News title should be unique not use -,+,&, '',symbols
खेतों में मजदूरी करते हैं पिता-पुत्र 10,000 मीटर दौड़ में बना विजेता खेलपथ संवाद लखनऊ। हमारे देश में कई ऐसी प्रतिभाएं हैं जो सीमित संसाधनों और कठिनाइयों के बावजूद देश का नाम रोशन कर रही हैं। राजस्थान के प्रदीप कुमार की कहानी भी यही कुछ कहती है। प्रदीप आज एथलेटिक्स की दुनिया में अपना कमाल दिखा रहे हैं तो इसके पीछे उनका लम्बा संघर्ष ही है। खेत मजदूर परिवार में पैदा हुए प्रदीप कुमार ने जिस तरह से एथलेटिक्स में पहचान बनायी है, उसकी हर कोई तारीफ कर रहा है। प्रदीप के पिता मदन लाल दूसरों के खेतों में मज़दूरी करके घर चलाते हैं। उनके परिवार की हालत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि एक समय उनके परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना भी खासा मुश्किल होता है। इतना सब कुछ होने के बावजूद एक पिता ने हिम्मत नहीं हारी और अपने बेटे के सपनों को उड़ान देने के लिए पूरा जोर लगा दिया। उन्होंने जब अपने बेटे की खेल के प्रति लगन देखी तो कहा कि बेटा आप खेल पर पूरा फोकस करो बाकी मुझ पर छोड़ दो। प्रदीप खुद भी अपने पिता के साथ खेतों में मजदूरी करते थे और गांव के युवाओं को आर्मी में भर्ती के लिए दौड़ लगाते देख उन्होंने भी शौकिया दौड़ना शुरू किया था। प्रदीप ने उत्तर प्रदेश की मेजबानी में आयोजित खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान की ओर से खेलते हुए 10,000 मीटर दौड़ में 30:55.94 का समय निकालते हुए स्वर्ण पदक जीता। वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम पर नजर प्रदीप बताते हैं कि निगाह आगामी वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम के लिए भारतीय टीम में जगह बनाने पर है। प्रदीप के अनुसार यहां मिली जीत से उनका उत्साह बढ़ा है और वो अब दोगुने जोश के साथ भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए पसीना बहाएंगे। 22 साल के प्रदीप कुमार ने अपने ऐथ्लैटिक्स कॅरियर की शुरुआत काफी देर से की है। उन्होंने 2018 में ही अभ्यास शुरू किया था। उनके मन में चाहत है कि एथलेटिक्स में वो इतना नाम कमा ले कि उसे नौकरी मिल सके। इससे वो अपने परिवार की कुछ मदद भी कर सकेंगे और एथलेटिक्स के अभ्यास में आने वाले खर्चे को खुद उठा सकेंगे। उन्होंने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम उत्तर प्रदेश 2022 के आयोजन की सराहना की। उन्होंने कहा कि यहां हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं मिली हैं, जो हमारे जैसे खिलाड़ियों के लिए काफी बेहतर है और इससे वो अपने गेम में फोकस कर सके और पदक जीतने में सफल हो सके। प्रदीप कुमार का इरादा अब आगामी वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम के ट्रायल में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर भारतीय टीम में जगह बनाने का है। प्रदीप के अनुसार मेरे पिता कहते है कि बेटा आपको इंडिया टीम से खेलना है और पदक भी जीतना है।