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समाज फैसला ले कि देश में अब जुआ होगा या योगाः फरहत अली
खेलपथ संवाद
बरेली। एक तरफ हमारा देश अनगिनत समस्याओं से जूझ रहा है तो दूसरी तरफ हमारे नामचीन खिलाड़ी और फिल्ली सितारे पैसे की खातिर जुआ, शराब, गुटखा आदि विज्ञापनों के माध्यम से युवाओं का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। ऐसी शख्सियतों को अपने फैसलों पर पुनर्विचार कर यह तय करना चाहिए कि वे जो कुछ भी कर रहे हैं वह क्या देशहित में उचित है। यदि नहीं तो उन्हें ऐसे विज्ञापनों से तौबा कर लेनी चाहिए।
एनआईएस खेल प्रशिक्षक संघ उत्तर प्रदेश ने युवाओं के बर्बाद होते भविष्य को देखते हुए न केवल रविवार को नामचीन शख्सियतों का पुतला जलाया बल्कि उन्हें सचेत किया कि यदि उनकी कारगुजारियां बंद नहीं हुईं तो देशव्यापी आंदोलन करने को मजबूर होना पड़ेगा। एनआईएस खेल प्रशिक्षक संघ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष फरहत अली का कहना है कि जहां हमारा देश अनगिनत आंतरिक समस्याओं से जूझ रहा है वहीं नामचीन शख्सियतें पैसे की खातिर देश के भविष्य को चौपट कर रही हैं।
फरहत अली का कहना है कि एक तरफ हमारी केन्द्र सरकार स्वस्थ इंडिया और विश्व गुरु बनने की दिशा में प्रयासरत है तो दूसरी तरफ स्वनाम धन्य क्रिकेटर और फिल्मी सितारे युवाओं को जुआ और नशे की तरफ प्रेरित करते दिख रहे हैं। हमारे देश के ही महानायक भारत रत्न और क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर हों या अन्य अर्जुन अवॉर्डी क्रिकेटर एवं सदी के फिल्मी महानायक अमिताभ बच्चन, अजय देवगन, शाहरुख खान, रितिक रोशन, अन्नू कपूर, रजा मुराद आदि अन्य कलाकार देश में ऐसी समस्या को जन्म दे रहे हैं जिसे भारत का कोई भी सभ्य नागरिक कतई बर्दाश्त नहीं कर सकता।
यह सभी लोग हमारे देश के नौनिहालों, युवाओं और महिलाओं को जुआ खेलने को प्रेरित कर रहे हैं जोकि सरासर गलत है। पैसे की खातिर देश को ऐसी बर्बादी की कगार पर ले जाना एक तरह से देशद्रोह ही कहा जाएगा। देश पूछ रहा है क्या इन शख्सियतों को देश ने भारत रत्न या अन्य सम्मानित पुरस्कार इसीलिए दिए हैं। युवाओं को जुए की तरफ प्रेरित करना आतंकवादियों से भी घृणित कार्य है। एक आतंकवादी तो चंद लोगों को मारता है आप लोग तो पूरे समाज को आर्थिक, मानसिक और शारीरिक तौर से मार रहे हैं।
क्रिकेट के भगवान भारत रत्न सचिन तेंदुलकर तथा अन्य भारतीय क्रिकेटर व फिल्मी सितारे बताएं कि आप हमारे देशवासियों को खेल, शिक्षा एवं स्वास्थ्य की तरफ ले जाना बेहतर समझते हैं या फिर नशा और जुआ आदि की तरफ ले जाना। खेलो और टीम बनाओ, जीतो करोड़ों के ईनाम, रमी और जंगली रमी, लूडो खेलो एवं अन्य घटिया खेल हमारी युवा पीढ़ी को आखिर किस तरफ ले जाएंगे, यह स्वयं की विवेचना का विषय है। आप लोगों के कृत्य से देश को आप पर गर्व नहीं बल्कि अब शर्म आती है।
फरहत अली और उनकी टीम के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश अजीत डोभाल, नितिन गडकरी, जयशंकर प्रसाद आदि से गुहार लगाई है कि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर न केवल विज्ञापनों को प्रतिबंधित करना चाहिए बल्कि इन कुरीतियों और बर्बादियों से देश की युवा पीढ़ी को भी बचाना चाहिए। इनका कहना है कि हम सब भारतवासी कोरोना में बहुत कुछ खो चुके हैं, उससे भी बड़ी त्रासदी जुए की लत है। जो लोग इसके लिए युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
खुद भी उन लोगों को महसूस होना चाहिए कि उनके पास बहुत पैसा दिया है अब उन्हें देश के उज्ज्वल भविष्य को बेचकर पैसा कमाने का काम नहीं करना चाहिए। अगर उन्हें पैसे की इतनी ही भूख है तो देश की जनता उन्हें एक-एक रुपये करके उनके खाते में भेज देगी। अब देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को सोचना होगा कि देश में योगा होगा या फिर जुआ। हमारी सरकार को इसमें से एक को चुनना होगा। देश की जनता से निवेदन है कि इसे धार्मिक या अन्य रंग न देकर सभी देशवासी समर्थन करें और यह प्रण लें कि हम अपने बच्चों को भी भटकने से रोकेंगे।