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हिमाचल प्रदेश में युवा सेवाएं व खेल विभाग का भवन तक नहीं हंसराज ठाकुर हिमाचल प्रदेश में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। प्रदेश के हर ग्रामीण क्षेत्र में खेल प्रतिभाएं छुपी हुई हैं। अब समय आ गया है- उन्हें पहचान कर, राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा में शामिल करने का। यह सब सम्भव है, मगर एक दृष्टिगत सोच के अंतर्गत। खेलों के उत्थान के लिए हिमाचल प्रदेश को दूरगामी सोच की बहुत आवश्यकता है।यदि हिमाचल प्रदेश को खेलों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक में स्थान दिलाना है तो सभी खेल शिक्षकों और प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाना बहुत जरूरी है। राज्य में खेल शिक्षकों व प्रशिक्षकों का मनोबल स्तर ऊंचा बनाए रखने से ही खिलाड़ी खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते हैं। हिमाचल प्रदेश में युवा सेवाएं व खेल विभाग का गठन 20 जुलाई, 1982 को एशियाई खेलों के दौरान हुआ था लेकिन हैरानी इस बात की है कि 41 साल बाद भी इस विभाग को स्थाई भवन तक उपलब्ध नहीं हो सका। राज्य में खेलों के उत्थान की बातें तो की जाती हैं लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते खिलाड़ियों का भला नहीं हो पा रहा। प्रदेश व जिला स्तर पर सामान्यतः खिलाड़ियों की खेलकूद गतिविधियों को संचालित करना व प्रशिक्षण सहित, प्रदेश के रजिस्टर्ड खेल संघों को आवश्यक धनराशि खेल गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए प्रदान करना भी युवा सेवाएं व खेल विभाग ही सुनियोजित करता है, लेकिन इस दिशा में भी अब तक ठोस प्रयास होते नहीं दिखे। हिमाचल प्रदेश के युवा सेवाएं व खेल विभाग में अब तक 39 से अधिक एच.ए.एस. व आई.ए.एस. अधिकारी पदारूढ़ हो चुके हैं लेकिन इनमें दो अधिकारी ही खेल संवर्ग से संबंधित रहे। तब भी कोई विशेष योजना प्रदेश के खिलाड़ियों के खेल संवर्धन हेतु नहीं बन पाई। 41 साल बाद भी खेल विभाग के अधिकारियों को कार्यालय के लिए अपना भवन तक नहीं मिल पाया है। इससे पहले मिनी सचिवालय के एक कमरे में खेल निदेशालय का कार्यालय चल रहा था लेकिन उसके बाद छोटा शिमला के पास एक आई.ए.एस. अधिकारी के घर में खेल निदेशालय का कार्यालय शिफ्ट कर दिया गया, उस भवन की हालत खस्ताहाल हो चुकी है। ऐसे में खतरे के साथ रहकर खेल विभाग के 25-30 अधिकारी काम करने को मजबूर हैं। हिमाचल प्रदेश का खेल निदेशालय ऐसी जगह चल रहा है, जहां धूप की किरणें भी नहीं पहुँच पातीं। आजकल यह निदेशालय इन्दिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में शिफ्ट किया गया है। युवा खेल सेवाएं व खेल विभाग के पद पर कोई प्रशासनिक अधिकारी भी बैठता है तो वह खेल पृष्ठभूमि से जुड़ा होना चाहिए ताकि खेलों के उत्थान व संवर्धन के बारे में उचित निर्णय ले- मगर इसका दूसरा पहलू यह भी है कि यदि कोई पदाधिकारी खेलों बारे कुछ करना भी चाहता रहा होगा, तो क्या सरकार उसे करने देती रही होगी। कुल मिलाकर हर विभाग की तरह राजनीति खेलों का भी सत्यानाश कर रही है। वर्तमान सरकार का विजन खेलों को लेकर शायद अलग नजर आ रहा है। पहली बार ग्रामीण खेल ओलम्पियाड करने की बात सामने आई है-मगर धरातल पर उतारना शायद इतना आसान नहीं होगा। सितम्बर-अक्टूबर महीने में ऐसे ओलम्पियाड करवाने की बातें हो रही