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युवाओं को रानी रामपाल और रोंजन सोढ़ी का संदेश खेलपथ संवाद देहरादून। भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी रानी रामपाल और डबल ट्रैप शूटर रोंजन सोढ़ी ने ओलम्पिक से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। दोनों ने अलग-अलग साल में ओलम्पिक में भाग लिया और दोनों के हालात भी अलग थे। रानी टीम गेम में खेल रही थीं, जबकि रोंजन अकेले लड़ रहे थे। दोनों जीत के बेहद करीब थे, लेकिन पदक से चूक गए। अंतिम क्षणों में हार के बाद जहां रानी की महिला हॉकी टीम का विजेताओं की तरह स्वागत हुआ। प्रधानमंत्री ने भी उनसे मुलाकात की वहीं, रोंजन को हमेशा पदक नहीं जीत पाने का अफसोस रहेगा। उन्होंने कहा कि अगर आप ओलम्पिक में पदक नहीं जीत पाते हैं तो आपको कुछ नहीं समझा जाता। क्रिकेट में आपके पास बहुत मौके होते हैं। एक मैच हारे तो अगला जीत सकते हैं, लेकिन बाकी खेलों में ऐसा नहीं है। आपको चार साल में पदक जीतने के लिए एक ओलम्पिक मिलता है और उसमें भी सिर्फ तीन ही पदक होते हैं। कार्यक्रम के अंत में दोनों ने अपने अनुभवों के आधार पर युवाओं को संदेश दिया। रोंजन सोढ़ी ने कहा "खिलाड़ी के तौर पर मैं यह सीखा हूं कि आप हार को विनम्रता से स्वीकार करें और जीत को भी ऐसे ही स्वीकार करें। जब जीतें, तब विनम्र रहें। हार के बाद आपका आत्मविश्वास कम नहीं होना चाहिए और जीत के बाद आपमें घमंड नहीं आना चाहिए।" वहीं, रानी रामपाल ने कहा "हमारे कोच सिखाते थे कि कभी भी हार दिल पर न लगे और जीत दिमाग पर न चढ़े। हमने बचपन से यही सीखा है कि कैसे एक लक्ष्य हासिल करें, फिर दूसरे पर जाएं। हर किसी की जिंदगी में कोई न कोई दिक्कत है या चुनौती है। हर दिन एक नई चुनौती है, लेकिन जिंदगी में हार नहीं मानना चाहिए। हार मान ली तो आपको उठाने वाला कोई नहीं होगा। गिराने वाले बहुत मिल जाएंगे, खुद को उठाने वाले आप खुद ही होंगे।"