सुनकर जहां मन खुश होता है वहीं इनकी गरीबी और शासकीय निकम्मे तंत्र पर गुस्सा भी आता है। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले की रहने वाली प्रिया कुमारी का सपना है कि वह माउंट एवरेस्ट की चोटी पर चढ़कर झंडा फहराए, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से उसका सपना पूरा नहीं हो पा रहा है। प्रिया कुमारी को उत्तर प्रदेश सरकार पर्वतारोहण के क्षेत्र में हासिल उपलब्धियों को देखते हुए रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से भी सम्मानित कर चुकी है। स्वच्छता को लेकर भी प्रिया कुमारी और गौरी अरजरिया की एक ही राय है। यह दोनों बेटियां स्वच्छ और स्वस्थ भारत के संकल्प को पूरा करना चाहती हैं।
सोनभद्र के चोपन की रहने वाली प्रिया कुमारी की बचपन से ही खेलकूद में दिलचस्पी रही है। 10वीं तक पढ़ाई करने के बाद उसके पास पैसे नहीं थे। प्रिया के सिर से पिता का साया बचपन में ही उठ गया था। स्कूल में आयोजित दौड़ प्रतियोगिता में जीत के बाद प्रिया की ट्यूशन फीस माफ हो गई, जहां उससे इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई के पैसे नहीं लिए गए। ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद प्रिया की रुचि पर्वतारोहण में हुई। रुचि बढ़ने के बाद इस बेटी ने प्रशिक्षण लेना शुरू किया।
प्रिया कुमारी ने न केवल पर्वतों की चोटियों पर चहलकदमी की बल्कि मनाली, लेह और कश्मीर में तिरंगा फहराकर स्वच्छ भारत मिशन और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ को लेकर भी लोगों को जागरूक किया। प्रिया कुमारी 6 हजार मीटर ऊंचे पर्वत शिखर पर तिरंगा फहरा चुकी है। यह बेटी दिसम्बर में साइकिल अभियान के तहत भारत से होकर नेपाल, भूटान और बांग्लादेश जाने का संकल्प ले चुकी है। प्रिया कुमारी ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तर काशी से बेसिक और एडवांस माउंटेनिंग कोर्स किया है। पर्वतारोही प्रिया कुमारी का माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का सपना है। इस बेटी में हिम्मत और हौसला तो है लेकिन पैसे नहीं हैं। वह कई उद्योगपतियों को आर्थिक मदद के पत्र लिख चुकी है लेकिन अभी तक उसे कहीं से कोई मदद नहीं मिली है। आर्थिक तंगहाली प्रिया की ऊंची उड़ान में बाधा बन गई है। प्रिया कुमारी पर्वत की चोटियों पर चढ़ने के लिए उत्तर प्रदेश में एक स्पोर्ट्स क्लाइमिंग वॉल्स बनाना चाह रही है। हिमालय को स्वच्छ रखने के लिए भी प्रिया कुमारी मुहिम चलाना चाहती है।
खेलपथ से बातचीत में प्रिया कुमारी ने बताया कि गांव में गरीब महिलाओं, बच्चों की देखभाल और पढ़ाई भी कोई पूरी नहीं कराता है। मेरा माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के साथ ही गांव की गरीब महिलाओं के लिए एक संस्था खुलवाने का सपना है। इस संस्था के माध्यम से मैं गरीब महिलाओं और बच्चियों की मदद करना चाहतीं हूं। प्रिया ने कहा कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए 30 से 40 लाख की जरूरत है, जो बिना मदद के सम्भव नहीं है। अगर सहयोग मिला तो दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर भारत का तिरंगा जरूर फहराऊंगी। खुली आंखों में सपने संजोए प्रिया कुमारी बहुत कुछ करना चाहती है लेकिन वह करे भी तो कैसे?