हैं- मगर हमारे स्कूली खिलाड़ी, शिक्षा विभाग की विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिताओं के चलते- शायद सरकार की ग्रामीण खेल योजना से बाहर ही रह जाएंगे। हिमाचल प्रदेश में खेल क्षेत्र में विसंगतियाँ बहुत हैं लेकिन सुधार की दिशा में कुछ होता नहीं दिख रहा है। हमें वर्तमान दौर में यह भी ध्यान रखना होगा कि प्रदेश प्राकृतिक आपदा के दौर से गुजर रहा है। इस दौर के बाद खेल नीति व खेल शिक्षकों व प्रशिक्षकों के प्रति सरकार को संवेदनशील होना पड़ेगा। सरकार का यह दायित्व है कि वह हर जिले में- हर खेल के प्रशिक्षण हेतु खेल सुविधा मुहैया करवाए। यदि प्रदेश को खेलों के क्षेत्र में आगे ले जाने की मंशा है तो खेल शिक्षकों और प्रशिक्षकों की तरफ भी ध्यान दिया जाना जरूरी है। वर्ष 1986 के बाद पहली बार वर्ष 2022 में 19 खेलों में शिक्षकों के लिए तीन चरणों में ऊना, शिमला व बिलासपुर में राज्यस्तरीय खेल प्रशिक्षण शिविर आयोजित हुए, जिसमें पहली बार शतरंज खेल के क्षेत्र में राज्य स्तर पर 30 मास्टर ट्रेनर ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। राज्य स्तरीय प्रशिक्षण में कुछ चुनिंदा शिक्षक ही भाग ले पाए। राज्य स्तर पर माह अगस्त 2022 में लगभग 225 हिमाचल प्रदेश के शारीरिक शिक्षकों ने राज्य स्तर पर प्रशिक्षण प्राप्त किया- मगर जिला स्तर पर सभी खेल शिक्षक-प्रशिक्षकों को इस प्रशिक्षण मुहिम में शामिल करना बाकी है ताकि हर खेल की मौजूदा बारीकियों से हर खेल शिक्षक व प्रशिक्षक वाकिफ हो सके। हिमाचल प्रदेश के स्कूली शिक्षा में “खेल से स्वास्थ्य” कार्यक्रम लागू है व हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग का खेल उपक्रम है। वर्ष 2022-23 के राष्ट्रीय खेलों में हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग के कई खिलाड़ियों ने स्वर्णिम इतिहास लिखा और कई लिखने से थोड़ा पीछे रह गए- अतः समय रहते शिक्षा विभाग को जिला स्तर पर हर खेल में उचित समय पर खेल प्रशिक्षण शिविर आयोजित करवाना चाहिए ताकि शिक्षक वर्तमान अंतरराष्ट्रीय खेल विषयों व परिस्थितियों के मुताबिक - खेल स्पर्धाएँ सुचारू रूप से प्रायोजित करवा सकें। प्रदेश में खेलों के उत्थान के लिए प्रदेश सरकार को सकारात्मक कदम उठाने होंगे, तभी हमारे प्रदेश के खिलाड़ी खेल स्पर्धाओं में प्रदेश का नाम रोशन कर पाएंगे। खेल शिक्षकों व प्रशिक्षकों की गरिमा बनाए रखते हुए ही- हम हिमाचल प्रदेश को एक पारदर्शी खेल नीति के अंतर्गत, जिसकी अभी दरकार है - खेलों के क्षेत्र में बुलंदियों की ओर ले जा सकते हैं। शतरंज प्रदेश स्कूली शिक्षा में लोकप्रिय खेल बनता जा रहा है- सरकार व शिक्षा विभाग को इस दिशा में भी ध्यान देने की आवश्यकता है। हिमाचल प्रदेश की ग्रामीण परिवेश में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है -अगर कमी है, तो उसे पहचानने व निखारने की। अतः खेल शिक्षकों व प्रशिक्षकों को पूरे प्रदेश में जिला स्तर पर खेल प्रशिक्षण शिविर प्रायोजित करना अनिवार्य है। (लेखक हंसराज ठाकुर,गाँव व डाकघर बग्गी तहसील बल्ह जिला मंडी हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं। विश्व रिकॉर्ड धारक शतरंज मैराथन (मतदाता जागरूकता )-2019, लेखक का कविता संग्रह–हंस, राज्य सदस्य हिमाचल स्कूल क्रीड़ा संघ, सदस्य हिमाचल शतरंज पाठ्यक्रम कमेटी, प्रवक्ता भौतिक शास्त्र, सीनियर नेशनल आर्बिटर शतरंज )