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कभी मुक्कों से लगता था डर अब वही बने ताकत खेलपथ संवाद नई दिल्ली। प्रीति का पढ़ाई में मन लगता था, खेलों में उनकी कोई रुचि नहीं थी, लेकिन घर में खेलों का माहौल था। चाचा विनोद राष्ट्रीय स्तर के मुक्केबाज जो ठहरे। फिर क्या था एक दिन विनोद ने अपने बड़े भाई और प्रीति के पिता सोमवीर को बोला कि बिटिया को बॉक्सिंग शुरू करा दो। यह बात 2017 की है। प्रीति ने इसका विरोध किया उन्हें मुक्कों से डर लगता है, चोट लग जाएगी, लेकिन चाचा और पिता की हसरत को देखते हुए खेल में आगे बढ़ीं। उन्हें रोहतक में बॉक्सिंग की तैयारियां शुरू करा दी गईं। वह ट्रेनिंग कर घर पर आती थीं तो उनके हाथ-पैरों में दर्द होता था। प्रीति बताती हैं कि एक दिन उन्हें हरियाणा पुलिस में एएसआई पिता ने समझाया कि अगर उन्होंने देश के लिए पदक जीता तो उनका नाम होगा। उन्हें सम्मान मिलेगा और नौकरी भी मिलेगी। इसके बाद प्रीति के दिमाग में बैठ गया कि उन्हें यह खेल आगे करना है। प्रीति की यह सीनियर स्तर पर दूसरी और पहली सीनियर विश्व चैम्पियनशिप है। प्रीति कहती हैं कि 2019 में उन्होंने जूनियर राज्य चैम्पियनशिप खेली और इसके बाद उन्हें इस खेल में मजा आने लगा। प्रीति को उनके चाचा विनोद ही कोचिंग देते हैं। प्रीति के मुक्कों ने रुकवाई बाउट विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के 54 किलोग्राम भार वर्ग में प्रीति ने हंगरी की लकोतर हाना को आसानी से पराजित किया। प्रीति के मुक्कों का हाना के पास कोई जवाब नहीं था। उनके लेफ्ट हुक हाना के चेहरे पर कई बार पड़े। रेफरी ने दो बार उनके खिलाफ गिनती गिनी। दूसरे दौर में जब सिर्फ 10 सेकंड खत्म होने में रह गए थे तो रेफरी ने बाउट को रोक दिया। प्रीति अगले दौर में लोनिता से खेलेंगी।