सोनभद्र की पर्वतारोही प्रिया अपने जीवन में तमाम परेशानियों से गुजरी लेकिन हिम्मत कभी नहीं हारी। सोनभद्र के नगर चोपन की रहने वाली प्रिया माता-पिता को खोने के बाद टूट सी गई थी। लेकिन समय बीता और एक छोटे से गांव में रहकर भी उसने एक बड़ा सपना देखा। प्रिया ने इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग उत्तरकाशी से बेसिक माउंटेनियरिंग और एडवांस माउंटेनियरिंग का प्रशिक्षण लिया है। इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन दिल्ली से प्रिया ने माउंट त्रिशूल-1 में भाग लिया। वह पर्वतारोही के तौर पर अपना कॅरिअर बनाना चाहती है।
सोनभद्र की प्रिया कुमारी की ही तरह मध्य प्रदेश की हीरा नगरी यानी पन्ना जिले की बेटी गौरी अरजरिया में भी गजब का हौसला और हिम्मत है। जिस दिन हमारा राष्ट्र स्वतंत्रता दिवस मना रहा था उसी दिन पन्ना की बेटी गौरी अरजरिया दक्षिण अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो पर तिरंगा फहरा रही थी, वह भी बेहद कठिन परिस्थितियों में। गौरी के इस साहसी कौतुक से सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं समूचा हिन्दुस्तान गौरवान्वित हुआ लेकिन अब उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
पन्ना जिले की 29 साल की गौरी अरजरिया ने दक्षिण अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो की चढ़ाई कर तिरंगा फहराया। किलिमंजारो की ऊंचाई 19341 फीट है, ये तंजानिया में स्थित है। पर्वतारोही गौरी सिमरिया की रहने वाली हैं। वह 15 अगस्त की दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर चोटी पर पहुंची थीं। इसके बाद उसने 16 अगस्त को भी इसी पर्वत पर चढ़ाई की। यह कीर्तिमान हासिल करने के बाद गौरी को दक्षिण अफ्रीका के तंजानिया नेशनल पार्क के कमिश्नर ने सर्टिफिकेट जारी किया।
गौरी अरजरिया पन्ना जिले के सिमरिया कस्बे की रहने वाली हैं। एक मध्यवर्गीय परिवार में पली-बढ़ी गौरी को बचपन से ही कुछ अलग करने का शौक था। इसी साल वह 9 अगस्त को दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना हुई। उसने 15 अगस्त को दक्षिण अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो में चढ़ाई कर तिरंगा फहराने में सफलता हासिल की। किलिमंजारो चोटी की समुद्र तल से ऊंचाई 19341 फीट है। यहां का तापमान माइनस 20 डिग्री सेल्सियस रहता है। इसके पहले भी गौरी अरजरिया ने उत्तराखंड की 13500 फीट ऊंची चंद्रशिला की चोटी पर चढ़ाई कर तिरंगा फहराया था। गौरी पश्चिम बंगाल की रेनोक चोटी पर भी चढ़ाई पूरी कर चुकी है। इसकी ऊंचाई 17000 फीट है। 26 जनवरी, 2021 को गौरी ने उत्तराकाशी की केतार कांठा चोटी पर तिरंगा फहराया था। अक्टूबर 2021 में विधान चंद्र राय पर्वत की 18000 फीट ऊंची चोटी पर चढ़ाई की थी।
गौरी के मुताबिक मैंने एक लक्ष्य बनाया था कि दक्षिण अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी पर 15 अगस्त को चढ़ाई करूंगी। इस लक्ष्य को मैंने 6 दिन में हासिल किया। इस पर मैंने दो बार चढ़ाई की है। पहली बार मैंने 15 अगस्त को चढ़ाई की। यह चढ़ाई मैंने साड़ी में की है, इसे महिला सशक्तीकरण के नाम किया है। दूसरी चढ़ाई मैंने 16 अगस्त को की। इसे मैंने भारत के वीर जवानों के नाम किया है। गौरी अरजरिया पर्वतारोहण के साथ ही पढ़ाई में भी हमेशा अव्वल रही है। इस हरफनमौला बेटी को प्रिया की ही तरह आर्थिक मदद की दरकार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित देश के उद्योगपतियों से खेलपथ का आग्रह है कि प्रिया और गौरी जैसी हिम्मती बेटियों को आर्थिक प्रोत्साहन मिले ताकि यह अपने सपनों को साकार कर सकें। दोनों बेटियां समाज के सामने नजीर पेश करना चाहती हैं। प्रिया लक्ष्मीबाई अवॉर्ड हासिल कर चुकी है तो गौरी अरजरिया पन्ना की ब्रांड एम्बेसडर है।