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भारत ने 61 साल में पहली बार पुरुष युगल में जीता स्वर्ण खेलपथ संवाद नई दिल्ली। हांगझोऊ एशियाई खेलों के बैडमिंटन के पुरुष युगल स्पर्धा में भारत के चिराग शेट्टी और सात्विकसाईराज रैंकीरेड्डी की जोड़ी ने इतिहास रच दिया है। भारतीय जोड़ी ने फाइनल में दक्षिण कोरियाई जोड़ी को 2-0 से हराकर सोना हासिल किया। इन दोनों ने इस स्पर्धा में भारत को पहली बार स्वर्ण पदक दिलाया है। वहीं, एशियाई खेलों में बैडमिंटन पुरुष युगल के इतिहास में भारत का यह सिर्फ दूसरा पदक है। इससे पहले 1982 दिल्ली एशियाई खेलों में भारत के लेरॉय डीसा और प्रदीप गांधे की जोड़ी ने कांस्य पदक जीता था। बैडमिंटन 1962 से एशियाई खेलों का हिस्सा रहा है। यह 61 साल में पहली बार है जब पुरुष युगल में भारत ने स्वर्ण पदक जीता है। इसी के साथ चिराग-सात्विक ने पुरुष युगल से इंडोनेशिया का दबदबा खत्म कर दिया है। इन खेलों में इंडोनेशिया के आठ स्वर्ण (1974, 1978, 1982, 1994, 2010, 2014, 2018) पदक हैं। पिछले यानी 2018 जकार्ता एशियाई खेलों में इंडोनेशिया के मार्कस फर्नाल्डी गिडियोन और केविन संजय सुकामुलिजो ने स्वर्ण जीता था। अब चिराग-सात्विक ने स्वर्ण जीतकर उनके दबदबे को खत्म कर दिया है। पुरुष युगल के फाइनल में चिराग और सात्विक का सामना कोरिया की सोलग्यू और वोन्हो की जोड़ी को पहले गेम में 21-18 से हराया। यह मुकाबला 29 मिनट तक चला। वहीं, दूसरे गेम में भारतीय जोड़ी ने 21-16 से जीत हासिल की और स्वर्ण अपने नाम किया। दूसरा गेम 27 मिनट तक चला। भारतीय जोड़ी ने 56 मिनट में मैच खत्म किया और स्वर्ण पर कब्जा जमाया। यह भारत का हांगझोऊ एशियाई खेलों में बैडमिंटन स्पर्धा में तीसरा पदक रहा। इससे पहले भारतीय पुरुष बैडमिंटन टीम ने रजत जीता था, जबकि एचएस प्रणय ने पुरुष एकल में कांस्य पदक जीता था। 2018 जकार्ता एशियाई खेलों में भारत ने सिर्फ दो पदक जीते थे। ये दोनों पदक महिला एकल में आए थे। पीवी सिंधू ने रजत और साइना नेहवाल ने कांस्य जीता था। भारत की ओर से किसी भी एथलीट ने एशियाई खेलों में बैडमिंटन में स्वर्ण नहीं जीता है।