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लगातार तीसरे टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंचे प्रणय और सात्विक-चिराग को मिली हार खेलपथ संवाद टोक्यो। अल्मोड़ा के लक्ष्य सेन लगातार तीसरे टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंच गए हैं। उन्होंने जापान ओपन सुपर 750 बैडमिंटन टूर्नामेंट के क्वार्टर फाइनल में स्थानीय शटलर कोकी वातानाबे को सीधे गेमों में 21-15, 21-19 से पराजित किया। वहीं देश के नम्बर एक शटलर एचएस प्रणय को विश्व नम्बर एक डेनमार्क के विक्टर एक्सेलसन के हाथों तीन गेमों के संघर्ष में हार मिली। इस वर्ष चार टूर्नामेंट जीत चुके सात्विकसाईराज रैंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी को भी चीनी ताईपे के ली यांग और वांग ची लान के हाथों तीन गेमों में हार मिली। टूर्नामेंट में भारतीय चुनौती अब लक्ष्य सेन के भरोसे रह गई हैं। उनकी सेमीफाइनल में इंडोनेशिया के जकार्ता एशियाई खेलों के विजेता पांचवीं वरीय जोनाथन क्रिस्टी से भिड़ंत होगी। इससे पहले लक्ष्य ने कनाडा ओपन का खिताब जीता था और अमेरिकी ओपन के सेमीफाइनल में पहुंचे थे। लक्ष्य को पहले गेम में ज्यादा परेशानी नहीं हुई। गेम के मध्यांतर पर वह 11-7 की बढ़त पर थे। दूसरे गेम में विश्व नंबर 33 जापानी ने लक्ष्य को पसीना बहाने पर मजबूर किया। लक्ष्य 3-2 की बढ़त पर थे। यहां दोनों के बीच 42 शॉट की लंबी रैली हुई, जिसे वातानाबे ने जीता। इसके बाद लक्ष्य 3-7 से पिछड़ गए। एक समय वह 7-14 से पिछड़े हुए थे। यहां से लक्ष्य ने ड्रॉप शॉट का बखूबी प्रयोग करते हुए वातानाबे को नेट पर खिलाया और 18-17 की बढ़त ले ली। यहां से लक्ष्य ने मैच जीत लिया। पिछले तीन मुकाबलों में एक्सेलसन के खिलाफ दो बार जीत हासिल कर चुके प्रणय और डेनिश शटलर के बीच शानदार रैलियां हुईं। प्रणय ने पहला गेम 21-19 से अपने नाम कर लिया। दूसरे गेम में वह 7-1 और 11-7 की बढ़त पर और मैच उनकी झोली में जाता दिखाई दे रहा था। यहां से विक्टर ने जबरदस्त वापसी करते हुए 15-15 की बराबरी हासिल कर ली। प्रणय इसके बाद यह गेम 18-21 से गंवा बैठे। तीसरा और अंतिम गेम विक्टर ने आसानी से 8-21 से जीतकर मुकाबला जीत लिया। एशियाई चैंपियनशिप, स्विस ओपन, इंडोनेशिया सुपर 1000 और कोरिया ओपन का खिताब जीत चुके सात्विक-चिराग को ओलंपिक चैंपियन ली यांग और वांग ची लान के खिलाफ जीत का दावेदार माना जा रहा था। भारतीय जोड़ी पिछले 12 मुकाबलों से जीतती आ रही थी, लेकिन उन्हें यहां तीन गेमों के संघर्ष में 15-21, 25-23, 16-21 से हार का सामना करना पड़ा।